हरियाणा में जातीय घेराबंदी की दीवार तोड़ने में कैसे नाकाम रही कांग्रेस? बीजेपी ने धीमी चाल में मार ली बाजी

चंडीगढ़/नई दिल्ली: चुनाव प्रचार के दौरान भूपेंद्र हुड्डा ने बार-बार कहा था कि चुनाव में कांग्रेस बहुमत में आ रही है, क्योंकि 36 बिरादरी कांग्रेस के साथ हैं। मगर, चुनाव परिणाम कुछ और ही सचाई बयां कर रहे हैं। इस बार के परिणामों से साफ है कि BJP की

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

चंडीगढ़/नई दिल्ली: चुनाव प्रचार के दौरान भूपेंद्र हुड्डा ने बार-बार कहा था कि चुनाव में कांग्रेस बहुमत में आ रही है, क्योंकि 36 बिरादरी कांग्रेस के साथ हैं। मगर, चुनाव परिणाम कुछ और ही सचाई बयां कर रहे हैं। इस बार के परिणामों से साफ है कि BJP की ओर से परंपरागत तौर पर चली आ रही वोटों की जातीय घेराबंदी को कांग्रेस तोड़ने में नाकाम रही है। परंपरागत तौर पर हरियाणा का समाज 36 बिरादरी से बना समाज है, ऐसे में राजनीतिक पार्टियां, चुनावी रणनीति बनाते वक्त इस फैक्टर का खासतौर से ध्यान रखती हैं।

नायब सैनी को सीएम बनाने का दांव
BJP ने अतीत में मनोहर लाल और बाद में नायब सैनी को सीएम बनाकर नॉन जाट वोटरों को साधने की कोशिश की थी। पंजाबी, खत्री से लेकर कई ऐसी दूसरी जातियां हैं जो इस नॉन जाट वोट बैंक का हिस्सा रही हैं। BJP इस वोट बैंक की अहमियत जानती है क्योंकि पिछली दो लोकसभा चुनावों में पार्टी ने इन गैर जाट वोटरों को साध कर सत्ता अपने पास रखी। ऐसे में कांग्रेस भले ही दावा कर ले कि उसने BJP की इस जातीय घेराबंदी को तोड़कर 36 जातियों का भरोसा हासिल कर लिया है, लेकिन ऐसा दिखा नहीं।
नॉन जाटव वोट बैंक में सेंधमारी
कांग्रेस की चुनावी रणनीति देखते हुए लगता है कि इस बार जिस तरह के चुनावी की रणनीति को आगे बढ़ाया गया, वह मूल रूप से जाट और दलित वोटों के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा। हरियाणा में जाटों की तादाद 22-25 फीसदी है तो दलितों की 22 फीसदी। किसानों की नाराजगी हो या फिर महिला पहलवानों का मुद्दा...ये सारे नरेटिव कहीं न कहीं जाट समुदाय से जुड़े ही रहे। BJP ने कांग्रेस की खेमेबाजी और सैलजा मुद्दे को जिस तरह उछाला, उसका पूरा मकसद दलित वोट, खासतौर से नॉन जाटव वोट बैंक में सेंधमारी भी रहा।

कांग्रेस का वोट छिटका
हरियाणा में OBC समुदाय की तादाद 35-40 फीसदी के बीच मानी जाती है। नायब सिंह सैनी के जरिए ‌BJP ने इस वोट बैंक को अपने पाले में करने पर पूरा जोर लगाया। राज्य की राजनीति में JJP-आजाद समाज पार्टी और BSP-INLD गठबंधन ने इन चुनावों में सीटों के जरिए भले ही अपनी मौजूदगी स्थूल तरीके से न दिखाई हो, पर इन पार्टियों की संरचना और वोट बैंक दलित और जाट वोट बैंक से जुड़ा रहा है। ऐसे में साफ है कि इन दलों ने कांग्रेस के ही दलित-जाट वोट बैंक में सेंध मारी होगी।

बीजेपी ने क्या किया खास?
हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद से ही राज्य में जाटों का दबदबा रहा है। जाट समुदाय के नेता ही राज्य में सत्ता संभालते रहे हैं। ऐसे में BJP जानती थी कि ऐसे में जाटों पर फोकस करने से ज्यादा जरूरी गैर-जाट वोटरों को अपने खेमे में करना। उसकी वजह भी है। ऐसे में जब कांग्रेस में हुड्डा और सुरजेवाला जैसे जाट नेता सीएम पद की रेस में खुद को एक खिलाड़ी की तरह साबित कर रहे थे, ‌BJP इस रणनीति से दूर रही। INLD के साथ गठबंधन न कर जाट वोटों को अपने पाले में करने की रणनीति भी कारगर साबित हुई। राज्य के चुनाव परिणाम से यह तथ्य साबित हो गया कि राज्य को समझना है तो 36 बिरादरियों की पॉलिटिक्स को समझना होगा। ऐसा ही बीजेपी करती दिखी।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

कांग्रेस ने दलितों के बीच झूठ फैलाने की कोशिश की: पीएम मोदी

News Flash 09 अक्टूबर 2024

कांग्रेस ने दलितों के बीच झूठ फैलाने की कोशिश की: पीएम मोदी

Subscribe US Now