वो 56 साल बाद घर आएंगे, लेकिन... रोहतांग में क्रैश हुआ था IAF का विमान, 4 शव और मिले

7 फरवरी 1968 का दिन था. चंडीगढ़ से 98 यात्रियों को लेकर भारतीय वायुसेना के एक विमान ने लेह के लिए उड़ान भरी. उस AN-12 विमान के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरकेवल सिंह और स्क्वाड्रन लीडर प्राण नाथ मल्होत्रा थे. साथ में क्रू के दो सदस्य भी विमान पर सवार

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7 फरवरी 1968 का दिन था. चंडीगढ़ से 98 यात्रियों को लेकर भारतीय वायुसेना के एक विमान ने लेह के लिए उड़ान भरी. उस AN-12 विमान के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरकेवल सिंह और स्क्वाड्रन लीडर प्राण नाथ मल्होत्रा थे. साथ में क्रू के दो सदस्य भी विमान पर सवार थे. बीच रास्ते में मौसम खराब हुआ तो पायलट ने तय किया कि विमान को पीछे मोड़ा जाए. रोहतांग दर्रे के ऊपर विमान से रेडियो संपर्क टूट गया. चूंकि मलबा नहीं मिला इसलिए सभी 102 लोगों को लापता घोषित कर दिया गया. दशकों तक विमान का मलबा और शवों के अवशेष बर्फीले क्षेत्र में दबे पड़े रहे.

2003 में खोजा गया मलबा

2003 में, अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने विमान का मलबा ढूंढ लिया. पर्वतारोहियों को एक शव के अवशेष भी मिले, जिसकी पहचान विमान में सवार सिपाही बेली राम के रूप में हुई. इसके बाद, सेना और खासतौर पर डोगरा स्काउट्स ने कई बार खोज अभियान चलाया. अधिकारियों के अनुसार, दुर्घटनास्थल के दुर्गम क्षेत्र होने और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण 2019 तक, केवल पांच शवों के अवशेष ही बरामद किए जा सके. ‘चंद्र भागा माउंटेन एक्सपेडीशन’ ने अब चार और शव बरामद किए हैं, जिसके कारण मृतकों के परिजनों और राष्ट्र को एक नयी उम्मीद मिली है.

भारत के सबसे लंबे सर्च ऑपरेशन में से एक

यह भारत के सबसे लंबे समय तक चले तलाश अभियानों में शामिल है. सेना के अधिकारियों ने कहा कि इन अवशेषों को भारतीय थलसेना के ‘डोगरा स्काउट्स’ और ‘तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू’ के कर्मियों वाली एक संयुक्त टीम ने ढूंढा. दो इंजन वाला परिवहन विमान सात फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरने के बाद, लापता हो गया था. उसमें 102 लोग सवार थे. एक अधिकारी ने कहा, 'एक असाधारण घटनाक्रम में, 1968 में रोहतांग दर्रा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए एएन-12 विमान से कर्मियों के अवशेष बरामद करने के लिए जारी तलाश अभियान एवं बचाव मिशन को महत्वपूर्ण सफलता मिली है.'

किन यात्रियों के अवशेष मिले हैं?

अधिकारियों ने बताया कि चार में से तीन शवों के अवशेष मलखान सिंह, सिपाही नारायण सिंह और शिल्पकार थॉमस चरण के हैं. शेष अवशेष से बरामद दस्तावेजों से व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई है. हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि उसके निकटतम रिश्तेदारों का विवरण मिल गया है. थॉमस, केरल के पथनमथिट्टा जिले के एलंथूर का रहने वाला था. उन्होंने बताया कि उसके निकटतम रिश्तेदार, उसकी मां एलीमा को इस बारे में सूचना दे दी गई है. आधिकारिक रिकॉर्ड से प्राप्त दस्तावेजों की मदद से मलखान सिंह की पहचान की पुष्टि की गई. आर्मी मेडिकल कोर में सेवा देने वाले सिपाही सिंह की पहचान आधिकारिक दस्तावेजों के जरिये हुई. अधिकारियों ने बताया कि सिंह उत्तराखंड के गढ़वाल में चमोली तहसील के कोलपाड़ी गांव का रहने वाला था. (भाषा इनपुट्स)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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