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पटना: बाढ़ से आधा बिहार तहस-नहस हो गया है। कितने तटबंध टूटे और कितना क्यूसेक पानी नदियों में छोड़ा गया, अब इस डेटा का कोई मतलब नहीं रह गया। मदद के लिए लोग सरकार और उसकी सिस्टम की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। वरना, जिंदगी तो चलते रहने का नाम है। सूरज रोजाना निकलता है और रोजाना ढलता है। सबका एक दिन कट ही जाता है। आफत इस घड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य से बाहर हैं। दिल्ली से कब तक लौटेंगे इसकी कोई आधिकारिक सूचना भी नहीं है। बिहार की सत्ता पर काबिज होने को बेताब लालू यादव के सियासी वारिस तेजस्वी यादव के बारे में जानकारी है कि वो तो देश से ही बाहर हैं। बीजेपी के कोटे के दोनों डिप्टी सीएम अपने स्तर से डटे हैं, मगर ब्यूरोक्रेसी पर उनकी कितनी पकड़ है, ये किसी से छिपी नहीं है।
बिहार में कोसी और गंडक सहित सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। प्रदेश के 21 जिलों के 70 से ज्यादा प्रखंडों के 16-20 लाख से अधिक लोग बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 21 जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, वैशाली, पटना, जहानाबाद, कटिहार, भोजपुर और सहरसा की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
बाढ़ से प्रभावित आबादी को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 30 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त वाराणसी से एनडीआरएफ की तीन टीमों को बुलाया गया है। बताया गया कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और आवागमन के लिए 630 नावों का परिचालन कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त बाढ़ पीड़ितों के लिए 43 राहत शिविरों का संचालन किया जा रहा है, जिसमें 11 हजार से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।
नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार की सुबह पांच बजे कोसी बैराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जो 1968 के बाद सर्वाधिक है। जल संसाधन विभाग का दावा है कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग की टीमें दिन-रात तत्पर हैं। हालांकि कई तटबंधों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है।
बिहार की बाढ़ को लेकर केंद्र सरकार की पैनी नजर है। इसे लेकर एक एक्शन प्लान भी तैयार किया गया। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार सरकार तत्परता के साथ बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पहले ही पूरी तैयारी कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी है। अभी तक 8 टीमें रिजर्व हैं और 11 टीमों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेज दिया गया है। पूर्वी बिहार के कई इलाकों में एनडीआरएफ की टीम मुस्तैदी से तैनात है। कोसी और गंडक प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ मुस्तैद है।
इस बीच शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव के पास रविवार की शाम बागमती के पश्चिमी तटबंध टूटने से तरियानी छपरा सहित आसपास के गांवों में पानी भर गया। इससे पहले रविवार को ही सीतामढ़ी के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में दरार आ गई। पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के बाएं तटबंध में पानी के अत्यधिक दबाव के कारण क्षति पहुंची, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ का पानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर गया था।
इन सबके बीच, बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि घबराने की बात नहीं है... स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। जल संसाधन विभाग और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी अलर्ट मोड पर हैं और चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से तटबंधों में दरार की कुल छह घटनाएं सामने आई हैं। उनमें से कुछ की मरम्मत पहले ही हो चुकी है और कुछ जगहों पर मरम्मत का काम जारी है।
जबकि, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के बुलेटिन में कहा गया है कि उत्तर बिहार में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, उत्तर प्रदेश के वाराणसी और झारखंड के रांची से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीआरएफ) की छह अतिरिक्त टीमें बुलाई गई हैं। यह एनडीआरएफ की 12 टीमों और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीआरएफ) की 22 टीमों के अतिरिक्त है, जो वर्तमान में बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव अभियान में लगी हुई हैं। बाढ़ से प्रभावित 20 लाख से अधिक लोगों के लिए स्थिति गंभीर बनी हुई है।
बाढ़ से आधा बिहार तहस-नहस
बिहार में कोसी और गंडक सहित सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। प्रदेश के 21 जिलों के 70 से ज्यादा प्रखंडों के 16-20 लाख से अधिक लोग बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 21 जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, वैशाली, पटना, जहानाबाद, कटिहार, भोजपुर और सहरसा की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
बाढ़ से प्रभावित आबादी को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 30 से ज्यादा टीमों को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त वाराणसी से एनडीआरएफ की तीन टीमों को बुलाया गया है। बताया गया कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और आवागमन के लिए 630 नावों का परिचालन कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त बाढ़ पीड़ितों के लिए 43 राहत शिविरों का संचालन किया जा रहा है, जिसमें 11 हजार से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।
1968 के बाद पहली बार इतना पानी
नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार की सुबह पांच बजे कोसी बैराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जो 1968 के बाद सर्वाधिक है। जल संसाधन विभाग का दावा है कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग की टीमें दिन-रात तत्पर हैं। हालांकि कई तटबंधों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है।
बिहार की बाढ़ को लेकर केंद्र सरकार की पैनी नजर है। इसे लेकर एक एक्शन प्लान भी तैयार किया गया। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार सरकार तत्परता के साथ बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पहले ही पूरी तैयारी कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी है। अभी तक 8 टीमें रिजर्व हैं और 11 टीमों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेज दिया गया है। पूर्वी बिहार के कई इलाकों में एनडीआरएफ की टीम मुस्तैदी से तैनात है। कोसी और गंडक प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ मुस्तैद है।
दरभंगा-सीतामढ़ी में सबसे ज्यादा आफत
बिहार के दरभंगा में कोसी नदी और सीतामढ़ी में बागमती नदी के तटबंधों में नई दरारें आने के बाद कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई। अधिकारियों के अनुसार, रविवार रात बाढ़ के कारण उफनती कोसी नदी ने किरतपुर प्रखंड के पास अपने तटबंध तोड़ दिए, जिससे किरतपुर और घनश्यामपुर प्रखंड के एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के रूपौली गांव के समीप रविवार रात बागमती नदी के तटबंध टूट गए और एक स्थान पर पानी का रिसाव होने लगा।इस बीच शिवहर जिले के तरियानी छपरा गांव के पास रविवार की शाम बागमती के पश्चिमी तटबंध टूटने से तरियानी छपरा सहित आसपास के गांवों में पानी भर गया। इससे पहले रविवार को ही सीतामढ़ी के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में दरार आ गई। पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के बाएं तटबंध में पानी के अत्यधिक दबाव के कारण क्षति पहुंची, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ का पानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर गया था।
सरकार कह रही- घबराने का नहीं
इन सबके बीच, बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि घबराने की बात नहीं है... स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। जल संसाधन विभाग और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी अलर्ट मोड पर हैं और चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से तटबंधों में दरार की कुल छह घटनाएं सामने आई हैं। उनमें से कुछ की मरम्मत पहले ही हो चुकी है और कुछ जगहों पर मरम्मत का काम जारी है।
जबकि, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के बुलेटिन में कहा गया है कि उत्तर बिहार में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, उत्तर प्रदेश के वाराणसी और झारखंड के रांची से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीआरएफ) की छह अतिरिक्त टीमें बुलाई गई हैं। यह एनडीआरएफ की 12 टीमों और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीआरएफ) की 22 टीमों के अतिरिक्त है, जो वर्तमान में बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव अभियान में लगी हुई हैं। बाढ़ से प्रभावित 20 लाख से अधिक लोगों के लिए स्थिति गंभीर बनी हुई है।
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