कभी डालडा तो कभी तिरुपति के लड्डू... हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ क्यों?

नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में बीफ, फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है। आंध्र प्रदेश में भगवान तिरुपति के प्रसाद को लेकर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोप से राजनीति गरमा गई है। आंध्र के

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नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में बीफ, फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है। आंध्र प्रदेश में भगवान तिरुपति के प्रसाद को लेकर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोप से राजनीति गरमा गई है। आंध्र के सीएम ने विधायक दल की मीटिंग में दावा किया कि तिरुमाला लड्डू घटिया सामग्री से बनाया गया। तिरुपति मंदिर में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्‌डुओं में इनकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है। टीडीपी प्रवक्ता ने कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में गोमांस की चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि की गई थी।
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इन चीजों का इस्तेमाल आस्था के साथ भी खिलवाड़ है। इस खुलासे के बाद लोग अपना गुस्सा भी जाहिर कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही 1984 में भी हुआ था। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कुछ दिनों पहले 1984 में हिंदू धर्म पर आई एक बड़ी विपदा का जिक्र किया था। उन्होंने एनबीटी के साथ खास बातचीत में 1984 में क्या हुआ था इसका जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उस वक्त डालडा के नाम से वनस्पति घी बिका करता था। अधिकांश घरों में उसका उपयोग होता था लेकिन उसी साल यानी 1984 में पता चला कि डालडा में चर्बी मिली हुई है।

इसका सीधा मतलब यह था कि जिस डालडा को हिंदू लोग खाते हैं वो पशुओं के चर्बी से बनी हुई है। यह मामला सामने आने के बाद पूरे देश भर के हिंदुओं में बड़ा रोष था। उस दौरान क्या हुआ था इसी का जिक्र शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया। लोगों को ये भ्रम हो गया कि कहीं ये गाय की चर्बी तो नहीं थी।

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जहां डालडा फैक्ट्री थी वहां खाद्य विभाग ने छापा मारा तो बड़ी मात्रा में चर्बी मिली। वो सब जानवरों की चर्बी थी। लोगों को ये भ्रम हो गया कि कहीं ये गाय की चर्बी तो नहीं थी। यदि गाय की चर्बी थी तो अब तो ये हमारे मुंह में चली गई तो अब हम हिंदू रह गए या नहीं। शंकराचार्य ने बताया कि इससे बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी।


उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में शंकराचार्य ने निर्णय दिया कि आपने जानकर तो चर्बी नहीं खाई है। हम आपको संक्षिप्त प्रायश्चित बता रहे हैं उसको करके आप शुद्ध हो जाइए और मन से ग्लानि निकाल दीजिए। अब ऐसा ही कुछ लोग अब कह रहे हैं और इसे सनातनियों की आस्था से खिलवाड़ बता रहे हैं। इस दौरान जो लोग तिरुपति गए थे उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है।

जिस प्रयोगशाला रिपोर्ट में प्रसाद के नमूनों में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की मौजूदगी का दावा किया गया वह जुलाई की रिपोर्ट है। इसी साल नमूने लेने की तारीख 9 जुलाई 2024 थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई की थी। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) जो प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करता है उनकी ओर से प्रयोगशाला रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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