कर रहे थे बढ़िया सैलरी पर नौकरी
दीप सिंह चीमा को नौकरी करते हुए 2.5 लाख रुपये सैलरी मिलती थी। अचानक उस आर्थिक सुरक्षा को खोना कठिन था। लेकिन, उन्होंने महसूस किया कि वह अकेले नहीं थे। कोरोना की महामारी ने बहुतों का रोजगार छीना था। 100 एकड़ जमीन के मालिक एक संयुक्त परिवार से आने वाले दीप का कभी भी खेती की ओर झुकाव नहीं था। उन्होंने एहसास किया कि ढिलवां में उन्हें बढ़िया पिज्जा और बर्गर सर्व करने वाला कोई नहीं था।
मिल गया काम करने का आइडिया
यहीं से दीप सिंह चीमा को फूड ट्रक स्थापित करने का आइडिया आया। चार लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ उन्होंने 'द पिज्जा फैक्ट्री' की शुरुआत की। शुरुआती महीने कठिन थे क्योंकि लोग उनका मजाक उड़ाते थे। उनमें से ज्यादातर लोग समोसा और पकोड़े खाने के आदी थे। भीड़ को नया खाना पेश करना कठिन था। लेकिन, दीप ने इरादा नहीं बदला।
लुभाने के लिए लगाया दिमाग
लोगों को लुभाने के लिए चीमा ने अपने मेनू की कीमत 199 रुपये रखी। इस दाम पर कोई भी कितने भी पिज्जा, बर्गर और फ्राइज का आनंद ले सकता था। स्कूल जाने वाले बच्चे के तौर पर दीप को खाना बनाना अच्छा लगता था और वह होटल मैनेजमेंट करना चाहते थे। लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें दूसरा रास्ता चुनने के लिए मजबूर कर दिया।
अब 2 लाख रुपये महीने की कमाई
'द पिज्जा फैक्ट्री' के साथ खाना पकाने के दीप के जुनून को फिर से जान मिली। अपने खाना पकाने के ज्ञान का श्रेय वह शेफ रणवीर बराड़ को देते हैं। आज दीप ने कई लोगों को ढिलवां में फूड ट्रक खोलने के लिए प्रेरित किया है। फूड ट्रक व्यवसाय के बारे में सलाह लेने के लिए लोग उनके पास गोरखपुर से आते थे। ढिलवां जंक्शन अब 'पिज्जा-बर्गर जंक्शन' के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में दीप हर महीने 2 लाख रुपये कमाते हैं।
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