लोकसभा चुनाव के बाद अब स्पीकर के इलेक्शन पर सियासी माहौल गरम हो गया है. कल रात भाजपा की तरफ से राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फोन किया था. मुद्दा स्पीकर के चुनाव में सपोर्ट को लेकर था. सुबह ऐसा लग रहा था कि सब सेट हो चुका है. जैसे-जैसे घड़ी की सुई दोपहर के 12 बजाने के करीब पहुंच रही थी, विपक्ष में अजीब सी बेचैनी देखी गई. राहुल गांधी सामने आए और कहा कि विपक्ष कॉल का वेट कर रहा है. कुछ देर बाद 12 बजे तो पता चला कि एनडीए की तरफ से ओम बिरला और विपक्ष की तरफ से के. सुरेश ने भी नामांकन कर दिया. ऐसा पहली बार है जब देश में स्पीकर का चुनाव हो रहा है. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि आखिर सत्तापक्ष और विपक्ष में बात कैसे बिगड़ गई?
अब यह साफ हो चुका है कि कल यानी 26 जून को सुबह 11 बजे लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए वोटिंग होंगी. एनडीए की तरफ से लगातार दूसरी बार ओम बिरला को आगे किया गया है जबकि विपक्ष ने वरिष्ठ नेता के. सुरेश को उतारा है. सुरेश वही नेता हैं जिन्हें डिप्टी स्पीकर बनाने की विपक्ष मांग कर रहा था.
राहुल गांधी ने आज सुबह 11 बजे के करीब संसद परिसर में मीडिया से कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे के पास केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का फोन आया. राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी से अपने स्पीकर के लिए समर्थन मांगा. विपक्ष ने साफ कहा है कि हम स्पीकर को समर्थन देंगे लेकिन विपक्ष को डिप्टी स्पीकर मिलना चाहिए. राजनाथ सिंह जी ने कल शाम कहा था कि वह खरगे जी कॉल रिटर्न करेंगे. अभी तक खरगे जी के पास कोई जवाब नहीं आया है. पीएम मोदी कह रहे हैं रचनात्मक सहयोग हो फिर हमारे नेता का अपमान किया जा रहा है. नीयत साफ नहीं है. नरेंद्र मोदी जी कोई रचनात्मक सहयोग नहीं चाहते हैं. परंपरा है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष का होना चाहिए. विपक्ष ने कहा है अगर परंपरा को रखा जाएगा तो हम पूरा समर्थन देंगे.
कुछ देर बाद ही खबर आई कि स्पीकर पद पर आम सहमति नहीं बन पाई है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन मिलेगा, इस प्रकार की राजनीति की हम निंदा करते हैं... स्पीकर किसी सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष का नहीं होता है वह पूरे सदन का होता है, वैसे ही उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या दल का नहीं होता है पूरे सदन का होता है. किसी विशिष्ट पक्ष का ही उपाध्यक्ष हो ये लोकसभा की किसी परंपरा में नहीं है.'
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मल्लिकार्जुन खरगे एक वरिष्ठ नेता हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं. कल से मेरी उनसे तीन बार बातचीत हो चुकी है.'
कांग्रेस+ के इस दांव की वजह क्या है? दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि अगर हम अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे तो एनडीए में फूट पड़ सकती है. टीडीपी जैसे दल सपोर्ट में नहीं तो अनुपस्थित रह सकते हैं या उसकी मंशा सरकार पर प्रेशर बनाने की भी है. सरकार का तर्क था कि विपक्ष ने अपनी बात रख दी, अभी स्पीकर का चुनाव हो जाने दीजिए जब डिप्टी स्पीकर का चुनाव होगा तब कांग्रेस+ की बातों पर विचार किया जाएगा लेकिन आज ही आप फैसला चाहते हैं तो सरकार को स्वीकार नहीं होगा.
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को यह आशंका थी कि सरकार स्पीकर पर आम सहमति बनवा लेगी और डिप्टी स्पीकर पोस्ट भी नहीं देंगे. मतलब भरोसे की कमी है. दोनों तरफ से. दोनों अपने गठबंधन को एकजुट रखना चाहते हैं. राजनाथ सिंह ने पहल की थी लेकिन फेल रहे. सत्तापक्ष को यह लग रहा है कि कुछ भी कर लो नंबर तो हमारे पास ही है. उधर, विपक्ष सोच रहा है कि अगर हम स्पीकर चुनाव लड़ते हैं तो सरकार के खेमे में खलबली जरूर मचेगी. कम से कम 24 घंटे के लिए सरकार के रणनीतिकारों की टेंशन तो बढ़ा ही देंगे.
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