कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 100 से ज्यादा सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का दावा है कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार का महाराष्ट्र पर कोई असर नहीं होने वाला है.
और इसके साथ ही, नाना पटोले ने ऐलान कर दिया है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस सहयोगी दलों शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. नाना पटोले का ये बयान उद्धव ठाकरे के उस बयान की प्रतिक्रिया लगती है, जिसमें हरियाणा में कांग्रेस की हार का जिक्र था.
उद्धव ठाकरे का कहना था कि हरियाणा में कांग्रेस को अपने अति-आत्मविश्वास के कारण हार का मुंह देखना पड़ा है. उद्धव ठाकरे की तरफ से ऐसी बातें किया जाना उनकी नाराजगी की तरफ ही इशारा कर रहा है.
असल में उद्धव ठाकरे चाहते थे कि विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी चुनावों के पहले ही अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दे. जाहिर है, ये बात वो अपने पक्ष में ही चाह रहे थे. जब उद्धव ठाकरे ने देखा कि नाना पटोले तो विरोध में खड़े हैं ही, और शरद पवार भी उनकी मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को मंजूरी नहीं दे रहे हैं, तो वो राहुल गांधी से मदद लेने की कोशिश किये, लेकिन दिल्ली से खाली हाथ लौटना पड़ा - और कांग्रेस की हार पर उद्धव ठाकरे का कटाक्ष उसी का नतीजा था.
राहुल गांधी को निशाना बनाये जाने के बाद नाना पटोले ने मोर्चा संभाल लिया है, और सबसे ज्यादा सीटों के लिए दावेदारी पेश कर दी है. वैसे राहुल गांधी तो अरविंद केजरीवाल के निशाने पर भी आ गये हैं - और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने भी उप चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा करके अपना इरादा जाहिर कर दिया है.
कांग्रेस की ज्यादा सीटों पर दावेदारी
नाना पटोले का ये कहना कि हरियाणा में हार के दबाव में कांग्रेस महाराष्ट्र में अपनी दावेदारी कमजोर नहीं होने देगी, उद्धव ठाकरे के खिलाफ जंग-ए-ऐलान नहीं तो क्या है? क्योंकि उद्धव ठाकरे की बातों को संजय राउत भी तो बार बार दोहरा रहे हैं.
नाना पटोले का कहना है कि कांग्रेस महाविकास आघाड़ी के साथ ही चुनाव लड़ेगी. नाना पटोले का दावा है कि महाराष्ट्र की 288 सीटों में से 110-115 सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारेगी - और, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को 80-85 सीटें दी जाएंगी.
नाना पटोले के तेवर तो यही बता रहे हैं कि सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस वैसे ही पेश आ रही है, जैसे यूपी में अखिलेश यादव, बिहार में तेजस्वी यादव, झारखंड में हेमंत सोरेन और तमिलनाडु में एमके स्टालिन कांग्रेस के साथ पेश आते हैं.
लगे हाथ नाना पटोले ये भी बता देते हैं कि गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं है, क्योंकि ये बंटवारा चुनाव जीतने की संभावना के आधार पर किया गया है.
सीटों पर दावेदारी MVA की मुसीबत बढ़ाएगा
अभी तक महाविकास आघाड़ी में सबसे ज्यादा प्रभाव शरद पवार का रहा है, जबकि कांग्रेस तीसरे पोजीशन पर देखी गई है. हाल के विधान परिषद चुनाव में उद्धव ठाकरे को भी अपनी मनमानी करते देखा गया, जिस पर नाना पटोले को सार्वजनिक रूप से नाराजगी प्रकट करते देखा गया था.
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पूरे महाविकास आघाड़ी का जोश बढ़ाया है, क्योंकि बीजेपी और उसके साथी महाविकास आघाड़ी से पिछड़ गये हैं - और कांग्रेस का जोश इसलिए भी हाई है क्योंकि लोकसभा चुनाव में साथियों के मुकाबले उसका प्रदर्शन बेहतर रहा है.
और नाना पटोले भी यही बोल कर दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में 17 सीटों पर चुनाव लड़ी, और 13 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही - दलील भले ही दुरुस्त हो, लेकिन ये तो झगड़ा बढ़ाने वाला ही है.
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