हरियाणा विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद भी राहुल गांधी जाति जनगणना के मुद्दे पर रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब बीजेपी ने उनके इस अभियान से भी फायदा उठाने का मन बना लिया है. राहुल गांधी जहां जाति जनगणना के बाद उनकी संख्या के हिसाब से पिछड़े और दलितों के कल्याण की योजनाएं बनाने की बात करते हैं.वहीं बीजेपी अब यह साबित करने में लगी है कि यह उनके बीच फूट डालने की नियत से हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सामूहिक शक्ति को कमजोर करने के लिए उनके बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है, ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके और अंततः उनके लिए आरक्षण खत्म किया जा सके.उन्होंने इन समुदायों में एकता का आह्वान किया. मोदी झारखंड में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के तहत नमो ऐप के माध्यम से भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए कहा कि इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं कि एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे.
1-क्या आरक्षण को खत्म करने की साजिश है कांग्रेस की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता ,सभी आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस हमेशा से आरक्षण की विरोधी रही है. इसके साथ ही यह भी कहते हैं कि कांग्रेस का मौका लगते ही आरक्षण को खत्म कर सकती है. भारतीय जनता पार्टी के नेता इसके लिए राहुल गांधी का विदेशी धरती पर दिए गए उस बयान की भी याद दिलाते हैं कि जब असमानता समाप्त हो जाएगी तो आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि कांग्रेस के शाही परिवार में जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक सभी नेता आरक्षण के प्रावधान के कट्टर विरोधी रहे हैं. मोदी याद दिलाते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहते हुए पंचायत से संसद तक आरक्षण के पक्ष में उठने वाली सभी आवाजों को कुचल दिया, क्योंकि तब दलित, ओबीसी और आदिवासी समाज बिखरे हुए थे.
लेकिन जब धीरे-धीरे उन्होंने समझा कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने क्या कहा था और कई राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ एक चुनौती पेश करने के लिए एकजुट हो गए. यही कारण है कि 1990 तक ओबीसी समाज एकजुट नहीं हो पाया था. लेकिन जब वे एकजुट हुए, तो कांग्रेस को गंभीर नुकसान हुआ. मोदी कहते हैं कि तब से कांग्रेस देश में पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार नहीं बना पाई है. आज देश में उसके पास केवल तीन राज्यों में ही सरकार है.
मोदी समझाते हैं कि कांग्रेस के शाही परिवार में इसी वजह से गुस्सा है और वे किसी तरह से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सामूहिक शक्ति को तोड़ने का प्रयास कर रही है. मोदी कहते हैं कि कांग्रेस के गुस्से का कारण यह भी है कि जिन राज्यों में सबसे अधिक दलित, ओबीसी, आदिवासी हैं, वे भाजपा-एनडीए का शासन है. और इन राज्यों में कांग्रेस के सत्ता में आने की संभावना नहीं है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग सैकड़ों छोटी जातियों में बंट जाएं, बजाय इसके कि वे एकजुट रहें, ताकि वे बिखर जाएं, अपनी पहचान खो दें और एक-दूसरे से लड़ें।
“जब ये समाज छोटी जातियों में बंट जाएंगे, तो उनकी आवाज SC, ST और OBC के रूप में कमजोर हो जाएगी। जिस दिन ऐसा होगा, कांग्रेस की साजिश सफल हो जाएगी। वह आरक्षण भी छीन लेगी,” उन्होंने कहा।
2- पिछड़ी जातियों की समूहिकशक्ति को बांटने के तर्क में कितना दम
जाति जनगणना कराने का जो भी उद्दैश्य विपक्ष बताए पर इतना तो तय है कि यह कलह का कारण बनेगा. हो सकता है कि जातियों की संख्या पता चल जाए तो उसके हिसाब से देश के संसाधनों के बंटवारे की भी मांग उठेगी. अभी भी राहुल गांधी कहते ही हैं कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी. पर यह मामला भागीदारी तक ही नहीं जाएगा . जातियों को उनको देश के संसाधनों में उनकी संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी भी देनी होगी. और यह सब होगा जाहिर है कि तमाम तरीके के बवाल, झगड़े होंगे.
नरेंद्र मोदी शायद इसी लिए कहते हैं कि मैं हमेशा कहता हूं एक रहेंगे, तो सुरक्षित रहेंगे. सभी ओबीसी, एससी और एसटी समाजों को एकजुट रहना चाहिए. दरअसल जब जातिगत जनगणना होगी तो शिड्यूड कास्ट , शिड्यूल ट्राइब और पिछड़ी जातियों के अंदर आने वाली सभी जातियों की गणना होगी. जाहिर है कि इसमें बहुत सी जातियों में असंतोष उभरेगा कि उन्हें संख्या के हिसाब से भागीदारी नहीं मिल रही है. संख्या के हिसाब से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. हो सकता है कि उनकी संख्या के हिसाब से भागीदारी और हिस्सेदारी भी तय हो जाए. पर जिनका हिस्सा कम होगा वो आंदोलित होंगे और उस समुदाय के बीच जो एकता है वो खंडित होगी . जिसका फायदा राजनीतिक दल उठाएंगे
3-झारखंड और महाराष्ट्र के लिए कितना अहम है पीएम का यह फॉर्मूला
झारखंड और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के चुनावों में ओबीसी और दलित वोट जिसके साथ जाएगा वही इन राज्यों में राज करेगा. लोकसभा चुनावों में दलित वोट इंडिया गठबंधन के साथ चला गया,यही कारण रहा कि एनडीए को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी. राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना कराने, आरक्षण का 50 परसेंट कैप हटाने और जातियों को उनकी संख्या के हिसाब से भागीदारी देने की बात कर रहे हैं. जाहिर है कि लोकसभा चुनावों में उनका ये जादू चल गया था. विधानसभा चुनावों में बीजेपी राहुल गांधी के इस नारे की काट के लिए यह कहना शुरू की है कि पिछड़े और दलितों की सामूहिक शक्ति को तोड़ने का प्रयास हो रहा है. महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए ओबीसी वोटों का ही भरोसा है. जैसे हरियाणा में बीजेपी ने ओबीसी वोटों के बल इंडिया गठबंधन को मात दिया था उसी तरह से भाजपा चाहती है कि झारखंड और महाराष्ट्र में ओबीसी और दलित वोटों के सहारे विजयश्री हासिल करना. क्योंकि महाराष्ट्र में मराठा वोटर बीजेपी के साथ नहीं है. इसी तरह झारखंड में एसटी वोट बंटना तया है. बीजेपी का सारा फोकस आम मतदाता को यह समझाने में है कि पिछड़ा -दलित और एसटी की भलाई बीजेपी के शासन में ही है.
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