उमर अब्दुल्ला ने कर दी केजरीवाल जैसी गलतियां दोहराने से तौबा | Opinion

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उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग का प्रस्ताव पास किया जाएगा. उमर अब्दुल्ला फिर से जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, लेकिन अब वो केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री होंगे. 2019 से पहले भी वो मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

असल में, बारामूला सांसद इंजीनियर राशिद ने आरोप लगाया था कि उमर अब्दुल्ला की सरकार बनी नहीं और वो पहले से ही दिल्ली के आगे झुकने लगे. इंजीनियर राशिद का कहना था कि धारा 370 की बहाली के नाम पर वो लोगों से वोट मांगते रहे, और अब कहते हैं कि जिसने ये छीना, उससे इसे फिर से बहाल किये जाने की उम्मीद मूर्खता है.

इंजीनियर राशिद ने पूछा था, अब वो किस मजबूरी में यू-टर्न ले रहे हैं? ध्यान रहे, इंजीनियर राशिद से उमर अब्दुल्ला लोकसभा चुनाव हार गये थे, लेकिन अब वो दो सीटों से विधायक बन गये हैं, जिनमें एक सीट बारामूला लोकसभा क्षेत्र के तहत ही आती है.

ये सही और साफ है कि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद संवैधथानिक तौर पर जम्मू-कश्मीर में परिस्थितियां पहले जैसी बिलकुल नहीं हैं. उप राज्यपाल के पास असीमित शक्तियां हैं. जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल मनोज सिन्हा हैं.

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बदले हालात में पहले से तय है कि भावी मुख्यमंत्री को कानून व्यवस्था से लेकर तमाम प्रशासनिक मामलों से जुड़े प्रस्ताव उप राज्यपाल के पास भेजने होंगे. पहले उमर अब्दुल्ला भी तो यही कहा करते थे कि वो मुख्यमंत्री इसलिए नहीं बनना चाहते क्योंकि वो एलजी के दफ्तर के बाहर बैठकर इस बात के लिए इंतजार नहीं कर सकते कि मंजूरी मिलने पर ही वो डीजीपी को हटा पाएंगे.

लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के चुनाव जीतने के बाद उमर अब्दुल्ला कहने लगे कि केंद्र के साथ बेहतर रिश्ते कायम करने की उनकी पूरी कोशिश होगी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनको ऐसी अपेक्षा भी है. फिर भी एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता है कि नई सरकार के काम में नौकरशाही कहां तक मददगार साबित होगी?

इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में उमर अब्दुल्ला ने ऐसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है, लेकिन वो इस बात पर भी कायम हैं कि उप राज्यपाल और केंद्र सरकार से टकराव से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बात उनके लिए वो जिम्मेदारी है जो जम्मू-कश्मीर के लोगों ने नेशनल कांफ्रेंस को सौंपी है.

विधायक अवाम की आवाज हैं, नौकरशाहों को सुनना ही होगा

उमर अब्दुल्ला कहते हैं, कोई भी ऐसा DC नहीं होना चाहिये जो विधायकों की न सुनता हो... कोई भी ऐसा एसपी तो नहीं होगा जो किसी विधायक की बातों को नजरअंदाज करता हो... तहसीलदार और ऐसे बाकी अधिकारी भी काम नहीं कर सकते जिनको विधायकों की बिलकुल भी परवाह न हो... लोगों का काम हर हाल में होना चाहिये... अभी तक नौकरशाहों के सामने लोगों की तरफ से बोलने वाला कोई नहीं था... अफसर किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं थे, लेकिन अब अपनी आवाज उठाने के लिए लोगों विधायकों को चुन लिया है.

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नेशनल कांफ्रेंस नेता का कहना है, अब सूबे में एक चुनी हुई सरकार होगी... और सभी नौकरशाह चुनी हुई सरकार के प्रति जिम्मेदार होंगे. हां, उनमें से कई ऐसे जरूर होंगे जिनकी निष्ठा राजभवन से जुड़ी होगी, लेकिन मुझे लगता है ये अस्थाई व्यवस्था है.

आत्मविश्वास से भरे हुए उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं, पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होना है, और हमें उम्मीद है कि ऐसा जल्दी ही होगा... अब नौकरशाहों को चुने हुए प्रतिनिधियों की बातों को सुनना ही होगा... जो मैंडेट हमे मिला है वो बहुत बड़ी जिम्मेदारी है... लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना है... अगर लोगों को बदलाव की अपेक्षा नहीं होती, तो ऐसा मैंडेट नहीं मिलता... जाहिर है, हमारे ऊपर भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.

उमर अब्दुल्ला को अपनी हदें मालूम हैं, लेकिन ताली दोनो हाथों से बजती है

उमर अब्दुल्ला अच्छी तरह समझ चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है. कहते हैं, ये पहली बार है जब केंद्र शासित क्षेत्र में हमारी चुनी हुई सरकार है... और ऐसा भी पहली बार होने जा रहा है जब उप राज्यपाल को भी एक चुनी हुई सरकार के साथ काम करना होगा... और इस तरह ऐसी बहुत सी बातें हैं जो पहली बार होने जा रही हैं, और ये सब हमे समझना होगा... मेरा मतलब ये है कि हमे ये समझने की जरूरत है कि हमारा महकमा कौन कौन है, हमारे पास क्या शक्तियां हैं... कौन से फैसले हम ले सकते हैं. कहां तक हम अपना कदम बढ़ा सकते हैं... हमारी हदें कहां तक हैं?

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ये पूछे जाने पर कि अगर दिल्ली की तरह सरकार और उप राज्यपाल में तकरार हुई तो, क्या आप उसके लिए तैयार हैं?

उमर अब्दुल्ला का कहना है, हम वो सब नहीं चाहते. लेकिन, ताली दोनो हाथों से बजती है. हम किसी तरह के तकरार के साथ पारी की शुरुआत करने की नहीं सोच रहे हैं. हम चाहते हैं कि एक अच्छा कामकाजी रिश्ता कायम हो.

लगे हाथ ये बताना भी नहीं भूलते, अब ऐसा भी नहीं कि नेशनल कांफ्रेंस बीजेपी का विरोध करना छोड़ देगा, और बीजेपी से भी ऐसी कोई अपेक्षा नहीं है. हमारी लड़ाई चलती रहेगी, लेकिन कोशिश होगी कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम करें. और इसी में हमारी भलाई भी है. और आखिर में जम्मू-कश्मीर के नाम कोई उपलब्धि जुड़ती है तो, श्रेय तो देश को ही मिलेगा.

उमर अब्दुल्ला का मानना है कि दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियों में बहुत फर्क है, और ये भी लगता है कि वो अरविंद केजरीवाल के काम करने के तरीके से इत्तेफाक बिलकुल नहीं रखते. उनका कहना है, लोगों ने हमारे गठबंधन को वोट इसलिए नहीं दिया है कि हम लड़ते रहें. लोग ये भी नहीं चाहते कि हम सरेंडर कर दें, लेकिन वे ये भी नहीं चाहते कि पहले दिन से हम जंग छेड़ दें.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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