बांग्लादेशी घुसपैठ पर हेमंत सोरेन के बंगाल पर आरोप सिर्फ सिर पर आई बला टालना है | Opinion

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने समर्थकों से बातचीत करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या पर कुछ ऐसा कह दिया कि बीजेपी नेताओं के लिए बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया. पर इसी बहाने देश की एक बहुत बड़ी समस्या पर भी सबका ध्यान गया है. पूर्वोंत्तर राज्यों असम बंगाल में ही नहीं झारखंड आदि में जिस तरह डेमोग्रेफी चेंज हुई है वह चिंताजनक है. दूसरी बात यह है कि केवल वोट बैंक बनाने के चलते राजनीतिक दल किस तरह इस समस्या को और खतरनाक बना रहे हैं उसे भी समझने की जरूरत है.

भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत सोरेन के बयान को लेकर इंडिया गठबंधन को निशाने पर लिया है. बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने हेमंत सोरेन के बयान पर कहा कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों को लेकर आखिकार सच्चाई बाहर आ ही गई है. दरअसल बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से पश्चिम बंगाल और असम के दर्जनों जिलों में जनसांख्यिकी बदलाव आएं हैं. पर एक ठोस वोट बैंक के चलते राजनीतिक दल इनके खिलाफ कुछ भी बोलने से कतराते रहे हैं. आइये देखते हैं कि झारखंड में मामला किस तरह खतरनाक हो रहा है.

हेमंत सोरेन ने क्या कहा जिस पर बवाल हो गया

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने दावा किया है कि झारखंड में हेमंत सोरेन के शासन काल में घुसपैठियों की संख्या में इजाफा हुआ है. हिमंता झारखंड में जब भी जाते हैं वो यह मुद्दा जरूर उठाते हैं. जाहिर है कि असम भी इस तरह के डेमोग्रेफी चेंज होने के चलते दशकों से असमिया अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है. बिस्व सरमा कहते हैं कि झारखंड में बीजेपी सत्ता में आती है, तो वह घुसपैठियों को राज्य से बाहर खदेड़ देगी. असम केसीएम के इन आरोपों पर हेमंत सोरेन अपने समर्थकों के बीच जवाब दे रहे थे.पर उनकी जबान से जो निकला उससे वो खुद घिर गए.

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हेमंत सोरेन ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री झारखंड आते हैं और राज्य के लोगों और राज्य सरकार की आलोचना करते हैं. हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे. वे बदलती जनसांख्यिकी और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात करते हैं. मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे भारत सरकार के आंकड़ों को देखें और पता लगाएं कि किस जिले और किस राज्य में संख्या में कितना बदलाव आया है. जाकर देखें कि बंगाल में क्या डेटा है? फिर झारखंड के विभिन्न जिलों के डेटा देखें. आप पाएंगे कि यहां जनसांख्यिकी में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

झारखंड हाईकोर्ट भी डेमोग्रेफी बदलाव पर चिंता जता चुका है

झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर पिछले साल ही झारखंड हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई थी. हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से पूछा था कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में कैसे प्रवेश कर रहे हैं ? क्या केंद्र सरकार को इसकी जानकारी है ?
झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछा कि संथाल परगना के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशियों के घुसपैठ की जानकारी है या नहीं? अगर घुसपैठ की जानकारी है तो घुसपैठ रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए? जनहित याचिका में कहा गया था कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज सहित झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठिए आकर बस रहे हैं. इससे इन जिलों में जनसंख्या तो बढ़ ही रही है, जनजातीय जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. याचिका में यह भी यह भी बताया गया था कि इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसे खोले जा रहे हैं. इस संबंध में आज तक (डिजिटल) ने इस क्षेत्र में पहुंचकर एक ग्राउंड रिपोर्ट भी तैयार की. आज तक की रिपोर्टर ने स्थानीय आदिवासियों के बीच जाकर तमाम ऐसी युवतियों से मुलाकात की जिन्हें किस तरह झांसा देकर घुसपैठिओं शादी-संबंध बना लिए.

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आंकड़े बताते हैं कि संथाल परगना सहित 3 जिलों की बदली डेमोग्राफी

झारखंड में जब बीजेपी सरकार थी और मुख्यमंत्री रघुवर दास होते थे तो एनआरसी लागू करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार कराई गई थी. रिपोर्ट को देखने पर पता चलता है कि पाकुड़ और साहिबगंज जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की आबादी तेजी से बढ़ी है. बताया जाता है कि झारखंड से बांग्लादेश की सीमा लगभग 40 से 45 किलोमीटर ही है. झारखंड में फरक्का, उढ़ावा, पीयारपुर, बेगमगंज, फूकदकीपुर, दियारा, चांदशहर और प्राणपुर आदि इलाकों से बांग्लादेशी घुसपैठियों की आवाजाही पर प्रशासन रोक लगाने में असमर्थ है. 2001 और 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि आकंड़े बताते हैं कि यहां मुस्लिम आबादी में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है.आबादी बढ़ने की बड़ी वजह घुसपैठ के साथ आदिवासी महिलाओं से शादी कर यहीं बस जाना है। हाईकोर्ट भी इन तथ्यों से चिंतित है और केंद्रीय गृह मंत्रालय से बांग्लादेशी घुसपैठियों की जानकारी के बारे में पूछा है.

झारखंड में कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए बन गए JMM के वोटर्स

झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने अभी अगस्त महीने में ही आरोप लगाया था कि जेएमएम सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों से वोट लेकर उन्हें संरक्षण दे रही है. बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झामुमो के मतदाता बन गए हैं और यह वोट बैंक झारखंड और भारत के लोगों के संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है. सिर्फ इसी वोट बैंक को बचाने के लिए झारखंड सरकार सच्चाई नहीं देख पा रही है.

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राज्य सरकार का कहना है कि प्रदेश में घुसपैठियों का एक भी केस नहीं है. इस पर बाउरी कहते हैं कि ये झूठी सरकार है. हेमंत सोरेन की सरकार ने खुद हाई कोर्ट में एफिडेविट देकर स्वीकार किया है कि राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं और उनकी पहचान की जा रही है. कुछ की पहचान कर ली है और कुछ को चिन्हित किया जाना बाकी है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी झामूमो छोड़कर बीजेपी में आने की वजह बांग्लादेशी घुसपैठिये की समस्या पर वर्तमान सरकार द्वारा ध्यान न दिया जाना ही बताया था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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