मजाक बन गया दिल्ली का मुख्यमंत्री पद, शपथ से पहले ही AAP नेता आतिशी को क्यों बोल रहे खड़ाऊं सीएम? । Opinion

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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नए सीएम के लिए दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी का नाम फाइनल कर दिया है. दिल्ली सरकार में सबसे अधिक विभागों को संभाल रहीं आतिशी की योग्यता और ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद जिस तरह उन्होंने आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार में अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन किया वह उनकी काबिलियत का एक नमूना था. यही योग्यता ही उनके दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने का राह प्रशस्त किया. पर आम आदमी पार्टी के करीब आधा दर्जन नेता शपथ ग्रहण करने से पहले ही उन्हें जिस तरह डमी, टेंप्रेरी और खड़ाऊं सीएम की उपाधि दे रहे हैं वो उनकी हताशा को दिखा रहा है . क्या ये नेता पुरुषवादी मानसिकता से ग्रस्त हैं? एक महिला जो अपने समकक्षों में सबसे अधिक पढ़ी लिखी है उसे इस तरह से ट्रीट किया जाना ठीकहै?क्या मनीष सिसौदिया, गोपाल राय या सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत जैसे लोग सीएम का पद संभालते तब भी ये लोग ऐसे ही बोलते? यह हो सकता है कि उन्हें कुछ दिनों के लिए सीएम बनाया जा रहा हो पर ये बातें सार्वजनिक रूप से उनके सीएम बनने से पहले कहना न केवल राजनीतिक दृष्टि से अनुचित है बल्कि नैतिक और संवैधानिक तरीके से देखा जाए तो भी गलत है.

जैसे डमी और खड़ाऊं बताने की होड़ लग गई हो

दिल्ली में जारी इस सियासी घटनाक्रम के बीच दिल्ली सरकार के मंत्री और AAP के सीनियर नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये बात मायने नहीं रखती की सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा. जनता ने तो केजरीवाल को चुना था. कुर्सी तो केजरीवाल की है और आगे भी रहेगी. सिर्फ चुनाव तक इस कुर्सी पर भरत की तरह राम की खड़ाऊं रखकर एक व्यक्ति बैठेगा. आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती भी अपने साथी सौरभ भारद्वाज जैसी ही बातें करते हैं. वो कहते हैं कि आतिशी भरत की तरह सरकार चलाएंगी. जिस तरह भगवान श्रीराम के वनवास जाने के बाद भरत ने अयोध्या में खड़ाउं सरकार चलाया था .दिल्ली सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री के पद के दावेदार रहे गोपाल राय भी उन्हें डमी कैंडिडेट ही मानते हैं. गोपाल राय ने कहा कि एक विषम परिस्थिति में उन्हें मंत्री बनाया गया है. जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाद दुबारा चुनकर नहीं आ जाते दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद आतिशी संभालेंगी. इन लोगों की तरह से आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने भी आतिशी को डमी सीएम कहकर ही संबोधित किया.

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जाहिर है कि आम आदमी पार्टी नेताओं के इस बिहेव को लेकर आलोचना भी शुरू हो गई है. पूर्व में आम आदमी पार्टी के नेता रह चुके पत्रकार आशुतोष कहते हैं कि आतिशी को लेकर इस तरह का जो बयान दिया जा रहा है एक तरह का उनके साथ अन्याय है. भारतीय जनता पार्टी ने भी आम आदमी पार्टी की दिल्ली को डमी सीएम देने की आलोचना की है.

क्या विधानसभा चुनाव के बाद अगले सीएम की दावेदारी हो रही है

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीच आतिशी को डमी सीएम बताए जाने की जो होड़ लगी है वो सोची समझी रणनीति के तरह किया जा रहा है. सबको पता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी जीत भी जाती है तो अरविंद केजरीवाल का सीएम बनना मुश्किल ही है. क्योंकि ईडी और सीबीआई की गिरफ्तारी को कोर्ट ने अभी गैरकानूनी नहीं बताया है. कोर्ट के सामने अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले के आरोपियों में से एक हैं. उन्हें कोर्ट की ओर से कोई क्लीन चिट नहीं मिली है. इसलिए अरविंद केजरीवाल फिर से सीएम बन सकेंगे इसमें संदेह की स्थिति है. ऐसी दशा में अगर फिर से सीएम पद की तलाश हो तो दावेदारों की लिस्ट में उनका नाम भी रखा जाएगा जो आज आतिशी को डमी बता रहे हैं.

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क्या इस बात का इंतजाम है किआतिशी कहीं 'चंपई' न हो जाएं

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ने आतिशी का नाम नए सीएम के रूप में फाइनल तो कर दिया है. पर डर सबको लगता है , गला सबका सूखता है की तर्ज पर उनके बागी होने का डर अरविंद केजरीवाल को भी लग रहा होगा. सत्ता की राजनीति में सभी नेताओं को रिजाइन करने के बाद अपनी जगह कुर्सी को सौंपने वक्त एक बार बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन को एक बार जरूर याद कर लेता है. जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल को भी यह डर सता रहा होगा. इसलिए एक रणनीति के तहत अभी से आतिशी को यह बात बताई जा रही है कि वो कभी महत्वाकांक्षी होने की कोशिश न करें. क्योंकि कुछ दिन बाद ही उन्हें सत्ता छोड़नी होगी.शायद यही कारण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अपना नाम फाइनल होने के बाद अपने पहले संबोधन में आतिशी ने खुद बोल दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनावों तक ही वो दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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