वक्फ संशोधन बिल को अब कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है. इसे अब अगले साल (2025) बजट सेशन में पेश किया जा सकता है. पहले इस बिल को मौजूदा सत्र में ही लाने की तैयारी थी, लेकिन जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की बैठकों में लगातार बढ़ते विवादों के चलते इसे टालना पड़ा. तात्कालिक रूप से ये फैसला विपक्ष की ओर से बढ़ते विरोध के चलते लिया गया. पर कहा जा रहा है कि सरकार को इसे पास कराने के लिए अपने सहयोगियों का सहयोग नहीं मिल रहा था. कांग्रेस ने इसे सरकार का एक और यू टर्न बताया है. पर वक्फ बोर्ड बिल को लेकर जिस तरह का माहौल बन रहा है उससे लगता है कि सरकार कुछ और सोच रही है. जिस तरह पिछले दिनों बीजेपी के मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा हमें दिए गए संविधान में वक्फ कानून के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए इसका समर्थन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में कांग्रेस का शासन खत्म होने से पहले पार्टी ने दिल्ली के पास की कई संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं. जिस तरह मोदी ने स्पेशली दिल्ली का नाम लिया उससे लगता है कि सरकार इसे अगले विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने वाली है. इसके साथ ही जिस तरह भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हजारों लोग अचानक इस बिल को लेकर सक्रिय हुए हैं वो कुछ और इशारा करता है. बहुत बड़ी संख्या में अचानक लोग यह कहने लगे हैं कि वक्फ बोर्ड बिल में संशोधन नहीं वक्फ बोर्ड को ही खत्म कर दिया जाना चाहिए. यह सब देखकर यही नहीं लगता है कि वक्फ बोर्ड संशोधन का दायरा और बड़ा किया जा सकता है? क्या वक्फ बोर्ड को मृतप्राय करने की तैयारी है?
वक्फ बोर्ड विवादों का लावा सुलग रहा है, ज्वालामुखी के फटने का इंतजार
आज खबर आई कि सरकार ने वक्फ बोर्ड बिल पर यू टर्न ले लिया है. और आज ही सुबह पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से खबर आई कि वहां के एक 115 साल पुराने 500 एकड़ पर निर्मित अति प्रतिष्ठित यूपी कॉलेज को वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन घोषित कर दिया है. यूपी की राजधानी लखनऊ के एक प्रसिद्ध मंदिर को भी इसी महीने वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन घोषित करके वहां बाउंड्री वॉल से घेरने का काम शुरू किया है. इन दोनों मुद्दों ने सोशल मीडिया पर आग लगा रखी है. पूर्व राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने एक्स पर लिखा ....
अब तो हद हो गई,115 साल पुराने उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित,वाराणसी के उदयप्रताप कॉलेज पर वक्फ बोर्ड का दावा.500 एकड़ में फैले यूपी कॉलेज में 20 हजार छात्र पढ़ते हैं.
आo प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी,वक्फ बोर्ड और विस्फोटक जनसंख्या वृद्धि इस्लामीकरण स्थापित करने का सबसे बड़ा साधन बन गया है. त्वरित शल्य क्रिया अपरिहार्य है.
इसी तरह हिंदू हितों की बात करने वाली एक और नेता साध्वी प्राची ने वक्फ बोर्ड को तुरंत प्रभाव से खत्म करने की बात की है. एक्स पर कुछ लोग प्रश्नोत्तरी भी चला रहे हैं कि वक्फ बोर्ड बिल संशोधित होना चाहिए या वक्फ बोर्ड को ही खत्म कर देना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह ही चुके हैं कि संविधान में वक्फ की कोई जगह नहीं है. जाहिर है कि जिसे कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी सरकार का यू टर्न समझ रही है वो सरकार का मेगा प्लान है.
दिल्ली-बिहार चुनावों में वक्फ बोर्ड बन सकता है भाजपा का हथियार
बीजेपी की इस गुगली को कांग्रेस समझ नहीं पा रही है या जानबूझकर खुश होने का नाटक कर रही है. कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत एक्स पर लिखती हैं कि...
भक्त सकते में है - पापा ने तो वॉर रुकवा दी थी ,अब बेचारे पापा अपने चार फ़ैसले नहीं बचा पा रहे ,यू टर्न पर यू टर्न लिए पड़े हैं .वो जिसके लिये कहते थे ‘कौन राहुल’ उसने तो पापा को पलटू बना दिया
• लेटरल एंट्री पर पलट गये
• वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर पलट गये
• ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल पर पलट गये
• लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स पर पलट गये
बेचारे भक्त गला फाड़ फाड़ कर बचाव करते हैं - पापा पलट जाते हैं .प्यारे भक्तों यह है लोकतंत्र की ताक़त - आदत डाल लो, अभी पापा बहुत पलटेंगे!
पर मामला इतना आसान दिखता नहीं है. भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराकर समझ चुकी है किसी भी समस्या के समाधान हो जाने के बाद वह मुद्दा खत्म हो जाता है. अगर राम मंदिर बनने में कोई समस्या रह गई होती तो हो सकता था कि लोकसभा चुनावों में कम से कम उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी की दुर्गति नहीं हुई होती. बीजेपी यह जानती है कि वक्फ बोर्ड का मुद्दा अभी तो आम लोगों तक पहुंचा नहीं है. अभी केवल मीडिया और सोशल मीडिया पर ही हाइप है. जैसे जैसे मंदिर , स्कूल, कॉलेज और कॉलोनियों पर वक्फ बोर्ड का दावा बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे वक्फ बोर्ड को लेकर लोगों के बीच में जागरूकता बढ़ती जा रही है.
बिना जनता के जागरूक हुए कानून बन गया तो भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा नहीं उठा पाएगी.कभी यही काम कांग्रेस किया करती थी.मुद्दे को जीवित रखना है और कभी समाधान नहीं करना है. दिल्ली और बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है. तब तक वक्फ बोर्ड को लेकर बहुत सी बहसें होंगी , वक्फ बोर्ड बहुत सी जमीनों पर कब्जे की कोशिश करेगा. गंगा और यमुना में वक्फ बोर्ड को लेकर जितना पानी बहेगा इन राज्यों में बीजेपी के लिए उतना ही खाद पानी तैयार होगा.
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