लप्रेक- मैं पागल प्लूटो आवारा, दिल तेरी मोहब्बत का मारा

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प्लूटो रोज़ी के बचपन का प्यार था. दोनों ने साथ साथ तीन बेहतरीन साल गुज़ारे. दोनों की पहली मुलाकात अशोक नगर की एक शादी में हुई थी.

प्रायः दावत के खाने के लिए हिंसक हो जाने वाले प्लूटो ने जब टेंट के पीछे मशरूम मटर खाते हुए पहली बार रोज़ी को देखा तो उसे लगा कि इस पगली के लिए तो जीवन भर के मशरूम मटर छोड़े जा सकते हैं.

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(फोटो: Meta AI)

दोनों ने साथ-साथ नोएडा की कई गाड़ियों का पीछा किया, कई धावकों को काटने की योजना बनाई, कई घरों में चोरी होने दी लेकिन नहीं भौंके. गर्मियों में प्लूटो रोज़ी के लिए पार्क के कोने में गड्ढा खोदता तो बारिश में दोनों किसी बलेनो के नीचे छिप जाते.

प्लूटो और रोज़ी सोशल मीडिया पर नहीं थे, मीम्स नहीं शेयर करते थे, उन्हें अपडेट नहीं होना था, ना शेयर खरीदने थे, ना किसी मंदिर के स्वर्ण स्तंभों की जानकारी जुटानी थी. उन्हें किसी रेस का हिस्सा नहीं बनना था. रोज़ी के साथ रहकर आवारा प्लूटो भी एक गृहस्थ श्वान बन गया.

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(फोटो: Meta AI)

सर्दियों का मौसम आया. दुख का मौसम आया. बिछड़न का मौसम आया. योजना थी कि दोनों इस रिश्ते को एक नाम देंगे और फिर फैमिली प्लानिंग की तरफ कदम बढ़ाएंगे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.

एक रोज़ प्लूटो रोज़ी के लिए खाने की तलाश में निकला. उसे पता था कि किस घर में मीट बनती और किस घर में मटर. अभी वह उन आंशिक पेट लवर्स के घर तक पहुंचा भी नहीं था कि एक ट्रक से उतरे लोगों ने उसका रास्ता रोक लिया.

ये ट्रक भेजा था नोएडा नगर निगम ने जिसमें पहले से अनेक प्लूटो बंद थे. 5 लोगों ने उसे पकड़ लिया. वह कुंकुआता रहा, सुसुआता रहा, कहता रहा कि अब वह आवारा कुत्ता नहीं है. उसका एक परिवार है. अब उसने वो सब काम छोड़ दिए हैं. तीन साल से उसने किसी को ना काटा है और न दौड़ाया है.

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(फोटो: Meta AI)

लेकिन उसकी दलीलें काम नहीं आईं और गाड़ी चली गई. इधर नीले ड्रम के भीतर लेटी रोज़ी इंतज़ार कर रही थी कि उसका प्लूटो कब आएगा. ये इंतज़ार अभी तक जारी है. ना जाने कब खत्म होगा. लेकिन रोज़ी को उम्मीद है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा और प्लूटो लौट आएगा.

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कुत्ते इंसान से कहीं ज्यादा आशावान होते हैं इसीलिए कुत्ते कभी आत्महत्या नहीं करते इंसान करते हैं. जिस दिन से रोज़ी को पता चला कि नगर निगम उसके प्लूटो को लेकर गया है उस दिन से रोज़ी ने सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाने की कसम खाई.

अब वह सिर्फ सरकारी गाड़ियों पर ही भौंकती है. सुबह चाय पीते हुए जब मैं रोज़ी से मिला तब मुझे एहसास हुआ कि बायोलॉजिकल हार्ट के अलावा कुत्तों में भी एक दिल होता है और दिल चाहें कुत्तों का हो या इंसान का ... आखिर टूट जाता है...

(लप्रेक यानी लघु प्रेम कथा यानी प्रेम के छोटे-छोटे किस्से)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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