क्‍या फर्क रह गया पप्पू यादव और लॉरेंस विश्नोई में? पूर्णिया सांसद ने ताजा कर दीं पुरानी यादें

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राजेश रंजन उर्फ पप्‍पू यादव- बिहार केपूर्णिया सेसांसद,जिनकी पृष्ठभूमि माफिया वाली रही है. कईसाल जेल में बिताएहैं.लूटपाट-अपहरण-फिरौती से लेकर हत्या तक के मुकदमे उन पर रहे हैं. पर अब सम्मानित सांसद हैं. लेकिन पुराने दिनों का नशा ऐसा है कि उनकी जुबां पर वहीं गैंग्स्टर वाली बोली ही छायी रहती है. इसी आदत के चलते उन्होंने ऐसा उड़ता तीर लिया कि अब सिट्टी पिट्टी गुम है. सरकार से गुहार लगाते फिर रहे हैं कि् मेरी सुरक्षा बढ़ाई जाए. अगर मेरी हत्या होती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार पर होगी. उक्त सांसद महोदय आम लोगों की तो छोड़िए,लोकसभा अध्यक्ष को भी नहीं बख्शते रहे हैं. लोकसभा की सदस्यता लेते हुए प्रोटेम स्पीकर को भी हड़का दिया था.

प्रोटेम स्पीकर ने सिर्फ इतना कहा था कि नारा लगाने की यह जगह नहीं है.इस बात पर पप्‍पू यादव नेस्पीकर को ही हड़का दिया. कहाकि 'छठी बार सांसद बने हैं... आप हमको सिखाइएगा... आप कृपा पर जीत कर आए हैं, हम अपने दम पर.' पर प्रोटेम स्पीकर महोदय पुरानी पीढ़ी के सांसद हैं, जाहिर है तौर तरीका उनकापुराना ही है. पर कुख्यात गैंग्स्टर लॉरेंस बिश्नोई भला क्यों लिहाज करे. जब सांसद महोदय को ही अपने जुबान पर काबू नहीं है. लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने कथित तौर पूर्णिया से इस निर्दलीय सांसद पप्‍पू यादवको जान से मारने की धमकी दी है.यह धमकी भराकॉल करने वाले का दावा है कि वह लगातार पप्पू यादव के कई ठिकानों की रेकी कर रहा है और उसे जान से मार डालेगा.

1- सांसद बनने के बाद भी गैंग्स्टर वाली भाषा बोलते हैं पप्‍पू यादव

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ये सब शुरू हुआ है लॉरेंस बिश्नोई को लेकर उनके बयान के बाद. असल में, एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से लॉरेंस बिश्नोईचर्चा में है - और उसका गैंग खत्म कर देने के दावे को लेकर पप्पू यादव अपने विरोधियों के निशाने पर आ गये थे.लॉरेंस बिश्नोई के कारनामों की चर्चा के बीच पप्पू यादव ने सोशल साइट X पर लिखा है, 'ये देश है या हिजड़ों की फौज... एक अपराधी जेल में बैठ चुनौती दे लोगों को मार रहा है, सब मूकदर्शक बने हैं... कभी मूसेवाला, कभी करणी सेना के मुखिया... अब एक उद्योगपति राजनेता को मरवा डाला... कानून अनुमति दे तो 24 घंटे में इस लॉरेंस बिश्नोई जैसे दो टके के अपराधी के पूरे नेटवर्क को खत्म कर दूंगा.'

पप्पू यादव का यह बयान उनके बड़बोलेपन का ही उदाहरण था. इसके साथ ही वह यह भी जताना चाहते थे कि उनकी भुजाओं में ताकत अभी कम नहीं हुई है. ऐसे गैंग्सटर को मैं आज भी अपने अंगुलियों पर नचाता हूं. माओ ने कभी लिखा था कि राजनीतिक ताकत बंदूक की नली से निकलती है. काफी हद तक यह आज भी यूपी और बिहार के लिए सही ही है. समर्थक तभी तक जय जयकार करता है जब तक वह समझता है कि उसके नेता में ताकत है. पर उनकी एक लाइन, 'ये हिजड़ों का देश', बेहद आपत्तिजनक है. देश का अपमान तो कर ही रहे हैं, LGBTQ लोगों का भी मजाक उड़ा रहे हैं, वो भी देश के चुने हुए जनप्रतिनिधि होकर भी.लेकिन पप्पू यादव को इसकी चिंता नहीं है क्योंकि यही बोलकर तो वो जनता के बीच लोकप्रिय होते हैं. अब तो पूरे देश में उनकी ही चर्चा हो रही है. वो तो इसी में खुश होंगे.

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2- जब धमकी आती है तोडर भी जाते हैं?

जो पप्पू यादव दोदिन पहले तक सलमान खान से मिलने पहुंच रहे थे. फोन करके सलमान खान को आश्वस्त कर रहे थे कि वो उनके साथ है, डरने की जरूरत नहीं है. वही आज लॉरेंस बिश्नोई का नाम लेने से भी डर रहे थे. पप्पू यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. इस दौरान पत्रकारों ने जब उनसेलॉरेंस बिश्नोई को लेकर सवाल किया तो वो भड़क गए थे. पत्रकारों से उन्होंने कहा था कि मैंने आपको पहले ही कहा था न कि आप ये सब फालतू सवाल यहां मत करिएगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपा खोने का पप्पू यादव का यह वीडियो भी वायरल हुआ है. उन्होंने सरकार से अपने जेड श्रेणी की सुरक्षा की मांग की है. यह भी कहा है कि अगर उनकी हत्या हो जाती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

3- तोपप्पू यादव और लॉरेंस बिश्नोई में अंतर हीक्या?

सांसद पप्पू यादव और लॉरेंस बिश्नोई में बस समय का अंतर है. हमारे देश के लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि जनता किसी को भी अपना हीरो बनाने के लिए स्वतंत्र है. आज लॉरेंस बिश्नोई कुख्यात गैंग्स्टर है तो कल वो संसद में भी पहुंच सकता है. हो सकता है कि पप्पू यादव की तरह आजीवन कारावास की सजा भुगतने वाले सजायाफ्ता कैदी से सांसद बनकर जनता के लिए कानून बनाने लगे. पप्पू यादव ने खुद कईसाल तक जेल में रहने के बाद सबूतों के अभाव में बरी हो जाए. यही हाल लॉरेंस बिश्नोई का भी होगा. कोई उसके खिलाफ गवाही देने नहीं आएगा. खुद पप्पू यादव भी शायद बिश्नोई के खिलाफ गवाही देने न आएं. पप्पू यादव कहते थे कि वे गरीबो मजलूमों की लड़ाई के चलते उन पर फर्जी केस हुए थे. बिश्नोई भी कहेगा कि वो देश के दुश्मनों से लड़ रहा था इसलिए उसे फर्जी फंसाया गया.

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4- पप्पू यादव की क्राइम कुंडली

जन अधिकार पार्टी संरक्षक पप्पू यादव बिहार के मधेपुरा के पूर्व सांसद हैं. 14 जून 1998 तो पूर्वी सीपीआई(माले) विधायक अजीत सरकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में पप्पू यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया था. इस मामले में पप्पू यादव कई साल जेल में बिताए .कुछ दिनों सिक्किम जेल में रहे फिर बेऊर जेल भेजा गया. सीबीआई के पास पहुंचे इस हत्याकांड के मामले के बाद पप्पू यादव को तिहाड़ जेल ले जाया गया.हालांकि सबूतों के अभाव के चलते 2008 में पप्पू यादव को रिहा कर दिया गया.

पप्पू यादव पहली बार 1990 में निर्दलीय विधायक चुने गए. सीमांचल में पप्पू यादव की तूती बोलती थी.उन पर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, बूथ कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हुए. लेकिन पप्पू यादव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में करीब कई साल जेल में रहना पड़ा.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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