जाति जनगणना करवा कर मोदी सरकार क्या विपक्ष से मुद्दा हथिया सकेगी?|Opinion

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जाति जनगणना पर केंद्र सरकार बहुत जल्दी फैसला ले सकती है. गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ ऐसे संकेत दिए हैं जिससे लगता है कि सरकार इस संबंध में विचार कर रही है. वैसे इसके पहले भी गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनावों के दौरान बिहार और छत्तीसगढ़ की रैलियों में जाति जनगणना कराने से कभी इनकार नहीं किया था.भारतीय जनता पार्टी के तमाम अन्य नेता भी इस संबंध में जो बातें करते रहे हैं वो जाति जनगणना के समर्थन वाले ही रहे हैं. अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा कर दी है कि2021 से लंबित जनगणना बहुत जल्द शुरू होगी. यही नहीं उन्होंने जाति जनगणना कराने के बारे में कहा कि इस संबंध में सरकार के फैसले को जनगणना की घोषणा के समय सार्वजनिक किया जाएगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार जाति जनगणना कराएगी, जो विपक्ष की एक प्रमुख मांग है, तो शाह ने इस संभावना से इंकार नहीं किया.वह एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. हालांकि सरकार जाति जनगणना कराकर विपक्ष को अचंभित कर सकती है. पर जाति जनगणना का क्रेडिट बीजेपी ले पाएगी इसमें संदेह ही है.

1-राहुल गांधी ने जाति जनगणना का मुद्दा जबरन हथिया लिया

जाति जनगणना के ध्वज वाहक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव आदि रहे हैं. यूपीए सरकार में इन लोगों ने जाति जनगणना की मांग की थी जिसे मनमोहन सरकार ने इनकार कर दिया था. बाद में दबाव के चलते यूपीए सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई भी पर उसकी रिपोर्ट को दबा लिया गया. जो आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है. जाति जनगणना के मसीहा सही मायने में नीतीश कुमार हैं जिन्होंने सबसे पहले बिहार में न केवल जातियों की गणना कराई बल्कि उनके रेशियो को ध्यान में रखकर आरक्षण की व्यवस्था भी की . हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी. पर लोकसभा चुनावों के कुछ समय पहले से राहुल गांधी ने जाति जनगणना का ऐसा राग अलापना शुरू किया जैसा कांग्रेस ने पहले कभी नहीं किया.

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यही नहीं कांग्रेस ने CWC में प्रस्ताव पारित कर ऐलान किया कि केंद्र की सत्ता में आने पर वो देश भर में जातिगत जनगणना कराएगी. यही नहीं लोकसभा चुनावों के मेनिफेस्टो में भी कांग्रेस की तरफ से ये वादा किया गया था कि सरकार बनी तो बिहार की ही तरह जातिगत गणना करायी जाएगी. हालांकि कराने को तो 'हेड-काउंट' छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल भी करा चुके हैं, यही नहीं कर्नाटक में 2015 के करीब काग्रेस के कार्यकाल में ही जाति जनगणना हो चुकी है. पर उपरोक्ततीनों ही मामले में जाति जनगणना तो हुई पर कांग्रेस सरकार कभी उसकी रिपोर्ट नहीं जारी नहीं कर सकी.

दरअसल लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अपेक्षित सफलता न मिलने के कारणों में से एक यह रहा कि उत्तर प्रदेश में पार्टी को ओबीसी और दलित वोटों का हिस्सा कम हो गया. 2014 और 2019 के चुनावों में पार्टी को मिले भारी बहुमत के पीछे इन दोनों ही समुदायों के वोटों की बड़ी भूमिका रही है. संविधान बदलने के दुष्प्रचार ने पार्टी का बहुत नुकसान किया है. बीजेपी लगातार राहुल गांधी के इस हमले का मुहंतोड़ जवाब देने का आइडिया ढूंढ रही थी. अब लगता है कि जाति जनगणना खुद कराकर सरकार इसका क्रेडिट लेना चाहती है.

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2-बीजेपी नेता भी जाति जनगणना की बात करते रहे हैं

बीजेपी ने कभी खुल कर जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया है, लेकिन जिस तरह बिहार की जातिगत गणना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान आते रहे हैं उससे तो यही लगता रहा है कि आज नहीं तो कल बीजेपी सरकार जाति जनगणना करायेगी ही.

बीजेपी का पहले का रुख देखें तो पाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों पर आरोप लगाया था कि वे राजनीति के लिए जाति के आधार पर समाज को बांट रहे हैं.केंद्रीय मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी जातिगत गणना के विरोध में कभी नहीं रही है. कुछ हद तक ये बात सही भी है, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के जिस प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे, बीजेपी ने भी अपना एक विधायक प्रतिनिधि के तौर पर भेजा था.यही नहीं जब बिहार में जाति जनगणना के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से परामर्श मांगा था तो उस समय भी केंद्र ने विरोध नहींकिया था.

जिस तरह से अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में जातीय जनगणना का जिक्र छेड़ा है, और बिहार पहुंच कर उस पर बीजेपी का पक्ष रखा था. बीजेपी का रुख साफ तौर पर तो उस समय ही सामने आ गया था.

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यही नहीं बिहार हो या यूपी , महाराष्ट्र हो या कर्नाटक सभी राज्यों में स्थानीय बीजेपी नेताओं जैसे केशव प्रसाद मौर्या, सम्राट चौधरी, देवेंद्र फडणवीस आदि ने जाति जनगणना का सपोर्ट करते रहे हैं.

3-आरएसएस ने भी कर चुकी है इशारा

अभी कुछ दिनों पहले ही आरएसएस ने जाति जनगणना पर सकारात्मक रुख दिखाकर भारतीय जनता पार्टी को इस संबंध में अपने इरादे से अवगत करा दिया था. आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन करते हुए संकेत दे दिया था. हालांकि आरएसएस ने यह भी कहा कि इसका उपयोग राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन केरल के पलक्कड़ में प्रेस से बातचीत में यह जानकारी दी. आरएसएस ने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उप-वर्गीकरण की दिशा में कोई भी कदम संबंधित समुदायों की सहमति के बिना नहीं उठाया जाना चाहिए.

4-बीजेपी के सहयोगी दल भी यही चाहते हैं

जाति जनगणना को लेकर एनडीए के घटक दलों में भी जाति जनगणना को लेकर सकारात्मक रुख दिखाते रहे हैं. जेडीयू और लोजपा ( रामविलास) सरकार में शामिल है पर जातिजनगणना पर इंडिया गठबंधन के दलों के समान ही चाहते हैं कि देश में जाति जनगणना होनी चाहिए. शायद यही कारण है कि बीजेपी ने कभी भी ऑफिशियली तौर पर जाति जनगणना का विरोध नहीं किया. पर विपक्ष लोकसभा चुनावों में जाति जनगणना का वादा अपने मेनिफेस्टो में करके जनता के बीच ऐसा संदेश देने की कोशिश की कि भारतीय जनता पार्टी जाति जनगणना और जातिगत आरक्षण की विरोधी है. विपक्ष ने इस मुद्दे पर इस तरह भ्रम पैदा किया कि जनता के बीच संदेश गया कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई तो आरक्षण को खत्म कर देगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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