क्या राहुल गांधी का मणिपुर दौरा भी हाथरस जितना ही ‘गैर-राजनीतिक’ होगा?

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मणिपुर में मई, 2023 में हिंसा शुरू होने के बाद राहुल गांधी का ये तीसरा दौरा है. जनवरी, 2024 में कांग्रेस के भारत न्याय यात्रा की शुरुआत भी राहुल गांधी ने मणिपुर के थौबल से की थी. मणिपुर के बाद वो न्याय यात्रा के साथ असम भी गये थे - और 22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर उद्घाटन समारोह के दौरान भी वो असम में ही थे.

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद वो मणिपुर पहुंचे हैं. उससे पहले राहुल गांधी यूपी के हाथरस में भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलेऔर गुजरात में भी अलग-अलग हादसों के पीडि़तों और उनके परिवारजनों से मिले. हाथरस से मणिपुर तक राहुल गांधी के दौरे को देखें तो निशाने पर बीजेपी ही नजर आएगी. यूपी, गुजरात, असल और मणिपुर सभी राज्यों में बीजेपी की ही सरकारें हैं - और ये सभी दौरे राहुल गांधी विपक्ष का नेता बनने के बाद कर रहे हैं.

हाथरस हादसे के पीड़ितों की तरह ही राहुल गांधी ने मणिपुर के लोगों को आश्वस्त भी किया है कि उनकी तकलीफें वो संसद में उठाएंगे. हाथरस में राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण बात कही थी, मैं इस घटना का राजनीतिकरण नहीं करना चाहता - क्या मणिपुर को लेकर भी राहुल गांधी का ऐसा ही इरादा है?

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हाथरस से मणिपुर तक बीजेपी को घेर रहे हैं राहुल गांधी

हाल के हाथरस दौरे से पहले राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव और अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ गैंग रेप की शिकार लड़की के परिवार वालों से मिलने गये थे. तब जाने से पहले भाई-बहन को पुलिसवालों से काफी जूझना पड़ा था, और राहुल गांधी को कुछ देर के लिए हिरासत में भी लिया गया था - लेकिन इस बार वो सीधे पहुंच गये, कहीं किसी ने रोका तक नहीं. हो सकता है, उनके नेता प्रतिपक्ष बन जाने का भी थोड़ा असर हो.

हाथरस दौरे को गैर राजनीतिक बताते हुए राहुल गांधी ने जताया कि वो पीड़ितों का दर्द बांटने पहुंचे थे. कहने को तो सीएए के खिलाफविरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रियंका गांधी भी कहती थीं, दर्द बांटने आई हूं, लेकिन राहुल गांधी अगर दर्द बांटने की बात कर रहे हैं, तो वो उस पर फोकस भी नजर आ रहे हैं. प्रियंका गांधी तो फौरन ही राजनीतिक बयानबाजी शुरू कर देती थीं - राहुल गांधी वैसा नहीं कर रहे हैं, शायद ये विपक्ष का नेता बनने के बाद जिम्मेदारी महूसस हो रही है.

राहुल गांधी ने हाथरस हादसे के लिए प्रशासन के इंतजामों को नाकाफी बताया था - और उसके बाद दिल्ली लौटकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को को पत्र लिखा है. राहुल गांधी ने पत्र के जरिये हाथरस के पीड़ितों को मिला मुआवजा नाकाफी बताया है. अब ये मामला राहुल गांधी संसद में उठाएंगे, ऐसा वादा वो हादसे के पीड़तों से करके आये हैं.

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यूपी के बाद दिल्ली में मजदूरों और लोको पायलट से मिलने के बाद राहुल गांधी गुजरात गये थे. शनिवार को उन्‍होंने राजकोट के टीआरपी गेम जोन अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की. यहीं उन्‍होंने 2022 के मोरबी पुल हादसे, हरनी झील में नौका डूबने से मरने वाले लोगों के परिजनों और 2016 में उना दलित उत्‍पीड़न कांड के पीड़ि‍तों से मिले. और सबको आश्‍वासन दिया कि वे उनकी आवाज़ संसद में उठाएंगे.असल में, संसद में राहुल गांधी हिंदू धर्म और हिंसा की बात करते हुए मोदी और बीजेपी पर हमले के बाद 2 जुलाई को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अहमदाबाद के कांग्रेस दफ्तर पर धावा बोल दिया था. हिंसक झड़प में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता घायल हो गये थे. राहुल गांधी घायल कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे थे.

बीजेपी को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'यही वो जगह है जहां उन्होंने हमारा ऑफिस तोड़ दिया. मुझे लगा कि हम उन्हें सबक सिखाएंगे... उनकी सरकार को तोड़ने जा रहे हैं.'

कार्यकर्ताओं से बातचीत में राहुल गांधी ने अपना संसद वाला भाषण भी दोहराया, आपके कार्यालय में आप पर हमला किया है, आपको डरने की जरूरत नहीं है... हम गुजरात में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराएंगे, जैसा कि हमने अयोध्या में किया था.

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इसी महीने 22 जुलाई को संसद का नया सत्र शुरू होने जा रहा है, जब 23 जुलाई को बजट पेश किया जाएगा - और उसके बाद राहुल गांधी अपने वादे के मुताबिक हाथरस और मणिपुरा का मुद्दा संसद में उठाएंगे.

राहुल गांधी का तीसरा मणिपुर दौरा

राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा ऐसे वक्त प्लान की गई जब प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर हैं. कांग्रेस नेता लोगों को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जब प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा कर रहे हैं, तब राहुल गांधी उस राज्य के लोगों के साथ खड़े हैं, जहां के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह देख रहे हैं. वैसे अरसा बाद, संसद सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर केंद्र और मणिपुर की बीजेपी सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयासों का विस्तार से जिक्र किया था.

भारत जोड़ो न्याय यात्रा से पहले राहुल गांधी 30 जून, 2023 को पहली बार मणिपुर गये थे. तब वो सांसद भी नहीं थे, क्योंकि मानहानि के एक केस में सजा होने के कारण लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट से सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने संसद पहुंचते ही मणिपुर का मुद्दा उठाया था.

मणिपुर में कई महिलाओं से मुलाकात का जिक्र करते हुए तब राहुल गांधी ने कहा था, एक औरत से मैं मिला... और मैंने उनसे पूछा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ, तो वो औरत कांपने लगीं... और बेहोश हो गईं... इन्होंने सिर्फ मणिपुर को नहीं बल्कि हिंदुस्तान का क़त्ल किया है.

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फिर बोले, मणिपुर के लोगों की हत्या करके आपने भारत माता की हत्या की है... आप ने ये करके देशद्रोह किया है... इस वजह से पीएम मोदी मणिपुर नहीं जाते हैं... एक मां मेरी यहां बैठी है, और दूसरी मां को आपने मणिपुर में मारा है.

एक मीडिया रिपोर्ट में कांग्रेस के मणिपुर के कांग्रेस प्रभारी गिरीश चोडानकर कहते हैं, हम ये दिखाना चाहते हैं कि मणिपुर भारत का अभिन्न अंग है… राहुल जी का दौरा राजनीतिक नहीं है, बल्कि मणिपुर के लोगों का दर्द बांटने के लिए है... वह वहां प्रेम का संदेश लेकर जा रहे हैं... जहां भी नफरत है, वो वहां प्रेम के साथ जाएंगे... हमें उम्मीद है प्रधानमंत्री भी वहां जाएंगे - क्योंकि हिंसा शुरू होने के बाद से राहुल गांधी तीसरी बार वहां गये हैं.

दिल्ली में भले ही कामयाबी नहीं मिल पाई हो, लेकिन यूपी और बिहार में अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसे क्षेत्रीय नेताओं के साथ गठबंधन से जो कुछ हासिल हुआ है, राहुल गांधी उसी चीज को अकेले दम पर आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.

हाथरस दौरे में राहुल गांधी ने जो गंभीरता और राजनीतिक परिपक्वता दिखाई, उसकी उनको बहुत पहले से जरूरत थी. राहुल गांधी के दौरे प्लान किये जाने में जो रणनीति नजर आ रही है, वो विपक्ष के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है - सबसे अच्छी बात ये है कि राहुल गांधी जहां भी जा रहे हैं, इंडिया गठबंधन की बात करते हैं. जैसे गुजरात दौरे में राहुल गांधी ने अयोध्या में बीजेपी को शिकस्त देने का उदाहरण दिया.

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मणिपुर और हाथरस दोनों की बात करें तो राहुल गांधी का दौरा ही उनका राजनीतिक बयान है, और अगर ऐसे मामलों का राजनीतिकरण नहीं करते तभी लोगों से कनेक्ट भी होंगे - वरना, सोशल मीडिया पर 'जननायक' लिखने से कुछ नहीं होता.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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