कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी की गलतियों को स्वीकार करके एक बहुत बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है. किसी भी पार्टी या संस्थान के सर्वोच्च नेता के लिए अपनी गलतियां स्वीकार करना बहुत बड़े साहस का काम होता है. इसके साथ ही राहुल गांधी कायह कहना कि आने वाले समय में उनकी पार्टी को राजनीति बदलनी होगी यह कहकर उन्होंनेऐसा संकेत दिया है कि जिससे कई मायने निकाले जा सकते हैं. इसका मतलब एक तो सीधा यही लगाया जा रहा है किअगर वो सत्ता में आते हैं तो पार्टी दूरगामी परिणाम वाले फैसले ले सकती है. हो सकता है कि सरकार में आने पर कई ऐसे फैसले लिए जाएं जो पुरानी कांग्रेस के लिए कभी संभव नहीं रहा हो. तो क्या राहुल गांधी ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि पीएम की कुर्सी पर अगर बैठते हैंपार्टी और सरकार इस तरह के फैसले ले सकती है?
1-क्या मंडल कमीशन का रिपोर्ट न लागू करने को भूल मानते हैं राहुल?
राहुल गांधी जिस तरह पिछले एक साल से लगातार जातिगत जनगणना कराने और पिछड़ों को अधिकार दिलाने की बात करते हैं उससे यही लगता है उन्हें कहीं न कहीं से कांग्रेस द्वारा मंडल कमीशन को दबाए रखने का मलाल है. राहुल आए दिन यह कहते हुए सुने जाते हैं कि सरकारीयोजना बनाने वाले जिम्मेदार लोगों में कितने व्यक्ति पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के हैं? जाहिर है कि मोदी सरकार के पहले भी पिछड़ी जातियों और दलितों कीस्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. इसका मतलब है कि उन्हें अपनी पार्टी के सरकारों पर नाराजगी है. क्यों कि कांग्रेस सरकारें भीऐसी व्यवस्था नहीं बना सकीं जिसमें दलितों और पिछड़ों के लिए फैसले करने वाले जिम्मेदार लोगों में उनकी संख्या पर्याप्त हो.
राहुल ने लखनऊ में जिस स्थान पर कांग्रेस की गलतियां स्वीकार कीं उसी स्पीच में उन्होंने यह भी कहा था कि देश में बड़ी संख्या में लोगों का भविष्य जन्म से पहले ही तय हो जाता है. राहुल ने कहा, लोगों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जाता है, जिससे तय होता है कि वे कौन सा काम करने में सक्षम हैं और कौन सा काम नहीं कर सकते.राहुल आगे कहते हैं कि हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों ने यह जीवन जीया है… जहां उन्होंने अपना भविष्य तय नहीं किया है, बल्कि समाज ने उनके लिए यह किया है.इसमें कितनी क्षमता खो गई है?
राहुल की इस स्पीच से यही लगता है कि वर्तमान जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए वो कड़ा कदम उठाएंगे. हो सकता है कि उनकाकदम आरक्षण की सीमारेखा बढ़ाने से भी ज्यादा हो. अगर वो ऐसाकर पाते हैं तो जाहिर है कि यही कहा जाएगा राहुल गांधी का लखनऊ में दिया हुआ स्पीच एक जुमला नहीं था.
2-क्या आर्थिक उदारीकरण करने को कांग्रेस की गलती मानते हैं?
राहुल गांधी लगातार देश के प्रमुख पूंजीपतियों गौतम अडानी और मुकेश अंबानी पर हमले करते रहे हैं. वो लगातार यह कहते रहे हैं कि देश की पूंजी कुछ खास लोगों के पास इकट्ठी हो रही है. राहुल कहते हैं कि कांग्रेस ने कुछ गलतियां की हैं. इसका मतलब हो सकता है कि राहुल गांधी को नरसिम्हा राव के पीएम रहते हुए किए गए आर्थिक उदारीकरण का मलाल हो. क्योंकि देश में 1991 के बाद से ही लगातार अरबपतियों के संख्या बढ़ी है. अंबानी-अडानी आदि का नाम विश्व के प्रमुख उद्योगपतियों में शुमार हुआ है.
यूपीए सरकार के दौरान मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भी तमाम ऐसे फैसले लिए गए जो देश में पूंजीपतियों की संपत्ति बढ़ाने में कारगर साबित हुए. राहुल गांधी कहते हैं कि पार्टी को आने वाले समय में अपनी राजनीति बदलनी होगी.तो क्या राहुल गांधी के नेतृत्व में यदि सरकार बनती है तो वो ऐसे कानून लाएंगे जैसा की उनके मार्गदर्शक सैम पित्रोदा चाहते हैं. कांग्रेस के मैनिफेस्टो में भी कुछ इस तरह की बातें हैं जो पूंजी के कुछ खास लोगों के पास इकट्ठाहोने से रोकने की बात की गई है.उम्मीद की जानी चाहिए कि राहुल गांधी अपनी सरकार बनने पर ऐसे समाजवादी फैसले लेंगे जिससे पूंजीपतियों का भला होने की जगह आम लोगों का भला होगा.
3-क्या धार्मिक आधार पर आरक्षण न दे सकने को मानते हैं गलती?
राहुल गांधी ने पिछले दिनों केवल पिछड़ों के लिए ही नहीं देश में अल्पसंख्यकों की खराब स्थिति के लिए भी उनके प्रति संवेदनाएं दिखाई हैं. जाहिर है कि मुसलमानों की दुर्दशा का कारण मोदी सरकार के पिछले 10 साल नहीं है. मुस्लिमों की दशा खराब करने के पीछे कांग्रेस राज का हाथ भी रहा है.हो सकता है राहुल ने कांग्रेस की जो गलतियां स्वीकार की हैं उसमें वो धार्मिक आधार पर मुसलमानों को आरक्षण न देने जैसे गलती को गिन रहे हों. पार्टी मेनिफेस्टो में भी अल्पसंख्यक कल्याण की बहुतेरी योजनाएं हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार आई तो पिछड़ों और दलितों को मिले आरक्षण का एक हिस्सा मुस्लिम आरक्षण को भी जा सकता है. फिलहाल कर्नाटक सहित कुछ और राज्यों में सभी मुसलमानों को पिछड़ा मानकर ओबीसी कोटे का आरक्षण मिल रहा है.राहुल गांधी या कांग्रेस ने कभी भी नरेंद्र मोदी के लगाए आरोपों पर खुलकर कुछ नहीं बोला. तो क्या राहुल गांधी सरकार बनने पर मुसलमानों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करेंगे?
4-क्या इमरजेंसी के लिए मांगेंगे माफी?
राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी ने जिस तरह देश में 1975 में इमरजेंसी लगाकर सभी नागरिक अधिकारों का अंत कर दिया था. राहुल गांधी ने मार्च 2021 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 से 77 तक लगाया गया आपातकाल एक गलती थी और उस अवधि में जो हुआ वह भी गलत था.राहुल गांधी ही नहीं समय समय पर और भी कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार किया है कि इमरजेंसी लगाना तत्कालीन कांग्रेस सरकार की बहुत बड़ी भूल थी. उम्मीद की जानी चाहिए कि राहुल अगर सत्ता में आते हैं तो नागरिक अधिकार हमेशा बने रहें इसके लिए कुछ कदम उठाएंगे. ऐसा देखा जा रहा है कि बहुत से नागरिक अधिकार अपरोक्ष रूप से गायब हो रहे हैं. मतलब कि कानूनन तो वो उपलब्ध हैं पर रियलिटी में धोखा है. राहुल गांधी से उम्मीद होगी कि वो कुछ ऐसा करें कि नागरिक अधिकार का गारंटी मिले.
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.