फिल्म:सिंघम अगेन
- कलाकार : अजय देवगन, करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, टाइगर श्रॉफ, रणवीर सिंह
- निर्देशक :रोहित शेट्टी
एक मसाला फिल्म अगर आपसे सीटी न बजवा दे, पैरों में करंट न दौड़ा दे और आपको हूटिंग करने पर मजबूर न कर दे, तो फिर वो सच्ची मसाला फिल्म नहीं होती. शायद उसमें मसाला कच्चा रह गया है, सही से पका नहीं है. रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स का अवेंजर्स मोमेंट बनकर आई 'सिंघम अगेन' देखने का मकसद ही यही है कि आदमी त्यौहार के मौके पर, दिमाग और लॉजिक किनारे रख के सिर्फ एन्जॉय करे.
अजय देवगन स्टारर 'सिंघम अगेन' का ट्रेलर एक्शन, ड्रामा, स्टारकास्ट और बड़ी स्क्रीन पर धमाका करने वाले हर तरह के मोमेंट का वादा कर रहा था. लेकिन क्या रोहित शेट्टी अपने वादे के मुताबिक मारक मजा डिलीवर कर पाए? इस सवाल का जवाब जरा पेंचीदा है.
क्या है कहानी?
'सिंघम अगेन' की कहानी कश्मीर से शुरू होती है, जहां बाजीराव सिंघम ने 'आतंकवाद का नामोनिशान मिटा दिया है.' फिल्म बताती है कि सिंघम की फोर्स ने मिलिटेंट बन चुके युवाओं को रिफॉर्म करके उन्हें भी फ़ोर्स का हिस्सा बनाया है. कश्मीर टूरिज्म के इस विज्ञापन के बीच ही सिंघम पर अटैक होता है. लेकिन सिंघम न सिर्फ अटैक से बचता है, बल्कि हमलावर को दबोच भी लेता है जो कोई और नहीं उमर हाफिज (जैकी श्रॉफ) है.
यहां समझ नहीं आता कि कौन सा फैक्ट ज्यादा चौंकाने वाला है- इस उम्र में जैकी को धुआंधार तरीके से बाइक राइड करते देखना या फिर पिछली कॉप यूनिवर्सफिल्मों में भयानक माने जा रहे किरदार का शुरू में ही अरेस्ट हो जाना?
उमर ने सिंघम को बताया है कि कोई है जो उससे भी खतरनाक है और वो आ रहा है. इतना पता है कि वो तमिलनाडु से आएगा. अबतक मिनिस्टर बने रवि किशन भी आपको नजर आ चुके हैं और एक देशभर में आतंक को काउंटर करने के लिए एक नया स्क्वाड बन चुका है जिसका नाम है 'शिवा स्क्वाड'. इस स्क्वाड में हर इलाके के 'सिंघम' ऑफिसर्स हैं. तो तमिलनाडु से आने वाले खतरे को हैंडल करने की जिम्मेदारी दी जाती है लेडी सिंघम उर्फ शक्ति शेट्टी को. उसे एक छोटी कामयाबी मिलती है, लेकिन बड़ी नाकामयाबी.
यहां पहली बार आपको फिल्म का विलेन 'डेंजर लंका' (अर्जुन कपूर) नजर आता है. वो शक्ति शेट्टी के पुलिस स्टेशन में घुसकर 15 पुलिस वालों को मार डालता है. हालांकि, जिस तरह वो इस कांड को अंजाम देता है उससे आपको साउथ की कई फिल्में याद आएंगी. शक्ति शेट्टी अपने थाने पर ये हमला इसलिए नहीं रोक पातीं, क्योंकि उनका फोन नहीं लग रहा था. ये टिपिकल रोहित शेट्टी वाली दिक्कतें हैं, जो उनकी हर फिल्म में रहती हैं.
40 मिनट बाद डूबने लगती है फिल्म
किरदार हीरोइज्म तो दिखाते हैं, मगर उनके लिए हीरोइज्म दिखाने का मौका, उनकी ही किसी निहायत बेवकूफाना गलती से बनता है. किसी का फोन न लगना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस तरह के हीरो रोहित कॉप यूनिवर्स के ये किरदार हैं, क्या उन्हें ऐसा करना शोभा देता है?
यहां से जो समस्या दिखनी शुरू होती है, वो आपको लगातार दिखती रहेगी. ट्रेलर में आपने देखा ही होगा कि डेंजर लंका, सिंग्हम की पत्नी अवनि (करीना कपूर) को अगवा कर के ले जाता है. दरअसल, अवनि एक प्रोजेक्ट रामायण पर काम कर रही है, जिसकी कुछ फुटेज डिलीट हो गई है, और इसे दोबारा शूट करने वो खुद कैमरा लेकर फील्ड में है. खतरे को देखते हुए उसके साथ पुलिस ऑफिसर्स भी हैं. लेकिन मैडम ने चाय मंगाई, पुलिसवाला लेने गया, और इधर इनका किडनैप हो गया.
डेंजर लंका की इस हरकत को सिंघम का ट्रेन किया हुआ एक और ऑफिसर सत्या (टाइगर श्रॉफ) भी रोकने की कोशिश करता है. सत्या की फाइट वगैरह किसी भी आम पुलिस वाले की तरह नहीं है, क्योंकि वो एक कलारिपयाट्टू मास्टर है. वो जिस आश्रम में बड़ा हुआ है, वो उसी जंगल में है जिसके रास्ते डेंजर लंका अवनि को लेकर जा रहा है. सत्या भी एक बार कामयाब होता है, लेकिन फिर उसके आश्रम पर डेंजर लंका खुद अटैक कर देता है. और इस कलारिपयाट्टू मास्टर को इतना बेसिक नहीं पता कि घर के पिछले गेट से भी विलेन के गुंडे आ सकते हैं.
अवनि घायल भी हो जाती है और लंका उसे फिर लेकर चल देता है. सत्या का भी काम तमाम होने ही वाला होता है कि तभी सिंघम सर आ जाते हैं. जो थोड़ी ही देर पहले हेलीकॉप्टर से, उस जगह पहुंचे थे जहां पर सत्या ने अवनि को बचाया था. उन्हें पता भी लगा था कि अवनि अब सत्या के आश्रम पर है. लेकिन वो हेलिकॉप्टर से सीधा आश्रम नहीं पहुंचे. यही सब गलतियां तो सिंघम सर को इंसान बनाती हैं, वरना रोहित ने तो उनके लिए संस्कृत में स्तुतियां वगैरह जोड़कर उन्हें देवता बना ही दिया था.
पहले 40 मिनट तक लग रहा था कि 'सिंघम अगेन' शायद सच में पिछली फिल्मों से बेहतर होने वाली है. लेकिन इसके बाद जो कुछ होता है, वो पूरे नैरेटिव की स्पीड स्लो करता चला जाता है. सेकंड हाफ शुरू होते ही कहानी में कॉप यूनिवर्स के पुराने खिलाड़ियों सिंबा (रणवीर सिंह) और सूर्यवंशी (अक्षय कुमार) का जिक्र आना शुरू होता है. और फिर सिंबा को स्क्रीनप्ले में जिस तरह छोड़ा गया है, वो एक हद के बाद इरिटेटिंग हो जाता है.
लंका कांड में स्टंट्स का ओवरलोड
डेंजर लंका अपना बदला लेने के लिए सिंघम की पत्नी को श्रीलंका ले पहुंचा है. और अब फिल्मी संविधान तो यही कहता है कि सिंघम को अपने पूरे दल-बल के साथ श्रीलंका में घुस जाना चाहिए. और इतना तो आप ट्रेलर में ही देख चुके हैं कि होगा भी यही. दिलचस्प बात ये है कि ट्रेलर में आपने जो कुछ देखा है, फिल्म में वही सबसे एक्साइटिंग हिस्से भी हैं. वरना फाइट सीक्वेंस और स्टंट्स तो सिर्फ ये दिखाने के लिए हैं कि इंसानी दिमाग बिना लॉजिक के कितनी दूरी तक जाता है. उसी दूरी के दूसरे छोर पर अक्षय कुमार भी आ जाते हैं. देखिए 'सिंघम अगेन' का ट्रेलर:
'सिंघम अगेन' सिर्फ अजय देवगन के लीड हीरो के अंदर मोमेंट्स डिलीवर करती है. बाकी किरदारों के फैन्स को भी फिल्म में बहुत कुछ एक्साइटिंग नहीं मिलने वाला. रोहित शेट्टी ने 'सिंघम अगेन' को रामायण की कहानी की तरफ रेफरेंस देने की इतनी कोशिश की है कि उसका दबाव पूरी फिल्म पर नजर आता है. किसी भी फ्रेम में अगर अजय के साथ कोई दूसरा स्टार है, तो रामायण के किसी सीन के साथ इंटर-कट जरूर होगा. पूरी फिल्म में ये जारी रहता है और सही मायनों में ये फिल्म का पूरा फ्लो भी बिगाड़ता है.
रोहित शेट्टी ने कई एक्शन सीक्वेंस यकीनन बहुत अच्छे डिजाईन किए हैं मगर उन्हें ये काम किसी कहानी के साथ करना चाहिए था. बिना इमोशन, बिना ड्रामा, बिना ऑरिजिनल आईडियाज के पूरा मामला बहुत ज्यादा मैकेनिकल लगता है. अजय देवगन की एक्टिंग जरूर ध्यान बांधे रखती है और सिंघम के किरदार में इसे उनकी सबसे दमदार परफॉरमेंस कहा जाएगा.
बाकी सभी एक्टर्स करीना हों, या दीपिका और रणवीर सिंह... सब बस अपने डायरेक्टर के विजन पर खरा उतरने के लिए दम लगाते नजर आते हैं. मगर फिल्म का कॉन्सेप्ट ही इतना ओवरलोड हो चुका है कि सेकंड हाफ में ये बोरिंग लगने लगता है. स्क्रीन पर इतना कुछ घट रहा है, धमाके हो रहे हैं, गाड़ियां उड़ रही हैं, लोग स्टंट कर रहे हैं मगर आप बस पत्थर की तरह बिना किसी रिएक्शन देखते जा रहे हैं.
मसाला फिल्मों में लॉजिक नहीं खोजा जाना चाहिए, ये बिल्कुल सच बात है. मगर एक मसाला फिल्म को अपने खुद के लॉजिक में थोड़ा इंटेलिजेंट दिखने की कोशिश तो जरूर करनी चाहिए. 'सिंघम अगेन' एक और ग्रैंड फिल्म बनाने की कोशिश में बहुत सारी चीजों को जोड़कर, उन्हें संभालने में नाकाम फिल्म नजर आती है.
अजय देवगन हों या रणवीर सिंह या फिर अक्षय कुमार, स्टार्स के फैन्स के लिए भी बहुत कम ही मजेदार मोमेंट हैं. यहां तक कि 'सिंघम अगेन' में सलमान खान का कैमियो भी, उनके सारे कैमियो रोल्स से ठंडा है.
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