कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर खालिस्तानियों के हमले के बाद से तल्खी भरे रिश्ते और तल्ख होते जा रहे हैं. खालिस्तानियों को लगातार मिल रही कनाडाई शह के बाद कनाडा पुलिस की एक और कारस्तानी सामने आई है.
कनाडा पुलिस ने हिंदू विरोधी फरमान जारी किया है. इस फरमान में हमले के विरोध में हिंदुओं के प्रदर्शन को गैरकानूनी बताया गया है. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान हथियार देखे गए थे. इस तरह के प्रदर्शन में शामिल लोग गिरफ्तार हो सकते हैं.
कनाडा के ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में श्रद्धालुओं पर खालिस्तानियों के हमले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही हिंदूमंदिर के बाहर खालिस्तानियों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले कनाडाई पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया है.
पील रीजनल पुलिस ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि इन तीनों को ब्रैम्पटन में ओंटारियो कोर्ट ऑफ जस्टिस के समक्ष पेश किया जाएगा. गिरफ्तार किए गए लोगों में 23 साल का विकास और 31 साल का अमृतपाल सिंह है. इस मामले में चौथे शख्स को भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया था.
यह पहला वाकया नहीं है जब खालिस्तानियों ने कनाडा में हिंदुओं और उनके मंदिरों को निशाना बनाया हो. इससे पहले जुलाई में कनाडा के अल्बर्टा प्रोविंस में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी और उसकी दीवारों पर हिंदू विरोधी नारे और चित्र उकेरे गए थे. 23 जुलाई, 2024 की सुबह एडमॉन्टन में बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर का बाहरी हिस्सा कलर स्प्रे से हिंदू विरोधी चित्रों और नारों से रंगा हुआ पाया गया था.
मंदिर प्रबंधन ने एडमॉन्टन पुलिस को इस घटना के बारे में सूचित किया. मंदिर की दीवारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय-कनाडाई सांसद चंद्र आर्य को निशाना बनाते हुए 'हिंदू आतंकवादी' शब्द लिखे गए थे. सितंबर 2022 के बाद से यह चौथी बार था, जब कनाडा में किसी BAPS मंदिर को निशाना बनाया गया. इससे पहले टोरंटो में बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर को सितंबर 2022 में खालिस्तान समर्थक चित्रों और नारों से रंग दिया गया था.
पिछले साल अप्रैल में, ओंटारियो के विंडसर शहर में बीएपीएस मंदिर को इसी तरह निशाना बनाया गया था, इसके बाद अगस्त 2023 में मेट्रो वैंकूवर क्षेत्र में बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था मंदिर को निशाना बनाया गया था. कुल मिलाकर, 2022 के बाद से कनाडा में लगभग 20 से अधिक हिंदू मंदिरों को इसी तरह से निशाना बनाया गया है. कनाडा की लॉ एंफोर्समेंट एजेंसियां अभी तक इन घटनाओं के पीछे के लोगों की पहचान नहीं कर सकी हैं.
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