नीदरलैंड के सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे CM नायडू, जानिए बाढ़ रोकने में कैसे मदद करता है ग्रैविटी कनाल सिस्टम

4 1 8
Read Time5 Minute, 17 Second

आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलेपमेंट अथॉरिटी (CRDA) ने सोमवार को राज्य की विकास परियोजनाओं को लेकर कुछ प्रमुख फैसले लिए. रिंग रोड निर्माण और जलाशयों की प्रणाली के इस्तेमाल के बीच नायडू सरकार के एक फैसले ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. सरकार ने राज्य में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए नीदरलैंड के ग्रैविटी कनाल सिस्टम का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खुद इस बैठक की अध्यक्षता की.

वर्ल्ड बैंक ने रखी शर्त

नगरपालिका प्रशासन और शहरी विकास (एमएयूडी) मंत्री पी नारायण ने कहा कि वर्ल्ड बैंक अमरावती के लिए 15,000 करोड़ रुपये जारी करने पर सहमत हुआ है, लेकिन उसने राज्य सरकार से अपनी बाढ़ रोकथाम योजनाओं को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि सितंबर में विजयवाड़ा बाढ़ ने राजधानी क्षेत्र में चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी थी और राज्य सरकार इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहती है.

क्या काम करवा रही नायडू सरकार?

उन्होंने बताया कि अमरावती के 217 किलोमीटर के विस्तार सहित विभिन्न हिस्सों में जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है. राजधानी क्षेत्र में कोंडावेती और पलावागु में ग्रैविटी कनाल रिजरवॉयर का निर्माण किया जा रहा है, जबकि नीरुकोंडा, कृष्णयापलेम, सखामुरु और वुंडावल्ली में स्टोरेज रिजरवॉयर का निर्माण चल रहा है.'

Advertisement

नहरों का इस्तेमाल कर जल प्रबंधन में नीदरलैंड का इतिहास रहा है. नीदरलैंड में ग्रैविटी का इस्तेमाल कर पानी को नदी या नहर से खेतों या रिजरवॉयर की तरफ मोड़ा जाता है. अप्रैल 2017 में डच कंसलटेंट्स और टीसीएस ने अमरावती के लिए रिजरवॉयर्स और आंतरिक जलमार्गों की डिजाइन सबमिट की थी.

क्या है ग्रैविटी कनाल सिस्टम?

ग्रैविटी कनाल सिस्टम (Gravity Canal System) मूलत: एक जल निकासी और सिंचाई प्रणाली है जो गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर आधारित होती है. इस सिस्टम में पानी को नहरों के माध्यम से ग्रैविटी द्वारा एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जाता है. इसमें पानी को नियंत्रित करने के लिए किसी प्रकार की पंपिंग या बाहरी ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इस सिस्टम में पानी ऊंची जगह से निचली जगह की ओर बहता है, जिससे पानी का प्रवाह स्वाभाविक और प्राकृतिक रूप से होता है.

canal system

(तस्वीर से कनाल सिस्टम को समझा जा सकता है/ Meta AI)

क्यों खास है ग्रैविटी कनाल सिस्टम?

इस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि ये गुरुत्वाकर्षण पर आधारित है. इसमें पानी का बहाव बिना किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत के होता है. मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया जाता है जिसमें नहरों और चैनलों का इस्तेमाल होता है. ये चैनल ही पानी को खेतों तक पहुंचाते हैं. इसे बनाने में अपेक्षाकृत कम खर्च आता है क्योंकि इसमें पंपिंग की आवश्यकता नहीं होती.

Advertisement

भारत में कई सिंचाई परियोजनाओं में ग्रैविटी कनाल सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि गंगा नहर, इंद्रप्रस्थ नहर, आदि. ये नहरें किसानों को सिंचाई के लिए पानी प्रदान करने में सहायक होती हैं. ग्रैविटी कनाल सिस्टम की एक और खास बात यह है कि ये पर्यावरण-फ्रेंडली होती है, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रिसिटी या ऊर्जा की जरूरत नहीं होती.

बाढ़ रोकने में कैसे मदद करता है सिस्टम?

ग्रैविटी कनाल सिस्टम बाढ़ रोकने में कुछ हद तक मदद कर सकता है. यह मुख्य रूप से जल निकासी और सिंचाई के लिए डिजाइन किया गया है. ग्रैविटी कनाल सिस्टम का इस्तेमाल नदियों या जलाशयों के पानी को नियंत्रित स्थानों पर परिवर्तित करने के लिए किया जाता है, जिससे जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ के पानी को सुरक्षित रूप से निचले क्षेत्रों से बाहर निकाला जा सकता है.

नहरों और चैनलों के माध्यम से पानी का प्रवाह एक नियंत्रित तरीके से किया जा सकता है, जिससे पानी को बिना किसी रुकावट के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सकता है. इससे बाढ़ आने की स्थिति में नदियों और अन्य जलाशयों का दबाव कम हो सकता है. यह सुनिश्चित करता है कि अधिक पानी तुरंत निचले क्षेत्रों में न पहुंचे, ताकि बाढ़ के प्रभाव को रोका जा सके और उससे निपटने की तैयारी की जा सके.

Advertisement

canal system

(फोटो: Meta AI)

आंध्र प्रदेश के लिए गंभीर है बाढ़ की समस्या

मॉनसून सीजन में आंध्र प्रदेश के कई इलाके जलमग्न हो जाते हैं और बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. गोदावरी, कृष्णा, वंशधारा और नागावली के बाढ़ क्षेत्र भारी बारिश के कारण पानी में डूब जाते हैं. छोटी नदियों में भी कभी-कभी बाढ़ आती है. चक्रवात के कारण भारी बारिश राज्य में बाढ़ का मुख्य कारण रही है. 2006 की गोदावरी बाढ़, 2009 की कृष्णा बाढ़ और 2018 और 2019 की बाढ़ राज्य में हाल के वर्षों में देखी गई सबसे विनाशकारी बाढ़ घटनाओं में शामिल हैं.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

साहित्य आजतक 2024: फिर लौट रहा शब्द-सुरों का महाकुंभ, यहां करें रजिस्ट्रेशन

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now