ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पेंसिल्वेनिया में कैसे लगाई सेंध? क्यों कमला हैरिस को घर-घर घूमकर समर्थन जुटाना पड़ रहा

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग में अब सिर्फ कुछ घंटे बचे हैं. अमेरिकी जनता अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डालेगी. इन आखिरी घंटों में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं तो डेमोक्रेट कमला हैरिस भी धुंआधार कैंपेन में जुटी हैं. हर चुनाव की तरह इस बार भी नया राष्ट्रपति चुनने में स्विंग स्टेट्स (Swing States) की अहम भूमिका होगी. लेकिन इन सात स्विंग स्टेट्स में पेंसिल्वेनिया पर हैरिस और ट्रंप का पूरा फोकस है. सवाल है क्यों?

पेंसिल्वेनिया जिसे दशकों से डेमोकेट्स का गढ़ माना जाता है. कहा जाता है कि यहां जीत दर्ज करने वाला राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठता है. लेकिन अब इसी डेमोक्रेटिक गढ़ में रिपब्लिकन ट्रंप सेंध लगा रहे हैं. Battle of Ground बन चुका पेंसिल्वेनिया जीतने की होड़ में ट्रंप और कमला हैरिस दोनों ही यहां डेरा डाले हुए हैं और यहां धुंआधार प्रचार कर रहे हैं.

डेमोक्रेटिक पेंसिल्वेनिया में ट्रंप ने लगाई सेंध!

अमेरिकी चुनाव को लेकर कहा जाता है कि अमूमन व्हाइट हाउस का रास्ता पेंसिल्वेनिया में जीत से ही तय होता है.न्यूयॉर्क टाइम्स और सीएना पोल्स के ताजासर्वे के मुताबिक,पेंसिल्वेनिया में ट्रंप बढ़त बनाए हुए हैं. वह यहां एक फीसदी वोट से आगे चल रहे हैं. यहांट्रंप को 49 फीसदी जबकि कमला हैरिस को 48 फीसदी वोट मिले हैं.

ट्रंप ने पेंसिल्वेनिया में ताबड़तोड़ रैलियां की हैं. वह प्रचार से कुछ घंटे पहले अभी भी पेंसिल्वेनिया में डटे हुए हैं और पिट्सबर्ग में रैली कर रहे हैं. स्विंग स्टेट माने जाने वाले पेंसिल्वेनिया में ट्रंप ने प्रचार पर जमकर पैसा खर्च किया है.

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डोर टू डोर कैंपेन कर रही कमला हैरिस

कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है किपेंसिल्वेनिया में ट्रंप की सक्रियता से कमला हैरिस काफी नर्वस नजर आ रही हैं. वह यहां डोर टू डोर कैंपेन कर अपने लिए समर्थन जुटा रही हैं.

क्यों है पेंसिल्वेनिया इतना जरूरी?

पॉलिटिकल एडवरटाइजिंग को ट्रैक करने वाली कंपनी एडइम्पैक्ट का कहना है कि पेंसिल्वेनिया में जीत डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस दोनों के लिए बहुत जरूरी है. यही वजह है कि दोनों उम्मीदवारों ने किसी अन्य स्विंग स्टेट की तुलना में पेंसिल्वेनिया में प्रचार पर अधिक खर्च किया है.

पेंसिल्वेनिया की भोगौलिक स्थिति, उसका आर्थिक और राजनीतिक महत्व उसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है. यह राज्य 1800 के बाद से ही अपना वर्चस्व बनाए हुए है. चुनाव के आखिरी घंटों तक कमला हैरिस और ट्रंप ने पेंसिल्वेनिया को अपना दूसरा घर बना लिया है.

पेंसिल्वेनिया ने 2020 में बाइडेन को बनाया था राष्ट्रपति

साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की तुलना में बाइडेन को यहां अधिक वोट मिले थे. सात स्विंग स्टेट्स में से छह स्टेट्स में बाइडेन को जीत मिली थी जबकिएक स्विंग स्टेट नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप ने जीत का स्वाद चखा था. इस वजह से 2020 के बाद से पेंसिल्वेनिया का महत्व और बढ़ा है.

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इस चुनाव में अमेरिका का चुनावी नक्शा बदला हुआ सा भी है. जिन राज्यों की आबादी घटी है, वहां की सीटें कम कर दी गई हैं जबकि बढ़ी हुई आबादी वाले राज्यों में सीटें बढ़ाई गई है. पेंसिल्वेनिया में 2020 में इलेक्टोरल कॉलेज की संख्या 20 थी लेकिन 2024 में अब यह घटकर 19 रह गई है.

लेकिन एक सीट के नुकसान के साथ भी अन्य स्विंग स्टेट्स की तुलना में पेंसिल्वेनिया में सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज (19) हैं. यहां से जीत दर्ज करने वाले का राष्ट्रपति बनना तय हो जाता है.

बाइडेन को 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे जबकि ट्रंप को 232 वोट मिले थे. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 538 इलेक्टोरल वोट में से 270 सीटें जीतना जरूरी होता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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