फेक पुलिस, वारंट और 10 लाख की श्योरिटी... आजतक ने डिजिटल अरेस्ट रैकेट का किया भंडाफोड़

<

4 1 9
Read Time5 Minute, 17 Second

पिछले कुछ महीनों में देश में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसमें हाई-प्रोफाइल प्रोफेशनल्स, ब्यूरोक्रेट्स, जज, बिजनेसमैन और यहां तक कि सेना के अधिकारी तक को निशाना बनाया जा रहाहै. इस स्कैम में अक्सर ठग अपने आपको सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करतेहैं, और खासतौर पर वे किसी जांच एजेंसियों से होने का दावा करते हैं.

वे फोन कॉल के जरिए से पीड़ितों से संपर्क करते हैं और बाद में व्हाट्सएप और स्काइप पर वीडियो कॉल करके पीड़ित के साथ ठगी करते हैं. अपने हालिया "मन की बात" प्रोग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को इस स्कैम से सावधान रहने की सलाह दी थी. उन्होंने लोगों को इस तरह के स्कैम का सामना करने पर "रुको, सोचो और एक्शन लो" का मंत्र भी दिया. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कानून में "डिजिटल अरेस्ट" जैसी कोई चीज नहीं है.

यह भी पढ़ें: PM मोदी ने चेताया, CERT-In ने बताया... 'डिजिटल अरेस्ट' सहित इस तरह के ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे बचें?

हाल ही में, आजतक की सीनियर एसिस्टेंट एडिटर ऋचा मिश्रा डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हुई थीं. पत्रकार को एक कूरियर कंपनी से कॉल आया था, जिसने झूठा दावा किया कि उनका आधार नंबर ड्रग्स वाले पार्सल से जुड़ा हुआ है. ठग ने काफी देर तक उन्हें फोन पर रखा, और उन्हें पता चला कि वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुई हैं.

Advertisement

इंडिया टुडे स्टिंग ऑपरेशन

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए, इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया. जांच तब शुरू की गई जब एक कूरियर कंपनी ने इंडिया टुडे के रिपोर्टर से कॉन्टेक्ट किया और दावा किया कि उनके नाम का एक पार्सल मुंबई में फंस गया है. दावे के मुताबिक, डीएचएल कर्मचारी होने के दावे के साथ फोन कॉल में स्कैमर ने बताया कि पार्सल मुंबई से बीजिंग भेजा गया था, जिसकी डिलीवरी नहीं हो पाई.

रिपोर्टर को स्कैमर ने उनकी पहचान, उनका नाम, आईडी प्रूफ और फोन नंबर भी बताया, जिसका कथित रूप से पार्सल भेजने में इस्तेमाल किया गया था. डीएचएल कर्मी होने का दावा करने वाले स्कैमर ने उन्हें बताया कि पार्सल को मुंबई कस्टम ने जब्त कर लिया है.

फर्जी डीएचएल कॉलर ने रिपोर्टर को यह भी बताया कि पार्सल में क्या था और कहा कि पार्सल में पांच क्रेडिट कार्ड, सात पासपोर्ट्स, 3.5 किलो कपड़े, 400 ग्राम एमडीएमए और भारत में अवैध माने जाने वाले कुछ तत्व शामिल थे. बाद में कॉलर ने रिपोर्टर से बताया कि इसके लिए एक शिकायत दर्ज करानी होगी, और इसके बाद वॉटसएप पर मुंबई के एक कथित पुलिस ऑफिसर को भी कॉल की गई.

Advertisement

कॉल पर, फर्जी अधिकारी ने ड्रग तस्करी परचिंता जताते हुए पार्सल के बारे में रिपोर्टर से पूछताछ की. फर्जी पुलिस अधिकारी ने रिपोर्टर को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने के साथ कहा, "अगर 10 ग्राम भी मिला, तो आपको 3-7 साल की सजा होगी और आपके पार्सल में 400 ग्राम पदार्थ है." हैरान होते हुए रिपोर्टर ने जवाब दिया कि पार्सल से उनका कोई संबंध नहीं है.

फिर भी, फर्जी अधिकारी ने कहा कि अगर पार्सल से जुड़ा कोई शव मिला तो स्थिति और खराब हो सकती है. फर्जी पुलिस वाले ने धमकी भरे लहजे में कहा, "अगर अगले एक घंटे में तुम्हारे नाम पर कोई हथियार या लाश बरामद हो जाए तो क्या होगा? क्या तुम तब भी अपने दफ्तर में ऐसे ही बैठे रहोगे? क्या यह तुम्हारे लिए बड़ी समस्या नहीं बन जाएगी?"

अधिकारी की धमकाने की रणनीति उस समय नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई जब उसने वीडियो बयान रिकॉर्ड करने पर जोर दिया और आधार सहित संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी मांगी.

27 साल के अनुभव वाले एक आईपीएस अधिकारी होने का दावा करते हुए, फर्जी पुलिस वाले ने रिपोर्टर पर 536 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के लिए जांच के तहत एक व्यवसायी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का आरोप लगाया. अधिकारी ने आरोप लगाया कि रिपोर्टर के नाम पर एक केनरा बैंक अकाउंटइस अवैध गतिविधि से जुड़ा हुआ है, जिससे वह धोखे के जाल में और फंस गया.

Advertisement

बातचीत के दौरान, रिपोर्टर को नकली दस्तावेज दिखाए गए, जिन्हें नेशनल सीक्रेट्स के रूप में पेश किया गया. फर्जी अधिकारी ने उसे मामले के बारे में चुप रहने और किसी और के साथ इस पर चर्चा करने से परहेज करने का भी निर्देश दिया. जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, स्कैमर ने मांग की कि रिपोर्टर एक "प्योरिटी टेस्ट" से गुजरे और एक अन्य कथित अधिकारी का परिचय दिया जिसने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का वारंट पेश किया - जिसमें रिपोर्टर की तस्वीर भी लगी थी.

यह भी पढ़ें: डॉक्टर को किया डिजिटल अरेस्ट, आधार कार्ड का झांसा देकर ठगे 48 लाख

फिर असली धंधा शुरू हुआ और दूसरे फर्जी अधिकारी ने वारंट पेश किए, जिसमें आगे फंसने से बचने के लिए भारत सरकार और भारत के सर्वोच्च न्यायालय को 10 लाख रुपये की श्योरिटीमांगी गई थी.जांच का समापन एक कथित महिला ईडी अधिकारी के साथ चौंकाने वाले आदान-प्रदान में हुआ, जिसने रिपोर्टर के व्हाट्सएप पर अवैध लेनदेन के लिए बैंक अकाउंट की जानकारी दी.

डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में, आमतौर पर, ठग पुलिस अधिकारियों या कस्टम अधिकारी होने का दावा करते हैं. एक बार जब ऑडियो कॉल वीडियो में बदल जाती है, तो पीड़ितों को अक्सर एक पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप दिखाया जाता है, जिसे उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिए डिजाइन किया जाता है कि वे वैध अधिकारी के साथ बात कर रहे हैं.

Advertisement

पीड़ित पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया जाता है, एक दावा जिसका इस्तेमाल घोटालेबाज यह झूठा दावा करने के लिए करते हैं कि शख्स को अरेस्ट कर लिया गया है. वे डिजिटल अरेस्ट के अपने दावों का समर्थन करने के लिए गढ़े हुए दस्तावेज भी पेश करते हैं.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

EXCLUSIVE: लॉरेंस बिश्नोई गैंग के खात्मे का प्लान तैयार! सबसे बड़े दुश्मन का सामने आया नाम, जानें, अमेरिका से क्या है कनेक्शन?

<

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now