क्या थर्ड वर्ल्ड वॉर में बदलेगी इजराइल Vs ईरान की जंग? मिडिल ईस्ट एक्सपर्ट ने दिया ये जवाब

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धुएं के गुबार, टनों मलबा, चीखें, तबाही, डर और अनिश्चितता... गाजा का अधिकतर हिस्सा अब समतल हो गया है. 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अब ऐसे ही हालात साउथ लेबनान में होते जा रहे हैं. मिडिल ईस्ट जल रहा है. लेबनान में इजरायली टैंक गरज रहे हैं. बेरूत में बम फट रहे हैं. हिज्बुल्लाह लगभग हर दिन अपने कमांडर खो रहा है. आम नागरिक लगभग हर मिनट बम शेल्टर की तलाश में भाग रहे हैं. इसी बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के लोगों को संबोधित किया. दरअसल,ये जंग सिर्फ इजरायल के बाहर नहीं लड़ी जा रही, बल्कि नेतन्याहू को इजरायल के लोगों को जवाब देना है. वह अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. करीब 60 हजार इजरायली बेघर हैं.

इजरायली डिफेंस फोर्स और ISA ने इन बेघर लोगों को घर वापस लाने का संकल्प लिया है, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और नेतन्याहू के बीच सीधी बातचीत में अमेरिका ने इजरायल से ईरान के खिलाफ बेवजह हमला न करने का आग्रह किया. ये क्षेत्र खतरे की कगार पर है. अमेरिका को डर है कि ईरान की तेल सुविधाओं और न्यूक्लियर साइट पर इजरायल ने हमला किया तो पूरा मिडिल ईस्ट जल उठेगा.

दुनिया उत्सुकता से देख रही है कि आगे क्या होगा? नेतन्याहू और ईरान के सर्वोच्च नेता दोनों के लिए क्या दांव पर लगा है? क्या इजरायल बाइडेन की बात सुनने और ईरान को लेकर सही कदम उठाने के आह्वान पर ध्यान देने को तैयार हैं? क्या जंग नेतन्याहू की रणनीति के अनुसार चल रही है? क्या इजरायल यही चाहता था... हालांकि इन सवालों का अभी कोई जवाब नहीं है.

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डाना स्ट्रॉल, वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी में रिसर्च डायरेक्टर के पद पर तैनाता हैं, जबकि शैली और माइकल कासेन सीनियर फेलो हैं. डाना ने फरवरी 2024 में यह पद संभाला था. वे 2021-2023 तक मिडिल ईस्ट के लिए फोकस्ड डिफेंस डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत थीं, जो कि इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले पेंटागन के शीर्ष नागरिक अधिकारी हैं.

जिन सवालों का उपर जिक्र किया गया है, उन सवालों के जवाब की तलाश में आजतक ने डाना स्ट्रॉल से बात की. डाना कहती हैं कि ये सब पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुआ था. मिडिल ईस्ट पर नज़र रखने वाली डाना ने कहा कि सबसे पहले इस पर विचार करना जरूरी है कि ये सब कहां से शुरू हुआ. यानी 7 अक्टूबर को जब हमास ने इज़रायल पर अटैक किया और 1000 से ज़्यादा इज़रायली नागरिकों की बेरहमी से हत्या की. इस हमले के ठीक अगले दिन हिज़्बुल्लाह ने 8 अक्टूबर को इज़रायल पर हमला करना शुरू कर दिया था. पिछले साल 7 अक्टूबर से लेकर अब तक इराक और सीरिया में ईरान समर्थित समूह मिलिशिया, लेबनान में हिज़्बुल्लाह, यमन में हूती सभी ने इज़रायल के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी है. इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना पर भी हमला किया है. हूती विद्रोही लाल सागर में इंटरनेशनल कॉमर्शियल ट्रैफिक को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं.

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हिज्बुल्लाह के हमलों के कारण 65,000 से ज्यादा इजरायली नॉर्थ इजरायल से भाग गए हैं, अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया था, जो कि पिछले दशकों में सबसे अलग था. डाना ने कहा कि मुझे ये भी लगता है कि इजरायल पर हालिया 1 अक्टूबर को हुए हमले के बारे में सोचना अहम है. पश्चिम एशिया की स्थिति के लिए ईरान के इस्लामी शासन को जिम्मेदार ठहराते हुए वह आगे कहती हैं कि ईरान ने इजरायल में 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. कोई भी देश बहुत सारे लोगों को मारने और बहुत सारे बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के इरादे के बिना ऐसा नहीं करता है. इसलिए ये युद्ध और आतंकवाद के कृत्य हैं और इजरायल जो करने की कोशिश कर रहा है, वह इन खतरों को कम करना है, ताकि वे अब इजरायल या इजरायली नागरिकों को खतरा न पहुंचा सकें.

पिछले बुधवार को इजरायल के रक्षामंत्री योआव गैलेंट ने ईरान को साफ शब्दों में धमकी दी. गैलेंट ने कहा कि हमारा हमला घातक होगा. सटीक और सबसे खतरनाक, वे समझ नहीं पाएंगे कि क्या हुआ और कैसे हुआ. वे अंजाम भुगतेंगे. ईरान भी इजरायल को गंभीर परिणामों की चेतावनी देने से पीछे नहीं हट रहा है. डाना स्ट्रॉल का मानना ​​है कि इस समय मिडिल ईस्ट पहले से ही युद्ध में है. वह कहती हैं कि जब यमन में ईरान समर्थित ग्रुप लाल सागर में कॉमर्शियल शिपिंग पर मिसाइल और ड्रोन दाग रहा हो, जब ईरान इजरायल पर 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग रहा हो और इजरायल सोच रहा हो कि वह कैसे और कब जवाब देगा, तो यह युद्ध है. लेकिन यह और भी बुरा हो सकता है. इसलिए ईरान ने न केवल इजरायल को फिर से निशाना बनाने की धमकी दी है, बल्कि उसने खाड़ी के उन सभी देशों को भी धमकी दी है जो अमेरिकी सेना की मेजबानी करते हैं कि अगर वे जंग में हिस्सा लेते हैं या इजरायल के रिएक्शन के लिए अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं, तो वे भी ईरानी आक्रमण झेलेंगे.

मिडिल ईस्ट में जंग रोकने के लिए अमेरिका किस पर ध्यान केंद्रित कर रहा है? इस पर डाना ने कहा कि अमेरिका का ध्यान इस बात पर है कि वह और भी बदतर युद्ध को रोके. क्योंकि ईरान न सिर्फ इस बात पर फोकस कर रहा है कि वह इज़राइल को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट को कैसे नुकसान पहुंचे, इस पर भी सोच कर रहा है. लिहाजा अमेरिका की चिंता यही है कि इसे रोका जाए. डाना ने कहा कि नेतन्याहू ने बाइडेन के साथ हाल ही में एक फोन कॉल में स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी भी देश को 180 बैलिस्टिक मिसाइलों को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

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मिडिल ईस्ट एक्सपर्ट डाना को लगता है कि इज़राइल के लिए निर्णायक बिंदु हिज़्बुल्लाह द्वारा उत्तरी इज़रायल में फ़ुटबॉल खेल रहे 12 इजरायली बच्चों की हत्या करना था. इज़रायल द्वारा हिज़्बुल्लाह को कितना नुकसान पहुंचाया गया है? इस पर डाना स्ट्रॉल ने विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इजरायल ने अपने मिसाइल और ड्रोन शस्त्रागार का 50% से अधिक हिस्सा निकाल लिया है, जिसका मतलब है कि इजरायली नागरिकों पर हमला करने के लिए 50% कम हथियार बचे हैं और अब इजरायल अच्छी तरह से सोच रहा है. वहीं, ईरान में हमेशा से यही विचार था कि अगर शासन को इजरायल से खतरा महसूस होता है, तो वह हिज्बुल्लाह के मिसाइल शस्त्रागार का इस्तेमाल इजरायल के खिलाफ करेगा. और अब उनमें से बहुत कुछ खत्म भी हो चुके हैं. क्या इजरायल पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार है? डाना कहती हैं कि ईरान की पारंपरिक सैन्य क्षमताएं अमेरिकी सैन्य क्षमताओं से पूरी तरह से कम हैं और अमेरिका के पास मिस्र, जॉर्डन और इजरायल जैसे खाड़ी के देशों के साथ लंबे समय से रक्षा साझेदारी और रणनीतिक संबंध हैं.

क्या हम धीरे-धीरे थर्ड वर्ल्ड वॉर के करीब जा रहे हैं? इस बारे में डाना स्ट्रॉल का मानना ​​है कि स्ट्रक्चरल इंडीकेटर्स और शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि ये सब थर्ड वर्ल्ड वॉर में तब्दील हो सकता है. डाना ने कहा कि ये बहुत चिंताजनक संकेत हैं और मुझे लगता है कि इस समय हम जो देख रहे हैं उसके बारे में सोचने का एक बेहतर तरीका ये है कि इस वक्त पूरी दुनिया में 2 गुट के बीच कॉम्पटिशन है. इसमें एक तरफ है NATO.जिसके साथ अमेरिका है और जितना संभव हो वह अन्य भागीदारों के साथ काम कर रहा है, जिसमें संभवतः भारत भी शामिल है. जो अमेरिका का एक प्रमुख रक्षा भागीदार है, उम्मीद है कि ये सभी देश, एक साथ काम करते हुए मौजूदा इंटरनेशनल ऑर्डर के प्रॉफिट को देखेंगे. जो क्लाइमेट चेंज, लोगों में आपसी संबंधों को बेहतर बनाने के साथ ही उन विरोधियों के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त बॉर्डर को बदलने के लिए एकतरफा बल का उपयोग करना चाहते हैं.

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यही वजह है कि अमेरिका ने रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा का समर्थन किया, और इजरायल का समर्थन कर रहा है, क्योंकि इजरायल पर ईरान समर्थित समूह द्वारा हमला किया गया था और ईरान मिडिल ईस्ट पर आधिपत्य जमाना चाहता है. यही कारण है कि अमेरिका ने एशिया में गठबंधनों और साझेदारियों के अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए इतनी मेहनत की है, ताकि वे देश चीनी जुड़ाव और दबाव के लिए अतिसंवेदनशील न हों.

दूसरी तरफ हैं ईरान और रूस. हालांकि चीन और नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी हितों की बात करते हैं. लेकिन गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं का उपयोग करके मौजूदा व्यवस्था को हेरफेर करने और कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे किसी को फायदा नहीं होगा. लेकिन चीन और रूस को इससे फायद हो रहा है, इसलिए मुझे लगता है कि ये सभी संकेतक बहुत खतरनाक हैं. अमेरिका और इजरायल के बीच मजबूत संबंधों के बावजूद अमेरिका सीधे इस जंग में शामिल नहीं होगा. क्योंकि अमेरिका भी इस बात पर क्लियर है कि पूर्ण युद्ध में नहीं उलझना चाहता. जबकि दूसरी ओर ईरान अमेरिका के साथ सीधा सैन्य संघर्ष करना नहीं चाहता है, क्योंकि अमेरिका की सेना दुनिया की सबसे मजबूत, सबसे सक्षम सेना है, लेकिन ईरान की सेना अमेरिका जितनी मजबूत नहीं है, खासकर दशकों के प्रतिबंधों के बाद वह काफी कमजोर हुआ है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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