ऐसे चलता है TATA का 34 लाख करोड़ का साम्राज्य... समझें- टाटा ट्रस्ट, टाटा सन्स और टाटा ग्रुप में क्या है फर्क?

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उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 साल की उम्र में निधन हो गया. रतन टाटा वो उद्योगपति थे, जिन्हें उनकी सादगी के लिए जाना जाता था. रतन टाटा उस कारोबारी घराने से आते थे, जिसका दशकों से बाजार में वर्चस्व रहा है.

रतन टाटा का पूरा रतन नवल टाटा था. वो नवल टाटा और सूनी टाटा के बेटे थे. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. उन्हें उनकी दादी नवजबाई टाटा ने पाला-पोसकर बड़ा किया. 1962 में रतन टाटा ने टाटा स्टील में काम करना शुरू किया.

रतन टाटा जिस कारोबारी घराने से आते थे, उसकी शुरुआत 1868 में जमशेदजी टाटा ने की थी. आज टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं. दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में टाटा की कंपनियां हैं. अगस्त 2023 तक टाटा ग्रुप की कंपनियों की मार्केट कैप 403 अरब डॉलर से भी ज्यादा है. भारतीय करंसी के हिसाब से ये रकम लगभग 34 लाख करोड़ रुपये बैठती है.

टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस यानी टीसीएस है. इसकी मार्केट कैप लगभग 15 लाख करोड़ रुपये है. टाटा ग्रुप की शुरुआत 1868 में जमशेदजी नसीरवानजी टाटा ने की थी. जमशेदजी टाटा ने 21 हजार रुपये में एक दिवालिया तेल मिल खरीदी और वहां रूईं का कारखाना शुरू किया.

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रतन टाटा के निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन कौन होगा? उसका भी जवाब मिल गया है. रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन चुना गया है. मगर ये टाटा ट्रस्ट क्या है? जानते हैं...

टाटा ट्रस्ट यानी सबकुछ

टाटा ट्रस्ट कई सारे ट्रस्टों का एक ग्रुप है. टाटा ट्रस्ट को दो प्रमुख ट्रस्ट- सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट हैं. इन दोनों ट्रस्टों की टाटा सन्स में 52% हिस्सेदारी है. इन दो ट्रस्टों के अलावा टाटा ट्रस्ट में शामिल बाकी ट्रस्ट की टाटा सन्स में 14% हिस्सेदारी है. इस तरह से टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट की कुल हिस्सेदारी 66% है.

टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है. टाटा सन्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन हैं. टाटा सन्स के पास टाटा ग्रुप की कंपनियों में 25% से लेकर 73% तक की हिस्सेदारी है. 2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का रेवेन्यू 165 अरब डॉलर (करीब 14 लाख करोड़ रुपये) रहा था.

कुल मिलाकर, टाटा ट्रस्ट का नियंत्रण टाटा सन्स पर है और टाटा सन्स का नियंत्रण टाटा ग्रुप पर है. यानी, टाटा के बिजनेस में सबसे बड़ी बॉडी टाटा ट्रस्ट ही है.

कैसे हुई टाटा ट्रस्ट की शुरुआत?

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1868 में जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप की शुरुआत की. उनका मकसद सिर्फ कारोबार करना ही नहीं था, बल्कि देश सेवा भी करना था.

जमशेदजी टाटा का मानना था, 'किसी राष्ट्र या समुदाय को आगे बढ़ाने का काम उसके सबसे कमजोर और सबसे असहाय सदस्यों को सहारा देना नहीं है, बल्कि सबसे अच्छे और सबसे प्रतिभाशाली लोगों को ऊपर उठाना है, ताकि वो देश की सबसे अच्छी सेवा कर सकें.'

इसलिए साल 1892 में जमशेदजी टाटा ने 'जे.एन. टाटा एनडाउमेंट' की स्थापना की, ताकि भारतीयों को उच्च शिक्षा मिल सके. उन्होंने अपनी कंपनियों में काम करने वाली महिला मजदूरों और कर्मचारियों के बच्चों के लिए फ्री मेडिकल एजुकेशन की व्यवस्था भी की.

जमशेदजी टाटा के चार सपने थे. पहला- आयरन और स्टील कंपनी खोलना. दूसरा- वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूट शुरू करना. तीसरा- एक होटल खोलना. और चौथा- एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट शुरू करना. हालांकि, जमशेदजी अपने जीवन में सिर्फ एक ही लक्ष्य पूरा कर सके. उन्होंने मुंबई में 'ताज महल पैलेस होटल' खोला, जिसे 'द ताज' और 'ताज होटल' भी कहा जाता है.

बाद में उनके बेटों- सर रतन टाटा और सर दोराबजी टाटा ने उनके बाकी तीन सपने पूरे किए. सर रतन टाटा और सर दोराबजी टाटा ने स्टील प्लांट, हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट और साइंस इस्टीट्यूट की शुरुआत की.

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साल 1904 में जमशेदजी के निधन के बाद उनके बेटों- सर रतन और सर दोराबजी और चचेरे भाई आरडी टाटा ने टाटा कंपनियों को मर्ज कर टाटा सन्स बनाई. 1918 में सर रतन टाटा का निधन हो गया. उनके निधन के बाद सर रतन टाटा ट्रस्ट बना. इस ट्रस्ट में सर रतन टाटा की टाटा सन्स में जो 40% हिस्सेदारी थी, वो चली गई. 1932 में सर दोराबजी के निधन के बाद भी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट बना और उनकी भी जो 40% हिस्सेदारी टाटा सन्स में थे, वो इस ट्रस्ट में आ गई.

इसके बाद टाटा परिवार से जुड़े लोगों ने कई सारे ट्रस्ट बनाए. लेकिन इनमें सबसे प्रमुख सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट है. ये सारे ट्रस्ट टाटा ट्रस्ट के अंडर आते हैं, जिनके चेयरमैन अब तक रतन टाटा थे.

रतन टाटा के बाद अब नोएल टाटा

रतन टाटा सालों से टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन थे. उनके निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन चुना गया है. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने उन्हें सर्वसम्मति से टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन चुना है.

नोएल टाटा चार दशकों से भी लंबे वक्त से टाटा ग्रुप से जुड़े थे. वो अभी टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के चेयरमैन और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. इसके अलावा टाटा ग्रुप की कई बड़ी कंपनियों में भी अहम ओहदों पर रहे हैं. टाटा इंटरनेशनल के एमडी रहते हुए उन्होंने 2010 से 2021 के बीच कंपनी का रेवेन्यू 50 लाख डॉलर से 3 अरब डॉलर तक बढ़ा दिया.

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आमतौर पर टाटा ट्रस्ट्स की चेयरमैनशिप टाटा परिवार और पारसी समुदाय से जुड़े व्यक्ति को ही मिलती है. रतन टाटा के पिता नवल टाटा ने पहली पत्नी से तलाक के बाद एक स्विस महिला सिमोन दुनोयर से शादी की थी. नोएल टाटा इन्हीं के बेटे हैं.

2012 में जब रतन टाटा ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया था, तब नोएल टाटा का नाम सबसे ऊपर था. हालांकि, बाद में साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया. साइरस मिस्त्री का कार्यकाल काफी विवादित रहा. उनके हटने के बाद एन. चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बने. हालांकि, अब नोएल टाटा सबसे बड़ी बॉडी टाटा ट्रस्ट की कमान संभालेंगे.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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