गेमिंग का चस्का, दे रहा झटका... कैसी है वो इंडस्ट्री, जिसकी लत में फंसकर हिमांशु ने 96 लाख तो रमन ने गंवाए 1.4 करोड़

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सोशल मीडिया पर हिमांशु मिश्रा नाम का शख्स खूब वायरल हो रहा है. हिमांशु ने कुछ दिन पहले एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में ऑनलाइन गेमिंग में 96 लाख रुपये गंवाने का दावा किया था. हिमांशु का दावा था कि 96 लाख रुपये हारने के बाद उसके घरवालों ने भी उससे नाता तोड़ दिया है. इसके बाद से ही हिमांशु और भी कई कार्यक्रमों में जाकर अपनी कहानी बता रहा है.

हिमांशु की कहानी में झोल भी हो सकता है, लेकिन हाल ही में उन्नाव पुलिस के एक सिपाही का सूर्य प्रकाश का वीडियो भी वायरल हो रहा है. सूर्य प्रकाश ने ऑनलाइन गेमिंग में 15 लाख रुपये गंवाने का दावा किया है. उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपील की है कि अगर एसपी सर सभी पुलिसवालों से 500-500 रुपये दिलवा देंगे तो सुसाइड नहीं करना पड़ेगा.

इसी साल जुलाई में ऑनलाइन गेमिंग में करोड़ों रुपये गंवाने का अजीब मामला सामने आया था. मर्चेंट नेवी अफसर रमन चौहान ने दो साल में 1.4 करोड़ रुपये गंवा दिए थे. बाद में उन्होंने पुलिस थाने जाकर 50 लाख रुपये चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. बाद में जब पुलिस ने तफ्तीश की तो रमन ने ऑनलाइन गेमिंग में 1.4 करोड़ रुपये हारने की बात कबूल की.

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ये महज तीन कहानियां हैं. ऐसी और भी कहानियां होंगी, जिनमें लोग ज्यादा कमाने के चक्कर में अपनी सारी जमा-पूंजी गंवा देते हैं. कुछ सालों में भारत में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज ज्यादा ही बढ़ गया है. इसे 'फैंटेसी स्पोर्ट्स' कहा जाता है. फैंटेसी स्पोर्ट्स भारत में आ तो 20 साल पहले ही गया था, लेकिन इसने बूम जून 2016 के बाद पकड़ा. फैंटेसी स्पोर्ट्स में यूजर मोबाइल ऐप या वेबसाइट के जरिए अपनी टीम बनाता है और प्वॉइंट्स बनाता है. प्वॉइंट्स के हिसाब से कमाई भी होती है.

फैंटेसी स्पोर्ट्स के दो तरह के मॉडल हैं. पहला- 'फ्री टू प्ले' यानी खेलने के लिए किसी तरह की कोई फीस नहीं देनी पड़ती. और दूसरा- 'पे टू प्ले', जिसमें एंट्री फीस या कॉन्टेस्ट खेलने के लिए पैसे लिए जाते हैं.

खेलो मगर दिमाग से...

अमेरिका में फैंटेसी स्पोर्ट्स की शुरुआत 1952 में ही हो गई थी, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 2001 में ESPN-स्टार स्पोर्ट्स ने मिलकर की थी. हालांकि, 2003 में इसे बंद कर दिया गया.

2016 में जब इंटरनेट सस्ता हुआ तो उसके बाद फैंटेसी स्पोर्ट्स का बाजार तेजी से बढ़ा. फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) की मानें तो जून 2016 तक फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की संख्या 20 लाख थी. 2022 तक ये बढ़कर 18 करोड़ पहुंच गई. 2027 तक फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वालों की संख्या 50 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.

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भारत में इतनी तेजी से इन यूजर्स की संख्या बढ़ने की कई सारी वजहें हैं. हमारे देश में इंटरनेट सस्ता है. स्मार्टफोन यूजर्स भी 70 करोड़ के आसपास हैं. 2025 तक देश में 90 करोड़ स्मार्टफोन होंगे. इसके अलावा, फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑफर करने वाली ऐप्स कई सारी भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध हैं. इतना ही नहीं, यूपीआई की वजह से ऑनलाइन पेमेंट भी कहीं ज्यादा आसान हो गई है.

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कितना बड़ा है फैंटेसी स्पोर्ट्स का बाजार?

ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में फैंटेसी स्पोर्ट्स तेजी से उभर रहा है. अब ज्यादातर लोग ग्राउंड या स्टेडियम में खेलने की बजाय अपने फोन पर काल्पनिक खेल खेलना ज्यादा पसंद करते हैं. कुछ इसमें कामयाब होते हैं और कुछ हिमांशु, रमन और सूर्य प्रकाश की तरह बहुत सारा पैसा हार जाते हैं.

पैसे हार जाने का इतना बड़ा रिस्क होने के बावजूद फैंटेसी स्पोर्ट्स का मार्केट फल-फूल रहा है. FIFS की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस वक्त फैंटेसी स्पोर्ट्स का मार्केट 75 हजार करोड़ रुपये का है. इतना ही नहीं, फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स का रेवेन्यू भी कई गुना तेजी से बढ़ रहा है. 2018-19 में इनका रेवेन्यू 924 करोड़ रुपये होने का अनुमान था. 2026-27 तक 25,300 करोड़ रुपये का रेवेन्यू इससे जनरेट होने की उम्मीद है.

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इसके अलावा, 2018 से 2022 के बीच फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से 4,500 करोड़ रुपये का टैक्स सरकार को मिला है, जिसमें 2,800 करोड़ तो जीएसटी ही था. अनुमान है कि 2023 से 2027 के बीच इंडस्ट्री से सरकार को 26 हजार करोड़ रुपये का टैक्स मिलेगा.

रिपोर्ट बताती है कि स्पोर्ट्स इकोनॉमी में फैंटेसी स्पोर्ट्स का योगदान 3,100 करोड़ का है. यानी, कि फैंटेसी स्पोर्ट्स सालाना 3,100 करोड़ रुपये स्पॉन्सरशिप पर खर्च कर रही है. 2026-27 तक ये खर्च बढ़कर 6,500 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.

FIFS का कहना है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वाले यूजर्स सालभर में 4,200 करोड़ रुपये जमा करते हैं. यानी, हर महीने एक यूजर औसतन 350 रुपये खर्च करता है.

टीम बनाओ और पैसे कमाओ

2008 में आईपीएल की शुरुआत हुई. एक साल बाद ही हर्ष जैन और भावित सेठ ने मिलकर ड्रीम 11 लॉन्च कर दी. ड्रीम 11 में यूजर्स अपनी क्रिकेट टीम बनाता है और प्लेयर्स की परफॉर्मेंस के आधार पर प्वॉइंट्स कमाता है. जितने ज्यादा प्वॉइंट्स, उतना ज्यादा पैसा.

आज ड्रीम 11 फैंटेसी स्पोर्ट्स की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स के 90% मार्केट पर ड्रीम 11 का कब्जा है. 2022-23 में कंपनी का रेवेन्यू 6,385 करोड़ रुपये था.

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क्रिकेट सबसे पॉपुलर फैंटेसी स्पोर्ट्स बना हुआ है. अब यूजर्स वुमेन्स क्रिकेट में भी अपनी फैंटेसी टीम बना रहे हैं. फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलने वाले 40% यूजर्स की उम्र 25 से 34 साल के बीच है. जबकि, 18 से 24 साल की उम्र के यूजर्स 35% है.

10% यूजर्स ऐसे हैं जो हफ्ते में दो बार से ज्यादा फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलते हैं. वहीं, 30% ऐसे हैं जो हफ्ते में एक या दो बार खेलते हैं.

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क्या फैंटेसी स्पोर्ट्स सट्टेबाजी या जुआ से अलग है?

फैंटेसी स्पोर्ट्स को सट्टेबाजी या जुआ नहीं माना जाता. हाईकोर्ट्स से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने फैंटेसी स्पोर्ट्स को 'स्किल' का गेम माना है.

सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि फैंटेसी स्पोर्ट्स 'स्किल' का गेम है, न कि 'चांस' का. हालांकि, इसमें 'चांस' एक अहम भूमिका निभाता है, लेकिन स्ट्रैटजी बनाने के लिए खिलाड़ी अपनी 'स्किल' का इस्तेमाल करता है. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दिया था.

अक्टूबर 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैंटेसी गेमिंग ऐप्स पर बैन लगा दिया था. हालांकि, फरवरी 2022 में इस बैन को हटा भी दिया था. अक्टूबर 2022 में तमिलनाडु हाईकोर्ट ने भी इस पर बैन लगा दिया था. तमिलनाडु हाईकोर्ट ने कहा था, इन ऐप्स ने लोगों को जुए में फंसाकर कई परिवारों को बर्बाद कर दिया है.

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आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम, ओडिशा, सिक्किम और नागालैंड में भी फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप्स पर प्रतिबंध है.

भारत में सट्टेबाजी पर क्या है कानून?

1867 के पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट के अनुसार, सट्टेबाजी और जुआ अपराध है. हालांकि, ये राज्य का विषय हैं. राज्य सरकारें चाहें तो इसे लेकर कानून बना सकती हैं. गोवा समेत कुछ राज्यों में सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी कुछ गतिविधियों को कानूनी मान्यता मिली हुई है.

1966 में सुप्रीम कोर्ट ने घुड़दौड़ और रमी में सट्टेबाजी को मान्यता देते हुए कहा था कि ये संयोग का खेल नहीं, बल्कि इसमें चतुराई और कुशलता की जरूरत होती है.

भारत में क्रिकेट में सट्टेबाजी भी गैर-कानूनी है. हालांकि, इसे कानूनी मान्यता देने की मांग भी होती है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर क्रिकेट मैच पर करीब 1,400 करोड़ रुपये का सट्टा लगता है. लोढ़ा कमेटी और लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की सिफारिश की थी.

लोढ़ा कमेटी ने सुझाया था कि इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोप के कुछ देशों में सट्टेबाजी वैध है. अगर भारत में भी सट्टेबाजी को वैध कर दिया जाए तो इससे सरकार को सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिल सकेगा.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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