चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की घोषणा की है. जन सुराज के संयोजक की ओर से इसे आरजेडी के मुस्लिम-यादव (एमवाई) वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सोची-समझी चाल के तौर पर देखा जा रहा है.
यह बड़ी घोषणा रविवार दोपहर पटना के बापू सभागार में मुस्लिम समुदाय के जमावड़े के सामने की गई. इस कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के 7000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. इसे मुस्लिम समुदाय के बीच प्रशांत किशोर की ताकत दिखाने के तौर पर भी देखा जा रहा है.
सभी 40 उम्मीदवारों का खर्च उठाएगी पार्टी
प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा की है कि 2 अक्टूबर को जब वह अपनी पार्टी का आधिकारिक रूप से शुभारंभ करेंगे तो उसमें मुस्लिम समुदाय से कम से कम 4-5 लोगों का प्रतिनिधित्व होगा. उनकी कोर टीम में 25 सदस्य होंगे. उन्होंने यह भी घोषणा की है कि उनकी पार्टी को राज्य भर से 1 करोड़ से अधिक लोगों के समर्थन से लॉन्च किया जाएगा.
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की बड़ी घोषणा, आरजेडी को नुकसान पहुंचाने के लिए चुनावी रणनीतिकार की ओर से स्पष्ट संकेत है. आरजेडी का कोर वोट बैंक साढ़े तीन दशक से अधिक समय से मुस्लिम और यादव रहा है. उन्होंने यह भी घोषणा की है कि उनकी पार्टी चुनाव में सभी 40 मुस्लिम उम्मीदवारों का खर्च वहन करेगी.
पार्टी में होंगे 18 लाख मुस्लिम सदस्य
वो मुस्लिम और यादव वोट बैंक ही था जिसके समर्थन से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 1990 से 2005 के बीच 15 साल तक शासन किया था. प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा की है कि 2 अक्टूबर को जब उनकी पार्टी लॉन्च होगी, तो उसमें कम से कम 18 लाख मुस्लिम सदस्य होंगे. प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर, 2022 को अपना जन सुराज अभियान शुरू किया था. उन्होंने बिहार में व्यापक स्तर पर यात्रा की है जो वर्तमान में भी कुछ जिलों में चल रही है.
बिहार में मुस्लिम आबादी 18 प्रतिशत
लोगों से बातचीत के दौरान, पीके बार-बार कहते रहे हैं कि जब वह अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे, तो उसमें लोगों का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी और हालिया जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर होगा. बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 के अनुसार, राज्य में मुस्लिम आबादी 18% है.
रविवार को मुस्लिम समुदाय से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने समुदाय में शिक्षा की कमी का मुद्दा उठाया और बताया कि कैसे केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी जैसे कानून बना रही है, जिसे उन्होंने मुस्लिम हितों के खिलाफ बताया.
'नीतीश ने 2017 में किया मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा'
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005-2012 के बीच मुस्लिम समुदाय के हित के लिए कैसे काम किया, लेकिन 2017 में जब उन्होंने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी से गठबंधन किया तो किस तरह मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा किया.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मुस्लिम आबादी के हिसाब से राज्य में कम से कम 1650 मुखिया और सरपंच होने चाहिए थे, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा केवल 1200 है. उन्होंने कहा कि बिहार में वर्तमान में 27500 सदस्यों के मुकाबले केवल 11000 वार्ड सदस्य हैं.
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.