US अपने सभी फाइटर जेट्स में लगा रहा Mako हाइपरसोनिक मिसाइल, रूस-चीन की हालत होगी खराब

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आप सिर्फ नाम लीजिए... F-15, F-16, F-18, F-35, F-22 फाइटर जेट हों या B-1B, B-52, B-21 बॉम्बर. अमेरिका अपने सभी मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स में नई हाइपरसोनिक मिसाइल लगाने जा रहा है. इस मिसाइल का नाम है Mako. इसे बनाया है लॉकहीड मार्टिन ने. इस मिसाइल को मल्टी-मिशन वेपन कहा जा रहा है.

यह मिसाइल समंदर में, हवा, एयर डिफेंस सिस्टम पर, किसी भी तरह के सतह पर हमला करने में सक्षम है. हैरानी इस बात की है कि अमेरिका ने इसे लगभग अपने सभी फाइटर जेट्स, बमवर्षक और निगरानी विमानों में लगाकर टेस्ट कर लिया है. यह एफ-18 सुपर हॉर्नेट में लग सकती है. एफ-15 में लग सकती है.

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एफ-22 रैप्टर और एफ-35 लाइटनिंग-2 में लग सकती है. इसके अलावा इसे अमेरिका के बमवर्षकों में भी लगा सकते हैं. मतलब ये है कि ये अत्याधुनिक खतरनाक मिसाइल अमेरिका के चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट से लेकर पांचवीं पीढ़ी और छठी पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर एयरक्राफ्ट्स में लगाई जा सकती है.

Mako Hypersonic Missile, US, Fighter Jets

आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत

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इस मिसाइल को हवा से लॉन्च किया जाता है. यानी किसी भी एयरक्राफ्ट से दागी जा सकती है. 590 किलोग्राम वजनी इस मिसाइल में 130 किलोग्राम का वॉरहेड यानी हथियार लगाया जाता है. 13 फीट लंबी और 13 इंच व्यास वाली इस मिसाइल में सॉलिड रॉकेट मोटर लगा है. जो इसे 6200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार देता है.

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अमेरिका नौसेना के लिए भी वैरिएंट तैयार

इस मिसाइल का खुलासा इस साल अप्रैल में हुआ. जब इसे मैरीलैंड में हुए एक रक्षा प्रदर्शनी में दिखाया गया. इतना ही नहीं लॉकहीड मार्टिन ये चाहती है कि वायुसेना के बाद अमेरिकी नौसेना भी इसे तैनात करे. पनडुब्बियों और युद्धपोत से लॉन्च होने वाली Mako मिसाइल का वैरिएंट भी तैयार किया जा रहा है.

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अमेरिका को इस मिसाइल से क्या फायदा?

Mako मिसाइल के इस्तेमाल से रूस और चीन के प्रशांत महासागर में मौजूद एंटी-एक्सेस और एरिया डिनायल (A2/AD) हथियारों, यंत्रों को तबाह कर सकता है. अभी तक जो भी हाइपरसोनिक मिसाइलें होती थीं, वो आकार में बहुत बड़ी होती थी, वो फाइटर जेट या बमवर्षक के इंटरनल बे में नहीं आती थीं.

लेकिन मेको मिसाइल आकार में छोटी और दमदार है. यह हल्की भी है. इसलिए इसे F-35 और F-22 स्टेल्थ फाइटर जेट्स के इंटरनल बे में भी तैनात कर सकते हैं. यानी खतरनाक फाइटर जेट के साथ विंध्वंसकारी मिसाइल का मिश्रण. तीसरा फायदा ये है कि इसे कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम रोक नहीं सकता है.

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टोमाहॉक मिसाइल की तरह ही मेको हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिकी सेना, वायुसेना और नौसेना की ताकत में कई गुना बढ़ोतरी कर सकता है. यह अमेरिका के किसी भी एयरक्राफ्ट के बाहरी हिस्से में लग सकता है. इसके अलावा इसे लॉन्च ट्यूब से दाग सकते हैं. ताकि नौसेना इस्तेमाल कर सके.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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