Ground Report- अरब के शेखों के लिए हैदराबाद में बेटियों का बाजार, एक्सपायरी डेट के साथ लिखे जा रहे निकाहनामे

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हैदराबाद का चारमीनार इलाका एक अलग संसार खोलता है. असली मोतियों पर भारी पड़ते नकली मनके. रेशम की छुअन वाले सिंथेटिक दुपट्टे. बिरयानी के साथ घुलती खुश्बू-ए-संदल. और कंधों को छीलती भीड़. इन सबके बीच छाया की तरह कुछ और भी डोलता है. पुराने शहर के कई हिस्से हैं, जहां निकाह के नाम पर लड़कियों को बेचा जा रहा है. खरीदार हैं, खाड़ी देशों से आए बुढ़ाते लेकिन अमीर शेख.

सदियों पहले जब इस्लामिक देशों में लंबी लड़ाइयां आम थीं, या फिर लोग कारोबार के सिलसिले में लंबी यात्राएं करते, उस दौर में मुताह शादी की शुरुआत हुई. अरबी शब्द मुताह का मतलब है, जिसका आनंद लिया जा सके. ये एक किस्म की टेंपररी शादी थी, जो घुमंतु लोग या जंग पर निकले पुरुष किया करते. आगे चलकर अरब में तो ये प्रैक्टिस रुक गई, लेकिन भारत जैसे कई देश खाड़ी के अमीरों का ठिकाना बन गए.

जल्द ही एक पूरा कारोबार बनता चला गया, जिसे नाम मिला- शेख मैरिज. swarnimbharatnews.com ने अपनी पड़ताल में इससे जुड़े हर पहलू को टटोला.

हैदराबाद में शाहीन नगर, हसन नगर, याकूब पुरी, बारकास, चारमीनार और वट्टापल्ली जैसे कई इलाके हैं, जहां शेख मैरिज आम है. इसके अलावा टोली चौकी में एक नया ट्रेंड बन रहा है. यहां सूडान और सोमालिया से आए मुस्लिम नागरिक रहते हैं. कम उम्र, ज्यादा मस्कुलर. इनके पास पैसे खास नहीं, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट शादियां ये भी कर रहे हैं.

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शेख और लड़की- इन दोनों के बीच पांच से छह लोगों की कड़ी होती है. गल्फ देशों के ये अमीर यूं ही हाथ डुलाते नहीं आ जाते, बल्कि पहले ही रणनीति तैयार हो चुकी होती है.

20 सालों से शादियां करा रहा एजेंट हमें कुछ इस तरह से समझाता है- मान लीजिए, दो भाई हैं. एक गल्फ और दूसरा हैदराबाद में. वहां रहता भाई टटोलेगा कि कौन सा शेख ज्यादा रंगीनमिजाज, अमीर और बड़ी उम्र का है. वहां एक यकीन है कि बड़ी उम्र के आदमी अगर सीलबंद (वर्जिन) के साथ सोएं तो ताकत लौट आएगी. वहां वाला एजेंट शेख को लड़कियों का सुझाव देता है.

आमतौर पर रमजान में ये ज्यादा होता है, जब वहां कई चीजों की मनाही रहे.

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Photo: India Today/Generative AI by Vani Gupta

यहां का एजेंट तैयार बैठा रहता है. फोन आते ही वो ब्रोकरनी को कॉन्टैक्ट करेगा. ये गली-मोहल्लों की पहुंच वाली आंटियां होती हैं. इनमें से अधिकतर वे हैं, जो खुद ही कई बार शेख मैरिज में रहकर निकल चुकी हों.

उन्हें सब पता रहता है. किस घर में कौन सी लड़की खूबसूरत है. किन्हें पैसों की सख्त जरूरत है. वे ऐसे घरों में पहले से ही आना-जाना रखते हुए जमीन तैयार कर लेती हैं. मौका आते ही वे शेख मैरिज का प्रपोजल रखती हैं. मोबाइल पर ही शेख की फोटो और आने की तारीख भेजी जाती है. इधर से लड़की की फोटो जाती है. एक नहीं, कई लड़कियां.

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शेख को कम से कम दसेक तस्वीरें भेजी जाती हैं. सबकी असल उम्र और शरीर की नाप के साथ.

हमसे ऐसी वीडियोभी शेयर की गई, जिसमें लड़कियों के चेहरे और गर्दन से लेकर पूरे शरीर को इंची टेप से मापा जा रहा है. रंग, आंखों की रंगत अलग लिखी हुई.

संभावित शौहर इनमें से कुछ को छांटेगा और तैयार रहने को कहेगा. एजेंट के जरिए ब्रोकरनी और फिर लड़की तक ये मैसेज चला जाता है. वो तैयारी रखती है. शेख के आने पर परेड होती है. ये परेड पास के ब्यूटी पार्लर या फिर उनमें से ही किसी लड़की के घर हो सकती है. शेख इनमें से भी दो-एक को शॉर्टलिस्ट करेगा. साथ में नजराना दे देगा. ये एक तरह का भरोसा है कि अपनी लड़की को राजी रखो, जल्द ही उसकी किस्मत खुल सकती है. एकाध रोज बाद शेख उनमें से एक को छांट लेता है, निकाह होता है और लड़की होटल चली जाती है.

होटल क्यों? वो लोग एतराज नहीं करते?

क्यों करेंगे. हैदराबाद में नामचीन होटल भी चुप रहने की मोटी रकम पाते हैं. वैसे भी लड़की बुरके में होती है. शादीशुदा. अमीर शेख के साथ. उन्हें क्यों एतराज होगा. एजेंट तजुर्बा बांट रहा है.

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Photo: India Today/Generative AI by Vani Gupta

होटल में मन भर गया तो वहीं छोड़ देंगे, लेकिन अगर पसंद आई तो उसे साथ भी ले जा सकते हैं. हम लोग सारा इंतजार रखते हैं. पासपोर्ट, वीजा, आधार कार्ड पर उम्र बढ़ाना-घटाना सब हमारे जिम्मे है. इसके एक्स्ट्रा पैसे लगते हैं.

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आपको इस पेशे में कौन लाया?

एक ब्रोकरनी लेकर आई. बूढ़ी थी तो पहले उसने मुझे दौड़भाग के काम के लिए रखा. फिर भरोसा होने पर लोगों से मिलवाने लगी. मोहल्ले की आंटियां, अरब एजेंट, होटल वाले, काजी के पास- हर उस जगह लेकर गई, जहां काम चलता है. अस्पताल भी गए.

अस्पताल क्यों?

शेख अक्सर इलाज के बहाने मेडिकल वीजा लेकर आते हैं. यहीं पर हमारा एक एजेंट ट्रांसलेशन का काम करता है. वो शेख को हम तक लाता है. मुझे अरबी, हिंदी, तेलुगु तीनों भाषाएं आती हैं तो मैं डायरेक्ट काम करने लगा.

कॉर्पोरेट अस्पताल मुख्य ठिकाना है, जिसकी आड़ में बहुत से शेख शॉर्ट-टर्म शादी के लिए आ रहे हैं. नीति आयोग के मुताबिक, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) राजस्व का बड़ा सोर्स है. साल 2018 में ही ग्लोबल मेडिकल बाजार में भारत का शेयर 18 फीसदी से ज्यादा था. इसी से मोटा अंदाजा लगा सकते हैं कि सालाना कितने विदेशी इलाज के लिए यहां आते होंगे. इन्हीं में खाड़ी देशों के ये शेख भी शामिल हैं.

लेकिन हॉस्पिटल वालेकिसी को यूं ही भर्ती क्यों करेंगे!

एजेंट बिना हंसे कहता है- बड़ी उम्र के हजार मर्ज. कुछ भी लेकर आ जाएंगे. एयरपोर्ट से लेकर अस्पताल तक हमारे लोग होते हैं. कैब से लेकर ऑटो और अस्पताल से लेकर होटलों तक. कई-कई भाषाएं समझते. अरब जरूरतों को ताड़ते. वे फट से समझ जाते हैं कि किसे नई उम्र की लड़की चाहिए, किसे खाई-अघाई भी चलेगी.

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आपको एक शादी में कितने मिलते हैं?

गिल्ट से भरा एजेंट अपना दुख साफ करता है- एक के तकरीबन पचास हजार. महीने की पांच-छह शादियां करा लेता हूं. कई बार ज्यादा भी. हर लड़की की कई-कई निकाहनामे मैं बना चुका. पहले एक-दो में बस कर जाती थीं. अब लालच बढ़ गया है.

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Photo: India Today/Generative AI by Vani Gupta

अब तककितनी शादियां करा चुके?

गिनती नहीं. बेहिसाब. खाड़ी में हर देश के शेख मेरे दोस्त हो चुके. सऊदी, बहरीन, ओमान, कतर सबके शेख आते रहते हैं. एक को बढ़िया सर्विस मिले, खतरा न हो तो वो दूसरों को बताता है. आप जॉब करती हैं न! जैसे आपके यहां होता है, ये धंधा भी वैसा ही है.

कम पढ़ा-लिखा एजेंट दुनियादारी भरपूर जानता है. कार से उतारकर वो हमें ऑटो में घुमा रहा है.

मैं बुरके में सिर से पांव तक ढंकी हुई. फील्ड में जाने से पहले वे सावधानी रखते हैं कि मैं किसी भी तरह से अलग न लगूं. ‘आपकी बोली अलग है, ज्यादा पूछताछ करोगी तो शक हो जाएगा. थोड़ा कम बोलना.’ चलते हुए वो समझाता भी है.

आपने कहा था कि शेख वर्जिन लड़कियां चाहते हैं, फिर एक की कई शादियां कैसे?

खेल जाती हैं लड़कियां भी. फिटकरी जानती हैं, जिससे पानी साफ करते हैं! वो अंदर रख लेती हैं. थोड़ी देर बाद जब काम शुरू होता है तो चादर पर लाल रंग फैल जाता है. बुड्ढा शेख अक्सर दवा लेकर ये सब करता है, उसे कुछ समझ नहीं आता. अगर पार्टी बहुत अमीर हो तो कई लड़कियां डॉक्टर के पास जाकर सर्जरी भी कराती हैं. हैदराबाद में हजारों लड़कियां खुद को खराब कर चुकीं.

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इतने लोगों के साथ रहने पर कोई बीमारी नहीं होती! मैं एसटीडी कहने से बचती हूं लेकिन ब्रोकर बात समझ जाता है.

नहीं. इतने साल हुए, अब तक ऐसा कुछ सुना तो नहीं. हां, फोड़े-फुंसियां होती हैं, ये जरूर पता है. लेकिन कोई मरने वाली बीमारी नहीं होती. कई पुराने शेख घाघ होते हैं. वे डॉक्टर से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगते हैं. हम वो भी अरेंज कर देते हैं. पक्का काम. कागज में कहीं कोई कमी नहीं.

अपने कॉन्टैक्ट को कुछ-कुछ शो-ऑफ करते हुए ही एजेंट कुछ कॉल्स करता है.

एक आंटी के पास शेख का प्रपोजल है. लड़की चाहिए, कम उम्र. है क्या कोई तुम्हारे हाथ में? उधर से शेख के बारे में कुछ मालूमात होती है और फिर फोन पर ही मामला बन जाता है. एजेंट के फोन पर लड़कियों की तस्वीरें ही तस्वीरें हैं. बॉडी मेजरमेंट के साथ.

एक और कॉल किसी ऑटो ड्राइवर को लगाया जाता है. उसकी ऑटो में शेख है. पॉकेट शायद कुछ कड़क. वो छोटे होटल वाला लेकिन साल में दो बार आने वाला ग्राहक है. ब्रोकर बताता है.

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Photo: India Today/Generative AI by Vani Gupta

ब्रोकरनी इस कारोबार की अहम कड़ी है. मोहल्ले की वो आंटी, जिसके पास लंबा तजुर्बा हो. अक्सर ये अरब से लौटकर आई महिला होती है, जिसके पास लेटेस्ट मोबाइल और बड़ा घर हो. ऐसी ही एक महिला हमसे मिलती है.

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सच्चे हैदराबादी मोती जैसी खूबसूरत ये ब्रोकरनी अब शादी करके घर बसा चुकी. परमानेंट. दुआ-सलाम के बाद कहती है- हैदराबाद में तो बहुतेरे नामचीन एजेंट हैं. मैं छोटे-मोटे काम कर लेती हूं.

फिर भी कितनी शादियां करा लेती हैं?

वो तो कुछ पक्का नहीं. कम-ज्यादा होता रहता है. शेख को वर्जिन चाहिए. सीलबंद होना. लड़कियां ऐसी हैं नहीं. तो कई बार मामला अटक भी जाता है. वैसे मैं खुद मां हूं. कमसिन बच्चियों को नहीं लेती.

लड़कियों को कैसे राजी करती हैं बेमेल शादी के लिए?

राजी क्या करना. सब आरामतलब हैं. सबको बढ़िया घर-कपड़े चाहिए. हम वालिदा के साथ बैठकर समझाते हैं कि इसे एक तरह का जॉब ही समझो. थोड़े दिनों के कई लाख मिल जाएंगे. वो राजी ही बैठी रहती हैं. झट से हां कर देती हैं. कोई न माने तो हम जबर्दस्ती नहीं करते.

लड़कियां अरब जाती हैं, या यहीं सब हो जाता है?

दोनों बातें हैं. अगर कोई अपने साथ ले जाना चाहे तो हम विजिटर वीजा लगवा देते हैं. गल्फ में भी ढेरों हैदराबादी आंटियां हैं. उनसे मिलने का बहाना लगाते हैं. लड़कियां जाती हैं. हैदराबादी आंटी के घर पहुंचती हैं. वहां से शेख आकर उन्हें ले जाता है. आगे उन दोनों की मर्जी. हमारा काम इतना ही है. निभने वाले, निभा रहे. जाने वाले, जा रहे.

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Photo: India Today/Generative AI by Vani Gupta

शादियों का कॉन्ट्रैक्ट कितने दिनों का होता है?

कुछ फिक्स नहीं है. 10-15 दिन भी हो सकता है. ज्यादा से ज्यादा एक साल का. लेकिन ये सब मुंहजबानी होता है. होटल के कमरे में, जहां निकाह हो रहा हो. लड़की के साथ लेनदेन की रिकॉर्डिंग भी होती है. सब कैश. कुछ होशियार बच्चियां होती हैं. वे एक शादी से निकलकर झटपट दूसरी कर लेती हैं.

आपको कितने पैसे मिलते हैं?

बीस से पच्चीस हजार. सलीम भाई (एजेंट) इस काम के खिलाड़ी हैं. वे सारे काम अकेले कर लेते तो उनको फीस भी ज्यादा मिलती है. पूरे हैदराबाद में कोई लड़की इनसे नहीं बची होगी. हमारे पैसे कमेटी में बंट जाते हैं, जैसे थोड़े मुझे मिलेंगे, थोड़े किसी दूसरी ब्रोकरनी को, जिसने मेरी मदद की हो. कई अजूजियां (बूढ़ी महिलाएं) भी मास्टर होती हैं, उन्हें भी मोटे पैसे मिल जाते हैं.

आपके पति जानते हैं कि आप क्या काम करती हैं?

नहीं. उनको बताया है कि शादी में देखने-मिलाने का छोटा-मोटा काम करती हूं. मैरिज ग्रुप की सारी शादीशुदा औरतें अपने पति-बच्चों को यही बताती हैं. भले ही शेख मैरिज हो रही हो लेकिन घरबार वालों से नजरों की आड़ रखनी पड़ती है. वैसे अब मेरा काम बहुत मंदा हो चुका. बस मालूमात है इसलिए थोड़ा-बहुत कमा लेती हूं.

शेख मैरिज से पैदा बच्चों का क्या होता है?

नक्को जी! ब्रोकरनी हंस रही हैं. बच्चे नहीं होते इस शादी में. लड़की को गोलियां खिलाई जाती हैं शुरू से. शेख भी सावधान रहते हैं कि अगर हमल ठहर जाए तो फटका लंबा लगेगा. फिर भी अगर प्रेग्नेंसी ठहर जाए तो उसे गिरा देते हैं. लड़की अगर गल्फ में पेट से हो जाए तो हैदराबादी आंटी मामला संभाल लेती हैं.

हैदराबादी आंटी!

ये गल्फ में बसी वो महिला है, जो काफी पहले शादी करके वहां गई हो, और फिर वापस न लौट सकी हो. पकी हुई इस महिला का घर वहां पहुंची लड़कियों के लिए पहला ठिकाना होता है. लगभग सारी लड़कियां किसी न किसी आंटी के घर ठहराई जाती हैं, जहां उन्हें पहने-ओढ़ने और बोलने-बताने की हल्की-फुल्की ट्रेनिंग मिलती है. कुछ दिनों बाद शेख वहां पहुंचकर लड़की को ले जाता है, जहां ये सेक्स स्लेव और खदीमा दोनों का काम करती हैं.

(संवेदनशीलता के लिहाज से लोगों की पहचान छिपाई गई है.अगली किस्त में पढ़ें, शेख मैरिज में फंस चुकी लड़कियों औरउनकी मांओं की कहानी. अरब पहुंची लड़कियां क्या झेलती हैं...)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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