सोलर प्रोजेक्ट में रिश्वत के आरोप, कंपनी के बड़े किरदारों का जिक्र...SEC की चार्जशीट से जानिए अडानी केस की पूरी कहानी

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देश के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी नए आरोपों से घिर गए हैं. आरोप भारत में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को लगभग 2,250 करोड़ रुपये की रिश्वत का है. अडानी समूह ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाया था, यही वजह है कि अमेरिकी कोर्ट में उनके खिलाफ ये मामला आया है. इन प्रोजेक्ट्स से समूह को 20 वर्षों में करीब 2 अरब डॉलर के मुनाफे का अनुमान था.

इस पूरे मामले में मुख्य किरदार अडानी ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक गौतम अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी, एज्योर पावर के सीईओ रहे रंजीत गुप्ता, एज्योर पावर में सलाहकार रूपेश अग्रवाल अमेरिकी इश्युअर हैं. अमेरिकी अभियोग के अनुसार अडानी ग्रुप और अमेरिकी इश्युअर ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था, लेकिन SECI को सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पाए. खरीदारों के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और दोनों कंपनियों के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था. इसलिए, अडानी ग्रुप और एज्योर पावर ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत ऑफर की.

SEC का आरोप, 2021 से हुई भ्रष्टाचार की शुरुआत

अमेरिका के Securities and Exchange Commission (SEC) ने अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के संस्थापक गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर सैकड़ों मिलियन डॉलर की रिश्वत देने और इसके बारे में निवेशकों से जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है.
SEC का कहना है कि गौतम अडानी और सागर अडानी ने 750 मिलियन डॉलर की bond offering (बॉन्ड बेचने) के दौरान निवेशकों से यह दावा किया था कि उनकी कंपनी भ्रष्टाचार से दूर है और अडानी ग्रीन के अधिकारी कभी रिश्वतखोरी में शामिल नहीं रहे.SEC ने अपनी शिकायत में कहा है कि ये दावे झूठे थे.

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SEC के अनुसार, गौतम अडानी और सागर अडानी ने भारत में एक बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना का ठेका पाने के लिए भारतीय राज्य सरकार के अधिकारियों को भारी रिश्वत ऑफर की. इस मामले में एक और कंपनी Azure Global Power Limited भी शामिल थी, जिसने इस रिश्वत का हिस्सा देने पर सहमति जताई थी. SEC का दावा है कि गौतम अडानी और सागर अडानी ने Azure से रिश्वत की रकम वसूलने में भी भूमिका निभाई.

चार्जशीट में क्या-क्या आरोप?

2014 में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वो2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना चाहती है, जिसमें से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से आने की योजना थी.सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने एक स्पेशल टेंडर जारी किया था, जिसमें कंपनियों को भारत में 3 गीगावाट (GW) की सौर ऊर्जा निर्माण क्षमता स्टैब्लिश करनी थी. इसके बदले SECI इन कंपनियों से 12 GW सौर ऊर्जा खरीदने का करार करती.

यह पूरी परियोजना 15 GW की सौर ऊर्जा क्षमता की थी, जिसे 'मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड प्रोजेक्ट्स' नाम दिया गया. इस टेंडर में अडानी ग्रीन और Azure Power ने हिस्सा लिया और आखिरकार दोनों कंपनियों को ठेका मिला. Azure ने 1 GW निर्माण क्षमता और 4 GW ऊर्जा सप्लाई का वादा किया, जबकि अडानी ग्रीन ने 2 GW निर्माण क्षमता और 8 GW सप्लाई का.

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2020 मेंअडानी ग्रीन ने दावा किया कि यह परियोजना उन्हें 15 GW की कुल क्षमता तक पहुंचा देगी और कंपनी को 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा कंपनी बना देगी. लेकिन यहां एक बड़ा पेच था. SECI द्वारा जारी 'लेटर ऑफ अवार्ड' में यह स्पष्ट किया गया था कि SECI कंपनियों से ऊर्जा खरीदने की गारंटी नहीं देता. इसके लिए राज्य सरकारों की सहमति जरूरी थी.

जब SECI ने राज्य सरकारों और उनके बिजली वितरण निगमों (DISCOMs) से ऊर्जा खरीदने के लिए समझौता करने की कोशिश की, तो कई राज्यों ने इन शर्तों को खारिज कर दिया. इन राज्यों का कहना था कि अडानी ग्रीन और Azure Power द्वारा प्रस्तावित ऊर्जा की कीमतें बाजार दर से ज्यादा थीं. लेकिन इसके बादगौतम अडानी और सागर अडानी ने खुद मोर्चा संभाला.

आरोप है कि सागर अडानी ने Azure Power के अधिकारियों के साथ मिलकर यह योजना बनाई कि भारतीय राज्यों के DISCOMs को प्रभावित करने के लिए 'प्रेरणा राशि' (यानी घूस) दी जाए. आरोप है कि ओडिशा राज्य के अधिकारियों को 500 मेगावाट (MW) ऊर्जा खरीदने के लिए लाखों डॉलर की रिश्वत ऑफर कीगई. वहीं, आंध्र प्रदेश के DISCOMs से 7,000 MW ऊर्जा खरीदने के लिए 200 मिलियन डॉलर की घूस ऑफर कीगई. अडानी ग्रीन के आंतरिक रिकॉर्ड में इन रिश्वतों का पूरा विवरण दर्ज है. यह भी बताया गया कि किस राज्य को कितनी रकम ऑफर कीगई और किसके जरिए.

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आखिरकारSECI ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश सहित चार राज्यों के साथ ऊर्जा खरीद समझौते (Power Supply Agreements - PSAs) पर हस्ताक्षर किए. जुलाई 2021 से दिसंबर 2021 के बीच इन समझौतों के जरिए SECI ने DISCOMs को ऊर्जा बेचने का रास्ता साफ किया. इसके बाद SECI ने अडानी ग्रीन और Azure Power के साथ ऊर्जा खरीद समझौते (Power Purchase Agreements - PPAs) पर हस्ताक्षर किए.

इसी दौरानअडानी ग्रीन ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में 'ग्रीन बॉन्ड्स' के जरिए 750 मिलियन डॉलर जुटाए. निवेशकों को यह बताया गया कि यह राशि 'ग्रीन प्रोजेक्ट्स' में उपयोग होगी और कंपनी भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों का पालन करती है. लेकिन सच्चाई इससे अलग थी. अडानी ग्रीन ने अपने निवेशकों से यह छिपाया कि उनकी सबसे बड़ी परियोजना (मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड प्रोजेक्ट्स) भ्रष्ट तरीकों से हासिल की गई थी.

SEC का दावा

2022 मेंSECI (सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) और कई भारतीय राज्य सरकारों ने बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के लिए पावर सप्लाई एग्रीमेंट्स किए. इसमें अडानी ग्रीन को दो-तिहाई और Azure को एक-तिहाई प्रोजेक्ट्स मिले. SEC का कहना है कि 2022 के बीचगौतम अडानी, सागर अडानी, और अडानी ग्रीन के CEO विनीत जैन ने Azure के अधिकारियों से कई बार मुलाकात की. इन बैठकों में गौतम अडानी ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2021 में भारतीय राज्य सरकारों को रिश्वत दी थी. इसके बदले मेंAzure से उनकी रिश्वत की एक-तिहाई रकमवसूलने की बात की गई.

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रिश्वत चुकाने के लिए किए छिपे हुए कॉर्पोरेट ट्रांजेक्शन्स

SEC का दावा है कि गौतम अडानी ने Azure को सलाह दी कि वोअपनी हिस्सेदारी छिपे हुए कॉर्पोरेट ट्रांजेक्शन्स के जरिए अदा करे. इसके तहत Azure ने अपने सबसे बड़े प्रोजेक्टआंध्र प्रदेश में 2.3 GW पावर सप्लाई केराइट्स अडानी ग्रीन को ट्रांसफर कर दिए. Azure ने दिसंबर 2022 और फरवरी 2023 में SECI को पत्र लिखकर कहा कि आंध्र प्रदेश प्रोजेक्ट आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं है. लेकिन SEC का कहना है कि यह केवल एक प्रीटेक्स्टथा ताकि Azure यह प्रोजेक्ट अडानी ग्रीन को ट्रांसफर कर सके.

दिसंबर 2023 मेंअडानी ग्रीन ने घोषणा की कि उसने SECI के साथ आंध्र प्रदेश प्रोजेक्ट के अधिकांश हिस्से के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट साइन किया है. SEC का कहना है कि यह कदम Azure की तरफ से अडानी ग्रुप को उनकी रिश्वत की हिस्सेदारी चुकाने के लिए उठाया गया.

SEC ने अडानी ग्रुप और Azure पर चार मुख्य आरोप लगाए हैं:

1. सिक्योरिटीज एक्ट सेक्शन 17(a) का उल्लंघन
2. एक्सचेंज एक्ट सेक्शन 10(b) और रूल 10b-5 का उल्लंघन
3. अडानी ग्रीन की इन उल्लंघनों में "मदद" करने का आरोप
4. बार-बार "धोखाधड़ी स्कीम्स" चलाने का आरोप

SEC ने किस आधार पर मामला दर्ज किया?

SEC ने गौतम अडानी और सागर अडानी पर Securities Act of 1933 की Section 17(a) और Securities Exchange Act of 1934 की Section 10(b) के तहत केस दर्ज किया है. इनके अलावा, उन्होंने Rule 10b-5 के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है. SEC ने चेतावनी दी है कि अगर दोनों को रोका नहीं गया, तो वे भविष्य में इसी तरह के काम कर सकते हैं. अदालत से मांग की गई है कि उन्हें हमेशा के लिए पब्लिक कंपनियों में किसी भी पद पर काम करने से रोक दिया जाए. दोनों कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जाए. यह मामला अभी न्यायालय में है, और SEC ने इसे लेकर जूरी ट्रायल की मांग की है.

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अडानी ग्रुप ने सफाई में क्या कहा...

अडानी ग्रुप ने सफाई में कहा, ये आरोप निराधार हैं. हालांकि, ये सिर्फ आरोप ही हैं, जब तक दोष साबित नहीं हो जाता, तब तक प्रतिवादी निर्दोष माना जाता है. सभी संभव कानूनी उपाय किए जाएंगे. अडानी ग्रुप ने हमेशा सभी सेक्टर्स में पारदर्शिता और रेग्युलेटरी नियमों का अनुपालन किया है और करता रहेगा. हम अपने शेयरहोल्डर्स, पार्टनर और समूह की कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाले संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है.

अडानी ग्रुप ने अपने बयान में कहा, अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने हमारे बोर्ड के सदस्यों गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक अभियोग जारी किया है. US स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने हमारे बोर्ड के सदस्य विनीत जैन को भी इसमें शामिल किया है. इन घटनाक्रमों के मद्देनजर हमारी सहायक कंपनियों ने फिलहाल प्रस्तावित USD नामित बॉन्ड पेशकशों के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है.

अडानी ग्रीन और अडानी ग्रुप का परिचय

गौतम अडानी ने 1988 में अडानी ग्रुप की शुरुआत की थी. यह ग्रुप आज भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक है और ऊर्जा, बंदरगाह, हवाई अड्डों, कोयला व्यापार जैसे कई क्षेत्रों में काम करता है. 2015 मेंगौतम अडानी और उनके भाई राजेश अडानी ने अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की स्थापना की, जो अडानी ग्रुप की renewable energy (नवीकरणीय ऊर्जा) शाखा है. यह कंपनी भारत में बड़े पैमाने पर सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट बनाती और चलाती है.

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सागर अडानी की भूमिका

सागर अडानी, जो गौतम अडानी के भतीजे हैं. वे 2018 में 24 साल की उम्र में अडानी ग्रीन के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक बने. वह कंपनी की Management Committee के चेयरमैन भी हैं और कंपनी की रणनीति और प्रोजेक्ट्स की निगरानी करते हैं.

अडानी ग्रीन: शुरुआत से अब तक का सफर

2015 में शुरुआत

गौतम अडानी और उनके भाई राजेश अडानी ने जनवरी 2015 में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की स्थापना की. शुरुआत में यह कंपनी प्राइवेट थी और इसका स्वामित्व गौतम अडानी और राजेश अडानी के परिवारिक ट्रस्ट के पास था.

2017 में पब्लिक कंपनी बनी

दिसंबर 2017 में अडानी ग्रीन को सार्वजनिक कंपनी बना दिया गयाऔर जून 2018 में इसके शेयर बीएसई (पूर्व में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) पर लिस्टेड हुए.

अडानी परिवार का नियंत्रण

शुरुआत से ही अडानी परिवार का इस कंपनी पर बड़ा प्रभाव रहा है. जून 2021 तकगौतम अडानी, राजेश अडानी और उनके परिवार ने कंपनी के 57.47% शेयरों पर नियंत्रण बनाए रखा. इसका मतलब है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की नियुक्ति, नीतियों का निर्धारण, और अन्य प्रमुख फैसलों पर उनका पूरा नियंत्रण है.

दुनिया की सबसे बड़ी सोलर एनर्जी कंपनी बनने का सपना

अडानी ग्रीन ने खुद को सौर ऊर्जा उत्पादन में दुनिया की सबसे बड़ी निजी कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है. कंपनी ने 2025 तक यह लक्ष्य हासिल करने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) में अग्रणी बनने का दावा किया है. कंपनी ने 2016 में केवल 20 मेगावॉट (MW) ऊर्जा उत्पादन क्षमता के साथ शुरुआत की थी. 2018 के अंत तकयह बढ़कर लगभग 2,000 मेगावॉट हो गई.

2019 की बड़ी योजनाएं

2019 में अडानी ग्रीन ने घोषणा की कि वह 2022 तक 10 गीगावॉट (GW) ऊर्जा उत्पादन क्षमता विकसित करने की योजना बना रही है. यह 2018 के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है. अडानी ग्रीन ने अपनी वार्षिक रिपोर्टों और अन्य दस्तावेजों में हमेशा खुद को एक जिम्मेदार कंपनी बताया है. उन्होंने environmental, social, and governance (ESG) सिद्धांतों पर चलने का दावा किया.

एंटी-कॉरप्शन और नैतिकता

2019 में कंपनी ने एक Corporate Social Responsibility Committee बनाई और Code of Business Conduct and Ethics Policy लागू की. उन्होंने दावा किया कि उनकी नीतियां विश्व बैंक और International Labour Organisation के सिद्धांतों के अनुरूप हैं. 2019 में ही अडानी ग्रीन ने संयुक्त राष्ट्र के Global Compact में शामिल होने की घोषणा की. इस पहल में मानवाधिकार, श्रम, पर्यावरण और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने की दिशा में प्रतिबद्धता शामिल थी.

2020 और 2021 के कदम

2020 में अडानी ग्रीन ने अपना पहला Integrated Annual Report जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों का जिक्र किया. अगस्त 2021 में, कंपनी ने एक ESG Report प्रकाशित की. इसमें उन्होंने zero-tolerance policy और “मजबूत कॉरपोरेट गवर्नेंस” का दावा किया.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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