यूपी के झांसी में अस्पताल में आग से 10 नवजात बच्चों की झुसलकर मौत हो गई. 10 बच्चों की हालत गंभीर है, झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शुक्रवार की रात आग लगी थी, वार्ड की खिड़की तोड़कर 40 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. शुरुआती जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, ऑक्सीजन पाइप लाइन के कारण आग तेजी से फैली. प्रत्यक्षदर्शी ने आजतक को बताया कि ऑक्सीजन पाइप लाइन जोड़ने की कोशिश में माचिस जलाई, जिससे आग भड़की.
सीएम योगी ने 12 घंटे में हादसे की रिपोर्ट मांगी है. तीन स्तर पर हादसे की जांच चल रही है.डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक ने कहा- हादसे की 3 जांच होंगी.आग लगने के मामले में जांच कमेटी गठित हो गई है. यूपी स्वास्थ्य विभाग ने हाई पावर जांच कमेटी गठित की है, डीजी चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. जांच कमेटी अगले 7 दिन में मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट देगी.
खिड़कियां तोड़कर निकाले गए बच्चे
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु वॉर्ड में कल रात आग लगी तो सभी को होश उड़ गए. वॉर्ड में 50 नवजात बच्चे थे. बच्चों को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़ी गईं. जिनके बच्चे थे, वो भी बेहाल रहे. अपने बच्चों का हाल जानने लगे, अपने बच्चे के बारे में पूछने लगे. आनन-फानन में बच्चों को बाहर निकाला गया. 40 बच्चे सुरक्षित बचा लिए गए, लेकिन 10 बच्चे जिंदा जल गए. कई ऐसे बच्चे थे, जिनके घरवालों ने उनका चेहरा भी ठीक से नहीं देखा था. उन्हें गोद में भी नहीं खिलाया था, उन्हें ठीक से निहारा भी नहीं था .
डिप्टी सीएम के स्वागत में रंगाई-पुताई करवा रहाप्रशासन
शिशु वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी, ऑक्सीजन पाइप के कारण ये इतनी तेजी से फैली कि संभलने का मौका ही नहीं मिला. लेकिन सवाल 10 बच्चों की मौत पर है. बच्चों की मौत पर जांच तो शुरू हो गई, लेकिन प्रशासन की लापरवाह का आलम देखिए, एक तरफ बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टर चिल्ला रहे थे, भाग रहे थे, दूसरी तरफ प्रशासन अपने डिप्टी सीएम के स्वागत के लिए रंगाई-पुताई करवा रहा था. ये सब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के लिए हो रहा था. जो हादसे के बाद सुबह-सुबह झांसी पहुंचे थे.
हादसे के बाद उठे ये सवाल
सवाल और भी हैं कि आखिर फायर अलार्म क्यों नहीं बजा, आग बुझाने के लिए लगे उपकरण का इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ? आग बुझाने वाले फायर एक्सटिंग्विशर कहीं एक्सपायर तो नहीं थे? क्या स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट की सारी गाइडलाइंस अस्पताल मान रहा था? या फिर हर तरफ लापरवाही थी. न्यू बोर्न केयर सेंटर के लिए गाइलाइंस काफी सख्त हैं, लेकिन यहां तो किसी को इसकी परवाह नहीं थी. हादसे के बाद आजतक ग्राउंड पर पहुंचा तो कई खामियां सामने आईं. आग लगने पर जो फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए थे, वह एक्सपायरी डेट के थे. कोई 1 साल पहले एक्सपायर हुआ था तो कुछ सिलेंडर तीन और चार साल पहले एक्सपायर हो चुके थे. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कोई भी सिलेंडर काम नहीं कर रहा था. फायर अलार्म बजे नहीं. जो वार्ड में आग लगने पर वॉटर स्प्रिंकलर थे वह भी नहीं चले, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ.
मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को दिया नोटिस
इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उत्तर प्रदेश सरकार और डीजीपी को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि रिपोर्ट "वास्तव में परेशान करने वाली है और लापरवाही को दर्शाती है. जिसके परिणामस्वरूप पीड़ितों के मानवाधिकारों का "गंभीर उल्लंघन" हुआ है, क्योंकि वे एक सरकारी संस्थान की देखभाल में थे. मानवाधिकार आयोग ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. रिपोर्ट में इस मामले में दर्ज एफआईआर की स्थिति, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई, घायलों को दी जा रही चिकित्सा और पीड़ित परिवारों को दिए गए मुआवजे (यदि कोई हो) के बारे में जानकारी शामिल होनी चाहिए.
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