महाराष्ट्र प्रीमियर लीग (विधानसभा चुनाव) 20 नवंबर को होने जा रही है. ट्रॉफी के लिए दो टीमें प्रतिस्पर्धा कर रही हैं: महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और महायुति. कांग्रेस एमवीए की कप्तान है; शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) खिलाड़ी हैं. भारतीय जनता पार्टी महायुति की कप्तान है. शिवसेना (एकनाथ शिंदे), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) खिलाड़ी हैं.
एमपीएल में छह अलग-अलग पिचों पर छह मैच होंगे: विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र, मुंबई और ठाणे-कोंकण. दोनों टीमों के पास हरफनमौला खिलाड़ियों के साथ-साथ विशेषज्ञ भी हैं. सभी पिचों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं और इन पर सफल पारी खेलने के लिए खिलाड़ियों के पास स्पेशल स्किल सेट की आवश्यकता होती है. एनसीपी (एपी) और एनसीपी (एसपी) जैसे खिलाड़ी पश्चिम महाराष्ट्र की पिच के विशेषज्ञ हैं. विदर्भ की पिच पर कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा रहता है. वहीं, सेना के दोनों गुटों के लिए मुंबई और ठाणे-कोंकण की पिच फेवरेबल रहती है.
महाराष्ट्र के अलग-अलग सियासी पिचों की विशेषताएं
विदर्भ: यह महाराष्ट्र का सूखा प्रभावित क्षेत्र है, जहां कम वर्षा होती है. विदर्भ राज्य में कृषि संकट का केंद्र है. महाराष्ट्र में होने वाली किसान आत्महत्याओं में से आधे से ज्यादा विदर्भ में होते हैं. यह राज्य का अपेक्षाकृत पिछड़ा क्षेत्र है जिसकी प्रति व्यक्ति आय महाराष्ट्र के औसत का 30 प्रतिशत है.
मराठवाड़ा: महाराष्ट्र की एक तिहाई मराठा आबादी यहीं रहती है. यह क्षेत्र विदर्भ की तरह, सूखे (विदर्भ की तुलना में कम प्रभावित) का सामना करता है. किसानों की आत्महत्या के मामले में मराठवाड़ा, विदर्भ के बाद सबसे आगे है. इसकी प्रति व्यक्ति आय शेष महाराष्ट्र की केवल 60 प्रतिशत है.
पश्चिम महाराष्ट्र: इस क्षेत्र को राज्य का चीनी का कटोरा कहते हैं. इस क्षेत्र में एक मजबूत कोऑपरेटिव तंत्र है- चीनी कारखाने, क्रेडिट सोसायटी, बैंक. पश्चिम महाराष्ट्र आर्थिक रूप से सक्षम और मजबूत क्षेत्र है जिसमें राज्य के ऑटोमोबाइल और आईटी उद्योग भी हैं.
उत्तर महाराष्ट्र: इस क्षेत्र के प्रमुख कृषि उत्पादों में अंगूर, केले और प्याज शामिल हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्याज निर्यात पर प्रतिबंध इस क्षेत्र में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था. उत्तरी महाराष्ट्र का नासिक शहर आर्थिक रूप से विकसित है. वहीं अन्य जिले भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं. यहां अनुसूचित जनजातियां किंगमेकर हैं.
ठाणे-कोंकण: यह रीजन महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल हब है. ठाणे की प्रति व्यक्ति आय मुंबई के बाद दूसरी सबसे अधिक है. अधिकांश ठाणे-कोंकण शहरी क्षेत्र है, जहां फैक्ट्रियों और इंडिस्ट्री में काम करने वाली प्रवासी आबादी (दूसरे राज्यों से आकर लोग नौकरी करते हैं) बड़ी संख्या में रहती है.
मुंबई: यह 100 प्रतिशत शहरी क्षेत्र है. मुंबई को देश की वित्तीय राजधानी कहते हैं, जिसमें स्टॉक एक्सचेंज, बैंकों के हेडक्वार्टर और अन्य फाइनेंशियल कंपनियां स्थित हैं. इसकी प्रति व्यक्ति आय राज्य के पिछड़े क्षेत्रों की तुलना में तीन गुना है. मुंबई की जनसंख्या में प्रवासियों की भागीदारी 43.02 प्रतिशत के करीब है. यहां दूसरे राज्यों से आकर लोग नौकरी और रोजगार करते हैं. यूपी और बिहार की बड़ी आबादी मुंबई में रहती है.
एमपीएल में कौन सी टीम कितने मैच खेल रही है?
महायुति की ओर से बीजेपी 143 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. शिवसेना (शिंदे) 81 सीटों पर, एनसीपी (अजित पवार) 59 सीटों पर और अन्य सहयोगी छह सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. मालेगांव सेंट्रल सीट पर महायुति का कोई उम्मीदवार नहीं है. आठ सीटों पर दो महायुति पार्टियां एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. तीन सीटों पर, भाजपा और एनसीपी (एपी) के बीच फ्रेंडली फाइट है और पांच सीटों पर, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (एपी) के बीच फ्रेंडली फाइट है.
भाजपा विदर्भ में सबसे अधिक सीटों (47) पर चुनाव लड़ रही है, उसके बाद पश्चिम महाराष्ट्र (31) और मराठवाड़ा (20) में चुनाव लड़ रही है. इसे विदर्भ में मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है, जहां सोयाबीन की कीमतें एक प्रमुख मुद्दा बन गई हैं, और मराठवाड़ा में, जहां मराठा आंदोलन के कारण इसे आम चुनावों में महंगी कीमत चुकानी पड़ी. पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी का सामना चतुर शरद पवार से है, जो अपनी पार्टी के विभाजन का बदला लेने के लिए मैदान में हैं. बीजेपी के कुल चुनावी मैचों का एक तिहाई विदर्भ में है, जहां वह कुल मैचों में से तीन-चौथाई खेल रही है.
शिवसेना (शिंदे) ठाणे-कोंकण (18) में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसके बाद मराठवाड़ा (16) और मुंबई (15) हैं. बालासाहेब ठाकरे की विरासत की लड़ाई में उसका सामना ठाणे और मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) से है. 2024 के आम चुनावों में, एकनाथ शिंदे अजित पवार के विपरीत, उद्धव ठाकरे के खिलाफ मजबूती से मैदान में डटे थे. अजित पवार की पार्टी का का शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से कोई मुकाबला नहीं था. एकनाथ शिंदे की शिवसेना जितने सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसमें 40 फीसदी अविभाजित शिवसेना के गढ़ में हैं.
एनसीपी (एपी) पश्चिम महाराष्ट्र (25) में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसके बाद मराठवाड़ा (10) और उत्तरी महाराष्ट्र (9) हैं. उसे पश्चिम महाराष्ट्र में 'असली बनाम नकली एनसीपी' की लड़ाई में एनसीपी (एसपी) का सामना करना पड़ रहा है. 2024 के आम चुनावों में, अजित पवार को हार का सामना करना पड़ा, और चार लोकसभा सीटों में से उनकी पार्टी केवल एक पर जीत हासिल कर सकी. वह अविभाजित राकांपा के गढ़ में अपनी 40 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
एमवीए से, कांग्रेस 101 सीटों पर, शिवसेना (उद्धव) 95 और एनसीपी (एसपी) 86 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अन्य सहयोगी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. कोल्हापुर उत्तर सीट पर उसके पास कोई उम्मीदवार नहीं है, क्योंकि उसका उम्मीदवार आखिरी समय में दौड़ से हट गया. दो सीटों पर कांग्रेस और राकांपा (सपा) तथा कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) के बीच दोस्ताना मुकाबला है. कांग्रेस विदर्भ (40) में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसके बाद पश्चिम महाराष्ट्र (19) और मराठवाड़ा (15) में चुनाव लड़ रही है.
उसे विदर्भ में ग्रामीण और कृषि संकट का फायदा उठाने और 2024 के आम चुनावों में अपनी जीत का सिलसिला जारी रखने की उम्मीद है. मराठवाड़ा में, उसे उम्मीद है कि आरक्षण की मांग करने वाले मराठा, रिजर्वेशन की 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक बढ़ाने के उसके वादे से आकर्षित होकर उसे वोट देंगे. एमपीएम में कांग्रेस के कुल मैचों का लगभग 40 प्रतिशत विदर्भ में है, जहां यह दो-तिहाई मुकाबले खेलेगी.
शिवसेना (उद्धव) ठाणे-कोंकण (24) में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसके बाद मुंबई (22) में है. बालासाहेब ठाकरे की विरासत की लड़ाई में उसका सामना ठाणे और मुंबई में सेना (शिंदे) से है. 2024 के आम चुनावों में, जबकि उद्धव ने शिंदे के खिलाफ मुंबई की लड़ाई जीती, शिंदे ने ठाणे-कोंकण में सीधी लड़ाई में जीत हासिल की. शिवसेना यूबीटी अविभाजित शिवसेना के गढ़ में अपनी लगभग आधी सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
राकांपा (शरद पवार) पश्चिम महाराष्ट्र (38) में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसके बाद मराठवाड़ा (15) और विदर्भ (13) सीटों पर चुनाव लड़ रही है. यह 'असली बनाम नकली एनसीपी' की लड़ाई में पश्चिम महाराष्ट्र में एनसीपी (एपी) का सामना कर रही है. 2024 के आम चुनावों में शरद पवार ने एकतरफा जीत हासिल की. जिन 10 लोकसभा सीटों पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा, उनमें से आठ पर जीत हासिल की. शरद पवार गुट ने अविभाजित एनसीपी का 74 प्रतिशत समर्थन हासिल किया, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सिर्फ 26 प्रतिशत समर्थन मिला. वह अविभाजित राकांपा के गढ़ पश्चिम महाराष्ट्र में अपनी 45 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
कौन सी टीम किसके विरुद्ध खेल रही है?
महाराष्ट्र में तीन प्रमुख लड़ाई हैं: कांग्रेस बनाम बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) बनाम शिवसेना (उद्धव), और एनसीपी (एपी) बनाम एनसीपी (एसपी). इनके बीच 169 सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई है, जो 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा की ताकत का लगभग 60 प्रतिशत है. कांग्रेस और बीजेपी 75 सीटों पर आमने-सामने होंगी; इनमें विदर्भ में 35, पश्चिम महाराष्ट्र में 12 और मराठवाड़ा में 10 सीटें शामिल हैं.
2024 के आम चुनाव से पहले आमने-सामने की लड़ाई में बीजेपी का पलड़ा भारी रहता था. हालांकि, वह धारणा बदल गई है. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 2019 में आठ प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 29 प्रतिशत हो गया है. महाराष्ट्र में आम चुनाव में जिन 90 विधानसभा सीटों पर इनका आमना-सामना हुआ, उनमें से 52 पर कांग्रेस और 38 पर भाजपा आगे थी. विदर्भ इन चुनावों की दिशा तय कर सकता है.
विदर्भ में किसान किंगमेकर हैं. एमवीए ने कृषि ऋण माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का वादा किया है, जबकि महायुति ने मुफ्त बिजली के साथ-साथ पीएम किसान सम्मान निधि को 12,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति वर्ष करने का वादा किया है.
शिवसेना के दोनों गुट 53 सीटों पर आमने-सामने हैं, जिनमें से ठाणे-कोंकण में 16 और मुंबई और मराठवाड़ा में 11-11 सीटें हैं. इनमें से आधी लड़ाइयां मुंबई महानगर क्षेत्र में हैं. जहां मुंबई में ठाकरे मजबूत हैं, वहीं ठाणे में शिंदे मजबूत हैं. शिवसेना ने ठाणे-कोंकण में एकनाथ शिंदे और नारायण राणे जैसे नेताओं पर भरोसा किया और अब दोनों महायुति में हैं. यहां, कांग्रेस और एनसीपी की सीमित उपस्थिति है, जबकि भाजपा की अच्छी उपस्थिति है, जो महायुति की संभावनाओं को बढ़ाती है.
राकांपा के दोनों गुट 41 सीटों पर एक-दूसरे का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 20 अकेले पश्चिम महाराष्ट्र में हैं. शरद पवार के पक्ष में सहानुभूति है, जो 'अपने आखिरी चुनाव' का कार्ड खेल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में अजित की पत्नी सुनेत्रा की शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से हार के बाद बारामती में चाचा और भतीजे के बीच एक और चुनावी लड़ाई हो रही है. अजित पवार को उम्मीद है कि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाले उनके विधायक स्थानीय लड़ाई में जीत हासिल करेंगे.
महायुति और एमवीए दोनों में कमजोर कड़ी कौन?
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे इस बात पर भी निर्भर करेंगे कि दोनों टीमों में कमजोर कड़ी कौन है. 2024 के आम चुनावों में, यह महायुति के लिए एनसीपी (एपी) थी. 2009 से 2019 तक के नतीजों के आधार पर पार्टियों के स्ट्रेंथ स्कैनर से पता चलता है कि बीजेपी जिन 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 95 सीटें मजबूत/बहुत मजबूत हैं, यानी पिछले तीन चुनावों में उसने दो या तीन बार ये सीटें जीती हैं. कांग्रेस जिन 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 39 मजबूत/बहुत मजबूत सीटें हैं.
कमजोर सीटों पर चुनाव लड़ने का अनुपात दर्शाता है कि भाजपा के लिए यह सबसे कम 14 प्रतिशत है और शिवसेना (उद्धव) के लिए सबसे अधिक 34 प्रतिशत है. शिवसेना यूबीटी जिन 95 सीटों पर वह चुनाव लड़ रही है, उनमें से 32 पर उसने पिछले तीन चुनावों में एक बार भी जीत हासिल नहीं की है या चुनाव नहीं लड़ा है. ऐसी 31 सीटों पर उसका मुकाबला बीजेपी से है. इनमें से 18 सीटें बीजेपी की मजबूत/बहुत मजबूत सीटें हैं. यह फैक्टर भी चुनाव की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है.
सीटों के बंटवारे को लेकर एमवीए में काफी तनाव देखा गया. कांग्रेस नेता यह स्वीकार कर रहे हैं कि उसने बहुत अधिक संख्या में सीटें उद्धव ठाकरे को दे दी हैं. शिवसेना यूबीटी ऐसी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जो कांग्रेस और एनसीपी की मजबूत/बहुत मजबूत सीटें रही हैं.क्या उद्धव 2024 के महाराष्ट्र प्रीमियर लीग (विधानसभा चुनाव) में एमवीए की 'कमजोर कड़ी' साबित होंगे? क्या विदर्भ की पिच तय करेगी कि ट्रॉफी कौन उठाएगा? मैन ऑफ द सीरीज कौन होगा, बीजेपी या कांग्रेस, या शरद पवार असली चाणक्य साबित होंगे?
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.