डिजिटल अरेस्ट करने के बाद ठगी के मामले देश में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आज तक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन (SIT) टीम लगातार इस मामले पर पड़ताल कर रही है. जांच के दौरान इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (IDPR) में यह सामने आया है कि इस रैकेट के तार विदेश तक जुड़े हुए हैं. इस नेटवर्क को म्यांमार, कंबोडिया, वियतनाम और लाओस से चलाया जा रहा है. कंबोडिया और दुबई से ठगी का पैसा निकाला जा रहा है.
इस तरह के काम करने वाली प्राइवेट कंपनियां भारतीय कर्मचारियों को काम पर रखती हैं. कई भारतीयों को विदेशी नौकरी के प्रस्तावों का लालच दिया जाता है, बाद में उन्हें डिजिटल गुलाम बना दिया जाता है. बता दें कि कई एजेंसियां डिजिटल गिरफ्तारियों के पीछे के नेटवर्क को ट्रैक करने के लिए काम कर रही हैं.
स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई सच्चाई
बता दें कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए, इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था. जांच तब शुरू की गई जब एक कूरियर कंपनी ने इंडिया टुडे के रिपोर्टर से कॉन्टेक्ट किया और दावा किया था कि उनके नाम का एक पार्सल मुंबई में फंस गया है. दावे के मुताबिक, डीएचएल कर्मचारी होने के दावे के साथ फोन कॉल में स्कैमर ने बताया कि पार्सल मुंबई से बीजिंग भेजा गया था, जिसकी डिलीवरी नहीं हो पाई.
'कस्टम ने जब्त कर लिया है पार्सल'
रिपोर्टर को स्कैमर ने उनकी पहचान, उनका नाम, आईडी प्रूफ और फोन नंबर भी बताया, जिसका कथित रूप से पार्सल भेजने में इस्तेमाल किया गया था. डीएचएल कर्मी होने का दावा करने वाले स्कैमर ने उन्हें बताया कि पार्सल को मुंबई कस्टम ने जब्त कर लिया है. फर्जी डीएचएल कॉलर ने रिपोर्टर को यह भी बताया कि पार्सल में क्या था और कहा कि पार्सल में पांच क्रेडिट कार्ड, सात पासपोर्ट्स, 3.5 किलो कपड़े, 400 ग्राम एमडीएमए और भारत में अवैध माने जाने वाले कुछ तत्व शामिल थे. बाद में कॉलर ने रिपोर्टर से बताया कि इसके लिए एक शिकायत दर्ज करानी होगी, और इसके बाद वॉटसएप पर मुंबई के एक कथित पुलिस ऑफिसर को भी कॉल की गई.
गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी
कॉल पर, फर्जी अधिकारी ने ड्रग तस्करी पर चिंता जताते हुए पार्सल के बारे में रिपोर्टर से पूछताछ की. फर्जी पुलिस अधिकारी ने रिपोर्टर को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने के साथ कहा, 'अगर 10 ग्राम भी मिला, तो आपको 3-7 साल की सजा होगी और आपके पार्सल में 400 ग्राम पदार्थ है.' हैरान होते हुए रिपोर्टर ने जवाब दिया कि पार्सल से उनका कोई संबंध नहीं है.
धमकी देता रहा फर्जी अधिकारी
फिर भी, फर्जी अधिकारी ने कहा कि अगर पार्सल से जुड़ा कोई शव मिला तो स्थिति और खराब हो सकती है. फर्जी पुलिस वाले ने धमकी भरे लहजे में कहा,'अगर अगले एक घंटे में तुम्हारे नाम पर कोई हथियार या लाश बरामद हो जाए तो क्या होगा? क्या तुम तब भी अपने दफ्तर में ऐसे ही बैठे रहोगे? क्या यह तुम्हारे लिए बड़ी समस्या नहीं बन जाएगी?'
फर्जी अफसर ने खुद को बताया IPS
अधिकारी की धमकाने की रणनीति उस समय नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई जब उसने वीडियो बयान रिकॉर्ड करने पर जोर दिया और आधार सहित संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी मांगी. 27 साल के अनुभव वाले एक आईपीएस अधिकारी होने का दावा करते हुए, फर्जी पुलिस वाले ने रिपोर्टर पर 536 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के लिए जांच के तहत एक व्यवसायी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का आरोप लगाया. अधिकारी ने आरोप लगाया कि रिपोर्टर के नाम पर एक केनरा बैंक अकाउंट इस अवैध गतिविधि से जुड़ा हुआ है, जिससे वह धोखे के जाल में और फंस गया.
पेश कर दिया ED का वारंट
बातचीत के दौरान, रिपोर्टर को नकली दस्तावेज दिखाए गए, जिन्हें नेशनल सीक्रेट्स के रूप में पेश किया गया. फर्जी अधिकारी ने उसे मामले के बारे में चुप रहने और किसी और के साथ इस पर चर्चा करने से परहेज करने का भी निर्देश दिया. जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, स्कैमर ने मांग की कि रिपोर्टर एक 'प्योरिटी टेस्ट' से गुजरे और एक अन्य कथित अधिकारी का परिचय दिया जिसने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का वारंट पेश किया - जिसमें रिपोर्टर की तस्वीर भी लगी थी.
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