टारगेट किलिंग, TRF और नया टेरर मैप... जम्मू कश्मीर के शांत इलाकों को दहलाने की पाकिस्तानी साजिश समझें

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जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर दहशत फैलाने की कोशिश की है. हमले के दिन से लेकर इलाका तक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. रविवार को ही श्रीनगर में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की कश्मीर मैराथन हुई है और देर शाम 20 किमी दूर गगनगीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर मजदूरों को लहूलुहान कर दिया है. फिलहाल, TRF, टारगेट किलिंग और पाकिस्तान का नया टेरर मैप सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई टेंशन बन गया है.

बताते चलें कि श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांदरबल में टनल निर्माण का काम चल रहा है. यहां रविवार देर शाम नकाबपोश आतंकी आए और हमला कर दिया. इसमें एक डॉक्टर और छह मजदूरों की मौत हो गई. जबकि चार लोग घायल हुए हैं. आतंकवादियों ने यह हमला तब किया, जब मजदूर और अन्य कर्मचारी अपने कैंप में लौट आए थे. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि हमले में लिप्त आतंकियों के बारे में अहम सबूत जुटाए जा रहे हैं.

सोमवार को सुरक्षा एजेंसी काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने कश्मीर में नए आतंकवादी संगठन 'तहरीक लबैक या मुस्लिम' (Tehreek Labaik Ya Muslim) के भर्ती मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. इस संगठन को लश्कर-ए-तैयबा की ब्रांच माना जाता है. ये कथित तौर पर 'बाबा हमास' नाम का एक पाकिस्तानी आतंकवादी हैंडलर ऑपरेट कर रहा था.

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कश्मीर को अशांत दिखाने की कोशिश

जम्मू कश्मीर में यह पहली बार नहीं है, जब आतंकियों ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया हो. जम्मू रीजन और सोनमर्ग जैसे शांत इलाकों में आतंकी लंबे समय से दहशत फैलाने के लिए बड़ी साजिश कर रहे हैं. यह सामने आ रहा है कि गांदरबल आतंकी हमले के पीछे दुनिया में कश्मीर को फिर अशांत दिखाने का प्रयास किया गया है. इस पूरे हमले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है. इस संगठन ने अपना नाम बदलकर अब द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ नाम रख लिया है.

टारगेट किलिंग के जरिए दहशत फैलाने का प्रयास

टीआरएफ के आतंकी जम्मू कश्मीर में लगातार टारगेट किलिंग की कोशिश में है. रविवार देर रात जो हमला हुआ, उसके पीछे सिर्फ दहशत फैलाने का ही इरादा था. क्या कश्मीरी... क्या गैर कश्मीरी... क्या हिंदू और क्या मुसलमान... हमले का शिकार हुए 12 में से 5 लोग जम्मू-कश्मीर से हैं. जान गंवाने वाले डॉ. शाहनवाज, बडगाम के नईदगाम रहने वाले थे और यूपी की उस कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे, जो बडगाम-सोनमर्ग को जोड़ने के लिए टनल बना रही थी. घायल हुए मुश्ताक अहमद लोन पास के ही कंगन इलाके के प्रेंग के रहने वाले हैं. घायल हुए इशफाक अहमद भट सफापोरा के रहने वाले हैं. इसके अलावा जान गंवाने वाले शशि अबरोल डिजाइनर थे और जम्मू के रहने वाले थे. घायल हुए जगतार सिंह कठुआ के रहने वाले हैं.

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साफ है कि आतंकियों ने गोलियां बरसाते समय कश्मीरी या गैर-कश्मीरी नहीं देखा... जो मिला, उन्होंने उसे ही मौत के घाट उतारने की कोशिश की. उनके निशाने पर गैर-कश्मीरी नहीं, भारतीय कश्मीर की तरक्की थी.

हमले के पीछे क्या है रणनीति?

दरअसल, जेड मोड़ टनल का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन यहां से 10 किलोमीटर दूर एशिया की सबसे लंबी सुरंग बन रही है. जोजिला सुरंग... जो श्रीनगर से लेह को जोड़ेगी और हर मौसम में खुली रहेगी. इससे चीन-पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई और भी तेज और पुख्ता तौर पर हो सकेगी. गगनगीर में हुआ हमला पाकिस्तान की ओर से जोजिला सुरंग का काम धीमी करने की साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. साफ है कि पाकिस्तान को कश्मीरियों की परवाह नहीं है. वैसे भी जम्मू-कश्मीर के लोगों ने शांतिपूर्ण और ऐतिहासिक मतदान से चुनाव पूरा कर दहशतगर्द पाकिस्तान को करारा तमाचा जड़ दिया है. अपनी बौखलाहट में उसने ये हमला करवाया.

पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों द्वारा जम्मू और कश्मीर में आतंक फैलाने की जो नई रणनीति उभर रही है, वो बेहद चिंताजनक है. खासकर जम्मू रीजन और सोनमर्ग जैसे शांत इलाकों में टारगेट किलिंग और आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा देखा जा रहा है. आतंकवादी संगठनों का उद्देश्य सिर्फ हिंसा और अस्थिरता पैदा करना ही नहीं है, बल्कि क्षेत्र के विकास कार्यों, राजनीतिक प्रक्रिया, और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बाधित करना भी हो सकता है. इसके पीछे रणनीति को 5 प्रमुख पॉइंट में समझा जा सकता है.

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1. जमीनी स्तर पर अशांति फैलाना और निशाने पर विकास कार्य
जम्मू और कश्मीर के शांत इलाकों में अस्थिरता और डर का माहौल पैदा करना मुख्य उद्देश्य है. खासकर सिविलियन और सुरक्षा बलों पर हमला कर लोगों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ाए जाने की कोशिश की जा रही है. आतंकवादी संगठन TRF (The Resistance Front) और इसके सहयोगी संगठनों द्वारा योजनाबद्ध टारगेट किलिंग का सहारा लिया जा रहा है, जो एक तरह से सर्जिकल स्ट्राइक की तरह काम करता है.

आतंकवादी अक्सर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाते हैं, जैसे सड़कें, पुल, बिजली परियोजनाएं, और सरकारी सुविधाएं. इसका उद्देश्य यह है कि राज्य के विकास को धीमा किया जा सके और लोगों के जीवन स्तर में सुधार न हो. विकास प्रोजेक्ट में बाधा डालकर ये संगठन स्थानीय जनता में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा करना चाहते हैं, ताकि सरकार की नीतियों और प्रगति को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा सके.

2. TRF का उभार और शांत इलाकों को अशांत करने का प्रयास

TRF पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन है, जो सीधे तौर पर खुद को अलग पहचान के रूप में पेश करता है. इसका उद्देश्य स्थानीय लड़ाकों को उकसाना और नए आतंकियों की भर्ती करना है. TRF का गठन एक प्रॉक्सी (छद्म) के तौर पर हुआ है ताकि पाकिस्तान के सीधे हस्तक्षेप से ध्यान भटकाया जा सके. यह रणनीति आतंकवादी हमलों को लो-प्रोफाइल और लोकलाइज्ड करने की कोशिश है ताकि वैश्विक दबाव कम हो और इसे एक लोकल विद्रोह के रूप में पेश किया जा सके.

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जैसे-जैसे कश्मीर के कई इलाकों में शांति और स्थिरता लौट रही है, आतंकवादी संगठन इन इलाकों में नए हमले करके डर और अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं. इसका एक बड़ा उद्देश्य यह भी है कि स्थानीय लोग और निवेशक इन क्षेत्रों में भरोसा ना कर सकें, जिससे यहां पुनर्वास और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं. आतंकवादी संगठन और उनके समर्थक नहीं चाहते कि कश्मीर में शांति प्रक्रिया सफल हो या वहां राजनीतिक स्थिरता आए. वे पॉलिटिकल पार्टियों और स्थानीय नेताओं के बीच संवाद को बाधित करने की कोशिश करते हैं ताकि कोई स्थायी समाधान ना निकले. हमलों के जरिए यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि कश्मीर की स्थिति सामान्य नहीं है और वहां राजनीतिक स्थिरता नहीं आ सकती.

3. पर्यटन को रोकने की कोशिश

कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण टूरिज्म का एक प्रमुख केंद्र है. आतंकवादी संगठन टूरिस्ट्स और टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करके क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने का प्रयास करते हैं. टूरिज्म से स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होता है और इसका रुकना लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. इसलिए आतंकवादी संगठनों की कोशिश रहती है कि कश्मीर को पर्यटकों के लिए असुरक्षित दिखाया जाए.

4. टारगेट में जम्मू रीजन और स्थानीय नेटवर्क खड़ा करने का प्रयास

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जम्मू क्षेत्र को अब तक अपेक्षाकृत शांत माना जाता था. अब ये इलाका आतंकवादियों के निशाने पर है. यहां हमले करना आतंकियों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय सेना के रणनीतिक महत्व के आधारों और अमरनाथ यात्रा जैसे धार्मिक स्थलों के नजदीक है. सुरक्षा तंत्र को कमजोर करने के लिए आतंकी घटनाओं को बढ़ाने का प्रयास हो रहा है ताकि जनता का विश्वास कम हो.

सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके स्थानीय युवाओं को रैडिकलाइज करने की कोशिशें की जा रही हैं. पाकिस्तान प्रायोजित संगठन ऐसे युवाओं को भर्ती कर रहे हैं, जो बेरोजगारी या अन्य कारणों से नाराज होते हैं. यह एक दीर्घकालिक रणनीति है, जिसके तहत स्थानीय आतंकवादी नेटवर्क तैयार किए जा रहे हैं, जो स्थानीय समाज में घुले-मिले रहते हैं और सुरक्षा बलों की पकड़ से बचने में सक्षम होते हैं.

5. सीमापार से हथियारों की सप्लाई और आतंक का समर्थन

पाकिस्तान की ओर से लगातार ड्रोन और अन्य माध्यमों से हथियारों की सप्लाई जारी है. सीमापार से नकली मुद्रा, हथियार और ड्रग्स जैसी सामग्रियों की तस्करी के जरिए आतंकवादियों को समर्थन दिया जा रहा है.
इस नई रणनीति का उद्देश्य सुरक्षा एजेंसियों की क्षमताओं को कमजोर करना और आतंकवाद को एक लंबे समय तक सक्रिय रखना है.

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आतंकवादी संगठन सामाजिक और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देकर लोगों को बांटना चाहते हैं. इसके जरिए वे सामाजिक मेल-जोल और सामंजस्य को खत्म करने की कोशिश करते हैं, ताकि लोग एकजुट होकर शांति प्रक्रिया का समर्थन न कर सकें. यह रणनीति स्थानीय स्तर पर सरकार विरोधी और असंतोष फैलाने का काम करती है, ताकि आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन प्राप्त हो.

क्या बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा?

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि हमले में दो विदेशी आतंकवादियों के बारे में जानकारी मिल रही है. ये आतंकी संभवत: उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा इलाके से घुसपैठ कर आए हैं. एलजी सिन्हा ने कहा, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को हमलावरों का पता लगाने और उन्हें खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं. शुरुआती जांच के अनुसार, संभवतः दोनों विदेशी आतंकवादी अपने चेहरे को नकाब से ढके थे. वो जेड मोड़ सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी के मेस में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. सात लोग मारे गए और चार घायल हो गए. दोनों आतंकवादियों ने कथित तौर पर उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा इलाके से घुसपैठ की थी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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