अंडरग्राउंड मिसाइल ठिकाने, एयरबेस और... इजरायल के टारगेट पर होंगे ईरान के ये ठिकाने?

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ईरान के मिसाइल हमले के बाद अब इजरायल भी संभावित जवाबी कार्रवाई कर सकता है. इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है बताया जा रहा है कि इजरायल द्वारा ईरान की सबसे महत्वपूर्ण सैन्य और रणनीतिक संपत्तियों को निशाना बनाया जा सकता है. जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ रहा है, सवाल उठ रहा है कि इजरायल का अगला कदम क्या होगा और उसके टारगेट पर ईरान की कौन सी जगह होंगी. साथ ही वह आगे के हमलों से खुद को कैसे बचाएगा?

इजरायल की जवाबी कार्रवाई में संभावित ईरानी टारगेट

अगर इजरायल जवाबी हमला करता है तो संभावना है कि पहला टारगेट ईरान की मिसाइल सुविधाएं और एयरबेस होंगे. खोरमाबाद के पास भूमिगत मिसाइल परिसर लिस्ट में सबसे ऊपर हो सकता है, जहां बैलिस्टिक मिसाइलों को संग्रहीत और लॉन्च किया जाता है. इस बेस का रणनीतिक स्थान, तेल अवीव और इराकी सीमा दोनों के निकट होने के कारण इसे ईरान के मिसाइल नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण नोड बनाता है. इजरायल ईरान की आक्रामक क्षमताओं को कमजोर करने के लिए इन भूमिगत साइलो को बेअसर करने का टारगेट रखेगा.

इजरायल के टारगेट पर देश भर में फैले ईरान के एयरबेस भी मुख्य रूप से होंगे. ईरान की वायु सेना को कमजोर करके इजरायल भविष्य में मिसाइल या हवाई हमलों के खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है. इन सामरिक एयरबेसों के विनाश से ईरान जवाबी हमले करने से बच जाएगा और मध्य पूर्व में इसकी परिचालन पहुंच कम हो जाएगी. इन सैन्य प्रतिष्ठानों के साथ-साथ, इजरायल ईरान की परमाणु सुविधाओं, हथियार उत्पादन स्थलों और प्रमुख कमांड केंद्रों को निशाना बना सकता है ताकि देश की युद्ध छेड़ने की क्षमता को पंगु बनाया जा सके.

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भूमिगत सैन्य परिसर और मिसाइल बेस: ईरान की ढाल

ईरान के दिल कहे जाने वाले करमनशाह के बीहड़ इलाके के नीचे भूमिगत सैन्य परिसर का एक विशाल नेटवर्क है. ये किलेबंद प्रतिष्ठान हवाई हमलों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करते हैं, जिसमें एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल बैटरियां लगातार हाई अलर्ट पर रहती हैं, जो किसी भी खतरे के लिए आसमान को स्कैन करती हैं. अपने रणनीतिक महत्व के लिए जाना जाने वाला करमनशाह शहर इन सतर्क सुरक्षाओं द्वारा सुरक्षित है. लेकिन इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य खोरमाबाद के पास इमाम अली मिसाइल साइलो बेस हो सकता है. यह मिसाइल बेस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है - तेल अवीव से सिर्फ 1,265 किलोमीटर और इराक सीमा से मात्र 195 किलोमीटर दूर.

इस क्षेत्र की जमीन के नीचे मिसाइलों से भरा एक पूरा भूमिगत शहर है. हर तरह की बैलिस्टिक मिसाइल का लॉन्च सेंटर स्थल यहां है, जो इसे एक दुर्जेय सैन्य परिसर बनाता है. धरती में खोदी गई कुल आठ सुरंगों के साथ इस सुविधा में 1,300 किलोमीटर दूर तक के टारगेट पर हमला करने में सक्षम मिसाइलें हैं. पहाड़ों के भीतर गहरे बने इस बेस को बंकर-बस्टिंग गोला-बारूद का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो किसी भी हमले के खिलाफ़ सुरक्षा की एक प्राकृतिक परत प्रदान करता है.

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ईरानी एयरबेस: क्रॉसहेयर में रणनीतिक टारगेट

आधुनिक युद्ध में हवाई श्रेष्ठता महत्वपूर्ण है. किसी भी देश को अपने घुटनों पर लाने के लिए पहले प्रतिक्रिया देने वालों को निशाना बनाना चाहिए - वायु सेना और उनके ठिकानों को. ठीक यही ईरान ने इजरायल के खिलाफ अपने हमलों के दौरान किया था. लॉन्च की गई कई मिसाइलों का लक्ष्य उन एयरबेस को बनाया गया था जहां से इजरायल लेबनान और यमन में आतंकवादी खतरों के खिलाफ अपने हवाई अभियान चलाता था. यह स्पष्ट है कि जवाबी कार्रवाई में इजरायल इसी तरह ईरानी एयरबेस को निशाना बनाएगा, जहां से ईरानी वायु सेना संचालित होती है.

ईरान के पास अलग-अलग क्षेत्रों में फैले कुल 17 एयरबेस हैं, जो सभी सामरिक प्रकृति के हैं. ये बेस सैन्य अभियानों को शुरू करने और उन्हें बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं. इन एयरबेसों के नष्ट होने से ईरान की बड़े पैमाने पर हवाई अभियान चलाने की क्षमता कम हो जाएगी.

ईरान की वायु रक्षा हाई अलर्ट पर

इजरायली जवाबी हमले की संभावना से पूरी तरह वाकिफ ईरान ने अपने महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है. ईरान की कम दूरी की, कम ऊंचाई वाली वायु रक्षा प्रणाली, जिसे अजरख्श (थंडरबोल्ट) के नाम से जाना जाता है, अब सक्रिय और तैयार है. इसके अलावा, आसमान की रक्षा के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. S-200 और S-300 जैसी लंबी दूरी की रूसी प्रणालियां, ईरान के घरेलू रूप से विकसित बावर-373 के साथ आने वाले खतरों को रोकने के लिए तैयार हैं.

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मध्यम दूरी पर अमेरिका द्वारा निर्मित एमआईएम-23 हॉक, एचक्यू-2जे और खोरदाद-15 जैसी प्रणालियों को तैनात किया गया है. नजदीकी रक्षा के लिए चीन निर्मित सीएच-एसए-4 सिस्टम और 9के331 टोर-एम1 भी हाई अलर्ट पर हैं. साथ में, ये वायु रक्षा परतें एक दुर्जेय ढाल बनाती हैं, जो ईरान को हवाई हमले के खिलाफ़ रक्षा की कई पंक्तियाँ प्रदान करती हैं.

पूरे क्षेत्र के तनाव के साथ ईरान के ऊपर का आसमान एक संभावित युद्ध का मैदान बना हुआ है. दोनों देश एक ऐसे संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं जो किसी भी समय भड़क सकता है, जिसके दोनों पक्षों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. फिर भी, इस तनाव के दौरान ईरान के भूमिगत मिसाइल शहर, एयरबेस और जटिल वायु रक्षा प्रणालियाँ इसकी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि यह अपरिहार्य प्रतिशोध के खिलाफ़ खुद का बचाव कर सके.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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