ईरान पर हमले के प्लान में आएगी तेजी या हिज्बुल्लाह को खदेड़ने पर रहेगा फोकस... खामेनेई की खुली धमकी के बाद इजरायल पर नजर

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

क्या ईरान इजरायल पर दोबारा हमला करेगा? अगर ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा? दुनिया की सबसे बड़ी खबर इजरायल और ईरान के बीच सीधे महायुद्ध को लेकर है. ईरान के हमले के बाद दुनिया इजरायल के पलटवार का इंतजार कर रही थी, लेकिन उससे पहले ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने आकर जो कहा वो आग में घी डालने जैसा है.

इजरायल और ईरान पर इस वक्त सारी दुनिया की नजरें लगी हैं. आगे क्या होगा सब यही जानना चाहते हैं. आजतक के 3 रिपोर्टर इस वक्त 3 अलग अलग देशों में इस वॉर को रिपोर्ट कर रहे हैं. गौरव सावंत इजरायल के तेल अवीव में हैं. लेबनान के बेरूत में अशरफ वानी और ईरान के तेहरान में राजेश पवार मौजूद हैं.

लेकिन सबसे पहले बात ईरान के सुप्रीम लीडर की इस तस्वीर की, जिसमें वो रायफल पकड़कर इजरायल को धमका रहे हैं. आखिर ईरान के सर्वोच्च नेता ने ऐसा क्यों किया. ऐसा करके वो क्या संदेश देना चाहते हैं? तस्वीर की सारी दुनिया में चर्चा है.

ईरान की राजधानी तेहरान जहां हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद पहली बार ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई की इस तस्वीर में क्या खास बात है?

Advertisement

क्यों खामेनेई की इस तस्वीर की सारी दुनियाभर में चर्चा हो रही है? इस तस्वीर की पूरी कहानी आपको बताएं उससे पहले आयतुल्लाह खामेनेई के संबोधन की बड़ी बात के बारे में आपको बताते हैं. जिन्हें मोसल्ला मस्जिद में सुनने के लिए भारी भीड़ जुटी हुई थी. जो इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने 4 साल में पहली बार जुमे की नमाज़ के दिन दिए अपने संबोधन में इस्लामी देशों से एकजुट होने की अपील की.

लेकिन एक तस्वीर को देखिए जिसकी हर तरफ चर्चा है. क्योंकि आयतुल्लाह खामेनेई ने रायफल हाथ में पकड़कर भाषण दिया. खामेनेई जब भी तकरीर करते हैं तो वो रायफल पकड़कर ही भाषण देते हैं.

इजरायल पर हमले को जायज बताया
ईरान के सर्वोच्च नेता ने अपने भाषण में इजरायल पर हमले को पूरी तरह जायज बताया. ये भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वो दोबारा इजरायल पर हमला करेंगे. खामेनेई ने कहा कि उनकी सेना ने जो इजरायल पर हमला किया वो उसके अपराधों की कम से कम सजा थी. नसरल्लाह को भाई बताते हुए, उसे लेबनान का चमकता हीरा बताया.

इससे पहले खामेनेई की इन तस्वीरों के जरिए कई मायने निकाले गए. माना गया कि नसरल्लाह की मौत से ईरान को झटका लगा है, गम, गुस्सा है. लेकिन इसके बाद जिस तरह से खामेनेई ने रायफल हाथ में लेकर अपनी बात कही उसे लेकर एक साथ कई संदेश देने की कोशिश बताई जा रही है.

Advertisement

खामेनेई ने भाषण के जरिए दिखाई ताकत
जानकारों का कहना है कि खामेनेई ने अपने इस भाषण से अपनी ताकत दिखाने के साथ ही अपने देश की जनता को भी शांत करने का प्रयास किया है. खामेनेई ने सार्वजनिक मंच पर आकर उन खबरों को खारिज करने की कोशिश की है, जिनमें ये कहा जा रहा था कि हमास नेता इस्माइल हनिया और फिर हिज़्बुल्लाह के शीर्ष नेता हसन नसरल्लाह के मारे जाने से उन्हें अपनी हत्या का डर सता रहा है. ये कार्यक्रम एकजुटता दिखाने की भी कोशिश कही जा सकती है. इस दौरान ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान और सरकार के सभी बड़े चेहरे भी वहां मौजूद थे. खामेनेई ने उन आशंकाओं को भी खैरज किया जिनमें कहा जा रहा था कि इजरायल की हालिया कार्रवाइयों की वजह से क्षेत्र में ईरान का अपने प्रॉक्सीज को समर्थन प्रभावित होगा.

बड़ी बात ये है कि आयतुल्लाह अली खामेनेई ने 4 साल पहले भी इसी तरह का भाषण दिया था. तब अमेरिका ने उनके सबसे बड़े कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मारा था. तब भी ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर हमला किया था. इस बार भी ऐसा हो रहा है. इजरायल भले ही इस वक्त ईरान पर हमले का प्लान बना रहा हो. लेकिन उसका सारा फोकस लेबनान पर है. जहां उसे हिजबुल्ला को पीछे धकेलना है.

Advertisement

इजरायल चाहता है हिजबुल्लाह लेबनान बॉर्डर से 30 किलोमीटर पीछे चला जाए
इजरायल चाहता है कि हिजबुल्लाह लेबनान बॉर्डर से 30 किलोमीटर पीछे चला जाए. यानी इजरायल चाहता है कि हिजबुल्लाह लेबनान की लिटानी नदी के पीछे चला जाए. इजरायल ने अपनी सीमा को सुरक्षित करने के लिए या तो प्राकृतिक बाउंडरी का सहारा लिया है या फिर बफर जोन का जॉर्डन नदी उसे जॉर्डन से अलग करती है. सिनाई रेगिस्तान मिस्र से अलग करता है और गोलन हाइट्स से सटा बफर जोन उसे और सीरिया को बांटता है, लेकिन लेबनान के बॉर्डर से साथ ऐसा नहीं है. इसलिए साल 2006 में UN ने एक प्रस्ताव दिया था कि लिटानी नदी के दक्षिण में 850 स्क्वयार किलो मीटर का बफर जोन बनाया जाए. जिसकी पेट्रोलिंग UN पीस कीपिंग मिशन और लेबनान की सेना करेगी. बॉर्डर से इजरायल और हिजबुल्लाह के आतंकी पीछे हट जाएंगे. पिछले साल जिस तरह हमास ने हमला किया उसके बाद अब इजरायल चाहता है कि हिजबुल्लाह उसके बॉर्डर से पीछे चला जाए, इसके लिए वो बफर जोन बनाने की दलील देकर लेबनान में घुस गया है.

बाइडेन प्रशासन में ईरान पर हमले को लेकर मंथन
अमेरिकी वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट से पता चला है कि जो बाइडेन प्रशासन में ईरान पर हमले को लेकर मंथन चल रहा है. इस मामले में अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इजरायल और अमेरिका ईरान के तेल ठिकानों पर हमले को लेकर चर्चा कर रहे हैं. अमेरिका को लगता है कि अगर इजरायल तेल भंडार को तबाह करता है तो उसकी इस कार्रवाई को सीमित माना जाएगा. ये कार्रवाई इजरायल अकेले करेगा, लेकिन हमेशा की तरह अमेरिका की पीठ के पीछे खड़ा रहेगा.

Advertisement

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से जब ईरान पर हमला करने में इजरायल की मदद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी कहा कि दोनों देश ईरान के तेल डिपो पर हमला करने का प्लान बना रहे हैं.

इजरायल के हमले को देखते हुए ईरान ने भी की तैयारी
इजरायल के हमले को देखते हुए ईरान ने अपने सबसे अहम द्वीप खार्ग से आयल टर्मिनल से तेल निकालना शुरू कर दिया है. ईरान को भरोसा है कि इजरायल उसे आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए ऐसा करेगा, इसलिए उसकी तरह से लगातार ऑयल टर्मिनल से तेल निकाला जा रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों से ये खुलासा हुआ है. जहाज खार्ग द्वीप पर ईरान के महत्वपूर्ण तेल टर्मिनल से निकल कर रहे हैं. फारस की खाड़ी में स्थित खार्ग द्वीप से ही ईरान अपना 95 फीसदी तेल निर्यात करता है.

खार्ग द्वीप से ईरान का 95 फीसदी तेल बाहर सप्लाई होता है
खार्ग द्वीप से ईरान का 95 फीसदी तेल बाहर सप्लाई होता है. खार्ग द्वीप ईरान के तट से 25 किलो मीटर दूर है. यहां से ईरान से निर्यात होने वाला 95 फीसदी तेल दुनिया में जाता है. ये रणनीतिक रूप से भी ईरान के लिए अहम है. इसलिए ईरान से जो भी लड़ता है. वो यहीं हमला करता है. 1980 के दशक में जब इराक और ईरान का युद्ध हुआ था तब इराक ने यहीं पर बमबारी की थी. तो क्या इजरायल भी ईरान के मुख्य तेल निर्यात टर्मिनलपर हमला करेगा. बड़ी बात ये है कि अप्रैल महीने में हूती विद्रोहियों के खिलाफ इजरायल ऐसा ही हमला उसके तेल डिपो पर किया था.

Advertisement

सऊदी ईरान के रिश्तों की कहानी
ईरान की तरफ से इजरायल के खिलाफ अरब देशों को साथ आने की भी अपील की गई. अब इसका क्या मतलब है? क्या ये बताता है कि ईरान अब अकेला महसूस कर रहा है? क्या उसे लगता है वो इजरायल का अकेले मुकाबला नहीं कर सकता? सवाल कई हैं लेकिन सुन्नी बहुल देशों के नेता ईरान की अपील सुनेंगे लगता तो नहीं

सऊदी अरब और ईरान के रिश्ते बेहतर नहीं
क्योंकि सुन्नी देशों के नेता सऊदी अरब और ईरान के रिश्ते बेहतर नहीं है. इसमें साल 2011 में मोड़ तब आया जब पूरा मिडिल ईस्ट सरकार के खिलाफ हो रहे विरोध से सहम गया. सऊदी अरब ने इसके पीछे ईरान का हाथ बताया. सीरिया में हुए गृहयुद्ध में भी सऊदी अरब और ईरान आमने सामने आ गए. शिया सरकार असद के समर्थन में ईरान था तो असद का विरोध कर रहे सुन्नी ग्रुप के पीछे सऊदी अरब था. इसके बाद साल 2015 में यमन युद्ध में हूती के पीछे ईरान खड़ा था तो अंतरराष्ट्रीय गठबंधन का नेतृत्व सऊदी अरब कर रहा था.

साल 2015 में 1000 श्रद्धालुओं की मौत
2015 में मक्का में भगदड़ हुई. 1000 श्रद्धालुओं की मौत हुई, जिसमें 400 ईरानी थे. ईरान ने सऊदी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताया, जिसके बाद सऊदी अरब ने ईरान से रिश्ते तोड़ लिए. 5 साल 2017 में सऊदी अरब के रियाद में हमला हुआ. हूती विद्रोहियों ने ये हमला किया, जिसके लिए ईरान में बनी मिसाइल का इस्तेमाल हुआ. सऊदी अरब ने इसे अपने देश पर हमला कहा. इसके बावजूद हमले नहीं रुके. इसके 2 साल बाद सऊदी अरब की तेल रिफाइनरी तबाह हो गई. सऊदी अरब ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार बताया.

Advertisement

साल 2020 में कासिम सुलेमानी की मौत के बाद सऊदी अरब की सरकारी मीडिया ने जश्न मनाया. जिसने दोनों देशों के रिश्ते और खराब कर दिए. साल 2021 में रिश्तों में गरमाहट आई. ईरान के सुर नरम हुए और ईरान की पहल पर सऊदी अरब में बातचीत हुई. सऊदी अरब ईरान में राजनयिक रिश्ते बहाल हुए और अब ईरान चाहता है कि इजरायल के खिलाफ युद्ध में सुन्नी देश उसका साथ दें.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Diwali 2024 kab hai: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, कब है दिवाली? यहां से दूर कीजिए तिथि का कंफ्यूजन

<

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now