कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार चौतरफा घिरी है. विपक्ष ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. सुप्रीम कोर्ट में भी पश्चिम बंगाल सरकार सवालों से घिरी हुई है. डॉक्टर्स ने भी देशव्यापी हड़ताल की लेकिन ममता बनर्जी सरकार अपने रुख पर अडिग रही, पूरे आंदोलन को बीजेपी और लेफ्ट का आंदोलन बताती रही लेकिन अब सवाल टीएमसी के भीतर से ही उठने लगे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के नेता ही अब सरकार और उनके रवैये पर सवाल उठा रहे हैं. सीएम ममता कैसे अपनी ही पार्टी के नेताओं से घिर गई हैं?
दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर लोगों में आक्रोश है. एक दिन पहले भी बड़ी संख्या में लोग दरिंदगी के खिलाफ कोलकाता की सड़कों पर उतरे और मार्च निकाला. इस आक्रोश के पीछे पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से उठाए गए वे कदम वजह बताए जा रहे हैं जिन्हें इस पूरे मामले में लीपापोती की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार ने घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष को हटाया तो लेकिन लगे हाथ दूसरी जगह तैनाती भी दे दी.
विरोध बढ़ा तो टीएमसी ने डैमेज कंट्रोल के लिए रेप के मामलों में 10 दिन के भीतर फांसी देने के लिए अपराजिता बिल भी विधानसभा में पेश किया, पारित कराया लेकिन इस पर भी राज्यपाल ने अभी हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इस विधेयक को कागजी खानापूर्ति के तौर पर ही देखा जा रहा है. जवाहर सरकार ने ममता को लिखे पत्र में लिखा है, "मैंने अपने जीवन में सरकार के प्रति इतना गुस्सा और पूर्ण अविश्वास कभी नहीं देखा. यहां तक कि जब सरकार कोई जानकारीपूर्ण या सच्चा बयान लोगों के सामने रख रही होती है तो भी लोग उस पर विश्वास नहीं करते."टीएमसी के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने भी कुछ दिन पहले पीड़िता के पिता से बात करते हुए यह स्वीकार किया था कि हमसे कुछ गलतियां हुई हैं.
जवाहर ने सीएम के रवैये पर उठाए सवाल
सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी शायद हालात की गंभीरता को समझने में चूक कर गई और यही वजह है कि विपक्षी पार्टियों की कौन कहे, अब टीएमसी के नेता भी सवाल उठा रहे हैं. जवाहर सरकार ने सीएम के रवैये पर ही सवाल उठाते हुए कहा है, "पिछले एक महीने से आरजी कर अस्पताल की घृणित घटना के खिलाफ हर प्रतिक्रिया को धैर्यपूर्वक देखा है और सोच रहा हूं कि आप पुरानी ममता बनर्जी की तरह क्यों नहीं कूद जातीं? सीधे जूनियर डॉक्टर से बात क्यों नहीं करतीं? उन्होंने ये भी कहा कि सरकार अब जो कदम उठा रही है वह बहुत कम हैं. बहुत देर से उठाए गए कदम हैं."
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जवाहर सरकार ने ये भी कहा है कि जो लोग इस आंदोलन में उतरे हैं, वे गैर राजनीतिक हैं. उनका विरोध सही नहीं हैं. जवाहर सरकार का ये बयान भी सीधे सीएम ममता बनर्जी को ही टार्गेट करता है. ममता बनर्जी ने आरजी कर की घटना के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत में इसे बीजेपी-लेफ्ट का आंदोलन बताया था. जवाहर से पहले टीएमसी के एक अन्य राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय और पार्टी के प्रवक्ता रहे शांतनु सेन भी टीएमसी की लाइन के विपरीत खड़े नजर आए हैं, सवाल उठा चुके हैं.
सुखेंदु शेखर रॉय ने क्या कहा था?
टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने डॉक्टर्स की हड़ताल के छठे दिन इसके समर्थन का ऐलान करते हुए कहा था कि मेरी भी एक बेटी और छोटी पोती है. महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बहुत हो चुकी. हमें इस मौके पर उठ खड़ा होना चाहिए. उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा था कि दरिंदों को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है? आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की गिरफ्तारी के बाद सुखेंदु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि मिडिल स्टंप गिर गया.
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शांतनु सेन ने भी उठाए थे सवाल
टीएमसी के प्रवक्ता रहे शांतनु सेन ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद कहा था, "असमंजस में हैं कि अपनी बेटी को आरजी कर में नाइट ड्यूटी पर भेजें या नहीं. एक पूर्व आरजी कर हूं. मेरी बेटी वहां पढ़ती है और पिछले कुछ वर्षों में आरजी कर की चिकित्सा शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है. स्वास्थ्य विभाग से संबंधित खबरें मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी तक सही तरीके से नहीं पहुंचाई जा रहीं." इस बयान के बाद टीएमसी ने शांतनु को पार्टी के प्रवक्ता पद से हटाया ही था, कोलकाता नगर निगम के स्वास्थ्य सलाहकार पद से भी उनकी छुट्टी कर दी थी.
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