ईरान में पेजेशकियान की ताजपोशी से भारत को फायदा या नुकसान? जानें क्या होगा दोनों देशों के संबंधों पर असर

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बीता हफ्ता ब्रिटेन और ईरान में सत्ता परिवर्तन का था. किएर स्टार्मर ने यूके इलेक्शन में बड़ी जीत हासिल की. वहीं रिफॉर्मिस्ट (सुधारवादी) मसूद पेजेशकियान के रूप में ईरान को नया राष्ट्रपति मिल गया. पेजेशकियान ने कट्टरपंथी सईद जलीली को हराकर चुनाव जीत लिया. मई में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मृत्यु के बाद ईरान के राष्ट्रपति का पद खाली था.

भारत-ईरान संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?

69 साल के कार्डियक सर्जन पेजेशकियान ने शनिवार को ईरान की अवाम से 'आगे मुश्किल राह' पर उनका साथ देने की अपील की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, 'ईरान के लोगों, चुनाव खत्म हो चुके हैं और यह हमारे मिलकर काम करने की शुरुआत है. आगे की राह मुश्किल है. यह सिर्फ आपके सहयोग, सहानुभूति और विश्वास से ही आसान हो सकती है.'

पेजेशकियान ने कहा, 'मैं आपकी ओर अपना हाथ बढ़ाता हूं और शपथ लेता हूं कि मैं आपको इस रास्ते पर अकेला नहीं छोड़ूंगा. मेरा साथ मत छोड़िए.' पेजेशकियान ने ईरान के शिया धर्मतंत्र में किसी बदलाव की बात नहीं की है. हालांकि उनके शासन में देश के अनिवार्य हिजाब कानून को खत्म किया जा सकता है. लेकिन सवाल ईरान की विदेश नीति को लेकर है, खासकर ईरान और भारत के संबंधों के बारे में. पेजेशकियान के सत्ता में आने से इस पर क्या असर पड़ेगा, आइए जानते हैं.

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Pezeshkian

कट्टरपंथियों से मिल सकती हैं चुनौतियां

ईरान में अंतिम फैसला सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई का होता है लेकिन पेजेशकियान ईरान की विदेश नीति को प्रभावित कर सकते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने व्यावहारिक विदेश नीति का समर्थन करने और 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए बड़ी शक्तियों के साथ रुकी हुई बातचीत पर तनाव को कम करने का प्रण लिया है.

तेहरान के बढ़ते न्यूक्लियर प्रोग्राम की आशंकाओं के बीच पश्चिमी देशों की नजर पेजेशकियान के आने वाले कदमों पर होगी. रिपोर्ट के अनुसार, पेजेशकियान की जीत ने पश्चिमी देशों और ईरान के बीच संबंधों में नरमी की उम्मीद जगा दी है. ईरान में राष्ट्रपति चुनाव ऐसे समय में हुए हैं जब पश्चिमी एशिया में तनाव अपने चरम पर है. इजरायल और गाजा के बीच युद्ध जारी है.

पेजेशकियान द्वारा नीतियों को पूरी तरह बदलने की संभावना नहीं है. साथ ही उनके द्वारा लिए जाने वाले फैसलों को कट्टरपंथियों के प्रभुत्व वाली ईरानी सरकार से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

ईरान पर लगे प्रतिबंध हटना दिल्ली के हित में

भारत और ईरान के संबंध कई दशकों से अच्छे रहे हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी भी तेहरान और नई दिल्ली के संबंधों को परिभाषित करती है. बल्कि चीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), इराक और तुर्की के अलावा भारत ईरान के सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर्स में से एक है.

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ईरान भारत के लिए कच्चे तेल के प्रमुख स्रोतों में से एक है. हालांकि, परमाणु कार्यक्रम को लेकर तेहरान पर लगाए गए अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण, नई दिल्ली ने ईरानी तेल का आयात बंद कर दिया है. अगर पेजेशकियान परमाणु विवाद पर पश्चिम के साथ बातचीत को दोबारा शुरू करने में सफल होते हैं, तो इस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध धीरे-धीरे हट सकते हैं. यह परिदृश्य नई दिल्ली के हित में होगा.

कई प्रोजेक्ट्स पर साथ काम कर रहे दोनों देश

ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, एक ईरानी व्यापार अधिकारी ने कहा है कि प्रतिबंधों के कारण भारत के साथ ईरान का व्यापार एक तिहाई तक गिर गया है. एक साल पहले की तुलना में, 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 26 प्रतिशत कम हो गया. भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल व्यापार 1.836 बिलियन डॉलर था, जो 2022 में 2.499 बिलियन डॉलर था. भारत और ईरान इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और चाबहार पोर्ट जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में भी सहयोग के इच्छुक हैं.

मई में, भारत ने ईरान के रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिका के प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद, नई दिल्ली ने इस परियोजना का समर्थन किया. यह बंदरगाह भारत के लिए व्यापारिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है.

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चाबहार में 120 मिलियन डॉलर निवेश कर रहा भारत

भारत ने चाबहार में शाहिद-बेहिश्ती बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 120 मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है और ईरान में इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की पेशकश की है.

INSTC एक 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मोड ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर है जो भारत को ईरान के माध्यम से रूस से जोड़ता है. यह परियोजना भारत की एनर्जी सिक्योरिटी को बढ़ाएगी और मध्य एशिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देगी.

ग्लोबल लीडर्स को पेजेशकियान से उम्मीदें

पेजेशकियान से भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है, आर्थिक संबंध जिसके केंद्र में हैं. विश्लेषकों ने रॉयटर्स को बताया कि वैश्विक नेता उनका 'वेलकम कर सकते हैं' क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि वह ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम को लेकर जारी तनाव को कम कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत पर पेजेशकियान को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'ईरान के राष्ट्रपति के रूप में आपके चुनाव पर पेजेशकियान को बधाई. अपने लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए अपने दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हूं.'

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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