माता-पिता ने MNREGA में मजदूरी करके पढ़ाया... दिव्यांग बेटे ने UPSC क्ल‍ियर करके बदले हालात

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मनरेगा (MNREGA) में काम करने वाली उसकी मां की जब पगार काटी गई और दिव्यांग पिता को मजदूरी करतेदेखा, उसीपल बेटे ने कुछ करने की ठान ली थी. राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मे हेमंत की राह आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और जज्बे के बलबूते सफलता पाई और अपने हालात बदल डाले.

हेमंत के लिए मुश्क‍िलें आसान करना इसलिए भीआसान नहीं था, क्योंकि वोखुद भी दिव्यांग है. उनकाएक हाथ काम नहीं करता. बावजूद इसके, उनके जूनून ने और मां के आंसुओं ने उसे कभी हार कर बैठने नहीं दिया. तमाम परेशानियों और आर्थिक तंगियों को उसने चुनौती के रूप में लिया औरहालातों से लड़करमाता-पिता और अपने परिवार की सब तकलीफों पर विराम लगा द‍िया.राजस्थान के छोटे से गरीब परिवार से आने वाले इस जुनूनी लड़के ने साल 2023 में भारत का सबसे कठिन एग्जाम यानी यूपीएससी क्लियर कर दिखाया.हम बात कर रहे हैं IAS हेमंत पारीक की जो कि राजस्थान के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं.

कौन हैं IAS हेमंत पारीक?
हेमंत राजस्थान के हनुमानगढ़ डिस्ट्रिक्ट में भद्रा तहसील के अंदर आने वाले बीरान गांव के रहने वाले हैं. इंडिया टुडे से बात करते हुए हेमंत ने बताया कि उनका बचपन और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई उनके गांव से ही हुई. कक्षा 5 तक उन्होंनेलड़कियों के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की.उसके बाद गांव में ही बने महर्षि दयानंद आदर्श सेकेंड्री स्कूल से कक्षा 10 तक की पढ़ाई की. हेमंत बताते हैं कि चूंकि उनकी पढ़ाई हिंदी माध्यम से हुई थी, इसके कारण उन्हें अंग्रेजी में काफी मुश्किल आती थी. लेकिन वे अंग्रेजी से घबराए नहीं बल्कि उन्होंने इसको चुनौती के रूप में लिया और अंग्रेजी सुधारने के लिए सारे प्रयास किए और अंग्रेजी सीखने में कामयाब भी हुए.

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हेमंत बताते हैं कि आर्थिक तंगी होने के बाद भी उन्हें रिश्तेदारों, दोस्तों और शिक्षकों से लगातार सहयोग मिलता रहा. इसके साथ ही ऑल इंडिया पारीक महासभा से मिले. उनकेआर्थिक सहयोग से वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर की श्री करण नरेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में दाखिला ले पाए. अपनी उच्च शिक्षा के लिए वे उन सभी को धन्यवाद करते हैं जिन्होंने मुश्किल समय में उनकी मदद की.

दिव्यांग्ता ने किस तरह बदला जीवन जीने का नजरिया?
जब हेमंत से पूछा गया कि दिव्यांग होने का उनके जीवन पर कैसा असर पड़ा तो इसके जवाब में हेमंत ने बताया कि पिता की दिव्यांग्ता के कारण बचपन से ही उन्होंने अपनी मां को घर की ज़िम्मेदारियां उठाते देखा. उनकी मां मनरेगा में काम करती थी . बचपन के इस अनुभव ने हेमंत को घर-परिवार का मतलब सिखा दिया था. घर की और मां की परेशानियों ने हेमंत के हौसले को और मज़बूत किया और उन्होंने ये दृढ़-निश्चय कर लिया के वे दिव्यांग और गरीबों के लिए एक दिन ज़रूर कुछ करेंगे.

UPSC का सफर कितना मुश्किल था?
यूपीएससी के सफर पर बात करते हुए हेमंत बताते हैं कि मनरेगा में काम करते हुए उनकी मां के साथ हुए अन्याय ने उन्हें अफसर बनने का सपना देखने को मजबूर किया और बस यहीं से उनके यूपीएससी के सफर की शुरुआत हुई. इस पर बात करते हुए हेमंत आगे बताते हैं कि इस सफर के शुरू होने से पहले उनके पास दो रास्ते थे, या तो वे आर्थिक तंगी और घर की बदहाली से जूझते हुएदिल्ली में रहकर तैयारी करते या फिर अपने गांव वापस चले जाते ये जानते हुए कि अगर वो वापस जाते हैं तो उनका अफसर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा. लेकिन अपने लोगों, सगे-संबंधियों, दोस्तों और एक कोचिंग संस्थान की मदद और कोचिंग संस्थान के एक शिक्षक के सहयोग और प्रोत्साहन ने उन्हें कमज़ोर नहीं पड़ने दिया.

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पहले ही अटेंम्प्ट में निकाला यूपीएससी प्रीलिम्स

हेमंत ने दिल्ली में रहकर तैयारी करने का फैसला किया. अपने इस फैसले को हेमंत अपने जीवन का टर्निंग पवॉइंट मानते हैं, जहां तमाम परेशानियों और चुनौतियों का सामना करते वे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे. हेमंत ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी का प्री निकाल दिया था लेकिन अपनी दिव्यांग्ता के कारण उन्हें संशय था कि वे आगे एग्जाम क्लियर कर पाएंगे या नहीं. वे बताते हैं कि उनके कोचिंग संस्थान के शिक्षक ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और साल 2023 में उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया 884 रैंक लाकर अपने परिवार और पूरे राजस्थान का नाम रौशन किया.

यूपीएससी की तैयारी करने वालों को क्या सलाह देंगे?
अपने घर-परिवार से कोसों दूर यूपीएससी की तैयारी करने वाले हज़ारों-लाखों बच्चों को हेमंत यही सलाह देते हैं कि वे पूरी लगन, मेहनत और विश्वास के साथ तैयारी करें. तैयारी के दौरान निराश होना स्वाभाविक है लेकिन ऐसी स्थिति में थक-हार कर न बैठें. अपने परिवार से, दोस्तों से करीबियों से बात करते रहें. जब भी मदद की ज़रूरत हो तो मदद ज़रूर मांगें. अपने रहन-सहन, खान-पान और सेहत का अच्छे से ख्याल रखें. तैयारी के दौरान अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुशी मनाएं.

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हेमंत अपनी मां को अपना सबसे बड़ा प्रशंसक और रोल मॉडल मानते हैं. जिन परिस्थितियो और चुनौतियों को लांघते हुए हेमंत आज जिस पायदान पर पहुंचे हैं वो किसी प्रेरणा से कम नहीं है. हेमंत की यूपीएससी क्लियर करने की कहानी तमाम लोगों के लिए एक मिसाल है कि अगर मज़बूत इरादे और बुलंद हौसले हों तो इंसान किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है.

Report: Megha Chaturvedi

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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