7 छात्रों ने की थी शुरुआत, आज 37 हजार छात्र हैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में, दिलचस्प है AMU का इतिहास

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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपना फैसला सुनाएगा। इस फैसले से यह स्पष्ट होगा कि AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं.कोर्ट अपने निर्णय में यह भी बताएगा कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा देने के क्या मानदंड हैं.इसके साथ ही, यह भी निर्धारित किया जाएगा कि क्या किसी संसदीय कानून द्वारा स्थापित संस्थान को संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक दर्जा मिल सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस प्रमुख यूनिवर्सिटी का इतिहास क्या रहा है.

स्कूल के रूप में शुरू हुआ था AMU

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है. इसका इतिहास सन् 1875 से शुरू होता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटिश राज में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर AMU भारत का पहला उच्च शिक्षण संस्थान था.1875 में, सर सैयद ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा देने की जरूरत को समझते हुए मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की.उस समय निजी विश्वविद्यालयों की अनुमति नहीं थी, इसलिए इसे स्कूल के रूप में शुरू किया गया.

बाद में, इसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में बदल दिया गया और फिर 1920 में इसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया.उसी वर्ष ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली ने AMU एक्ट लाकर इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया.कहा जाता है किसर सैयद ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बहुत संघर्ष किया.उन्होंने इसके लिए अनोखे तरीके अपनाए, जैसे कि लोगों से चंदा इकट्ठा करना, नाटक में काम करना और लोगों से सहयोग मांगना.

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ड्रामा और संगीत की भी होती है पढ़ाई

AMU में आज 37 हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत से यहां आते हैं.यहां13 फैकल्टी, 21 सेंटर और 117 विभाग हैं.छात्रों और कर्मचारियों के लिए 80 छात्रावास सहित 19 हॉल भी हैं. AMU में तकनीकी, व्यावसायिक और अनुसंधान के कई विशेष पाठ्यक्रम हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, जैव प्रौद्योगिकी और इस्लामिक अध्ययन जैसे प्रमुख कॉलेज और विभाग शामिल हैं.

इसके अलावा, AMU ने पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार में अपने तीन नए केंद्र भी खोले हैं.विश्वविद्यालय खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय है, जहाँ क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और घुड़सवारी के लिए विशेष क्लब मौजूद हैं."सामान्य शिक्षा केंद्र" पाठ्यक्रमेतर गतिविधियों जैसे ड्रामा, संगीत और साहित्यिक क्लबों का आयोजन करता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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