क्यों डिप्रेशन में हैं कोटा के कोचिंग छात्र? सैकड़ों छात्रों पर हुई रिसर्च ने किया हैरान

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शिक्षा नगरी कोटा में नॉन-कोचिंग छात्रों की तुलना में कोचिंग छात्रों में तनाव का स्तर अधिक पाया गया है. मेडिकल कॉलेज कोटा के मनोचिकित्सा विभाग की टीम के शोध में यह बात सामने आई कि कोचिंग छात्रों में अक्सर यह मानसिकता बन जाती है कि उनके साथी उनसे अधिक होशियार हैं.इस कारण, उन्हें अपनी पढ़ाई का समय भी कम लगने लगता है. अध्ययन से यह भी पता चला कि कोचिंग छात्रों में डिप्रेशन का स्तर अन्य की तुलना में 2 से 12 स्टैंडर्ड डिविएशन (एसडी) अधिक है. "स्टैंडर्ड डिविएशन" एक सांख्यिकीय माप है, जो चिंता के स्तर को दर्शाता है.

कोटा में 2022 बैच की छात्रा ने पूरी की रिसर्च

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा की 2022 बैच की छात्रा खुशी गुप्ता ने इस अध्ययन को पूरा किया, जो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) शॉर्ट-टर्म स्टूडेंटशिप (STS) 2023 का हिस्सा था.यह अध्ययन, जिसका शीर्षक 'कोचिंग और नॉन-कोचिंग छात्रों में चिंता, अवसाद और शैक्षणिक तनाव: एक तुलनात्मक अध्ययन' है, कोटा के 150 कोचिंग और 150 नॉन-कोचिंग छात्रों पर आधारित था।

इस शोध में छात्रों की चिंता, अवसाद, तनाव स्तर और उनके कारणों का विश्लेषण किया गया है.कोचिंग छात्रों में चिंता का स्तर 13.74 (एसडी ± 11.47), अवसाद 14.25 (एसडी ± 14.09) और शैक्षणिक तनाव 293.91 (एसडी ± 80.87) पाया गया, जबकि नॉन-कोचिंग छात्रों में ये स्तर चिंता के लिए 10.89 (एसडी ± 9.14), अवसाद के लिए 9.13 (एसडी ± 8.46), और शैक्षणिक तनाव के लिए 261.32 (एसडी ± 65.35) रहे. यह आंकड़े कोचिंग छात्रों में इन मुद्दों की उच्च दर दर्शाते हैं.

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मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. भरत सिंह शेखावत ने बताया कि इस शोध में डॉ. खुशी गुप्ता ने 300 छात्रों को शामिल किया था, जिनमें 150 कोचिंग और 150 नॉन-कोचिंग छात्र थे.यह अध्ययन लगभग दो से ढाई महीने में पूरा हुआ.अध्ययन का विषय "कोचिंग और नॉन-कोचिंग छात्रों में चिंता, अवसाद और शैक्षणिक तनाव का तुलनात्मक अध्ययन" था. इसमें अधिकतर कोचिंग छात्र मेडिकल स्ट्रीम से थे.

डॉ. शेखावत ने बताया कि डिप्रेशन और शैक्षणिक तनाव को मापने के लिए बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए, जिनमें 0, 1, 2, 3 और 4 के विकल्प थे.इसमें 0 अंक का मतलब था कि समस्या मौजूद नहीं है, 1 अंक का अर्थ हल्की, 2 का मध्यम, 3 का गंभीर और 4 का अत्यंत गंभीर था.चिंता से संबंधित 14, अवसाद से जुड़े 21 और शैक्षणिक तनाव के 80 से अधिक प्रकार के प्रश्न पूछे गए। इन सभी में विभिन्न श्रेणियां शामिल थीं. इसके अलावा, छात्रों से उनके अध्ययन से संबंधित वातावरण, परीक्षा परिणाम, और कोचिंग से जुड़े सवाल भी किए गए.

नॉन कोचिंग छात्रों की मेंटल हेल्थ बेहतर

शोध में इन सवालों के आधार पर छात्रों की चिंता, अवसाद, और तनाव के स्तर का आकलन किया गया। तुलनात्मक विश्लेषण से यह सामने आया कि कोचिंग छात्रों में चिंता, अवसाद, और शैक्षणिक तनाव का औसत स्कोर 13.74 (SD ± 11.47), 14.25 (SD ± 14.09), और 293.91 (SD ± 80.87) था, जबकि नॉन-कोचिंग छात्रों के लिए ये स्कोर 10.89 (SD ± 9.14), 9.13 (SD ± 8.46), और 261.32 (SD ± 65.35) थे। यह आंकड़े कोचिंग छात्रों में उच्च स्तर के मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति दर्शाते हैं, विशेषकर अवसाद और शैक्षणिक तनाव के क्षेत्र में यह अंतर अधिक महत्वपूर्ण था.

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डॉ. खुशी ने बताया कि स्टूडेंट्स से इस तरह के सवाल पूछे गए:

* क्या मुझे अपनी पढ़ाई के घंटे कम लगते हैं?
* क्या मैं नकल करना अनुचित मानता हूंलेकिन नकल करना चाहता हूं?
* क्या मुझे दुख होता है जब पढ़ा हुआ पाठ सही समय पर याद नहीं रहता?
* क्या मुझे पढ़ाई बोझ लगती है?
* क्या क्लास में टीचर को प्रभावित करने के लिए मुझे गंभीर दिखने की कोशिश करनी पड़ती है?
* क्या मुझे अपने खराब स्वास्थ्य पर गुस्सा आता है क्योंकि इसके कारण मैं पढ़ाई नहीं कर पाता?
* क्या मुझे लगता है कि मेरे स्कूल में आवश्यकता से अधिक पढ़ाई होती है?
* क्या मैं यह सोचकर दुखी होता हूंकि मैं अन्य स्टूडेंट्स की तरह पढ़ाई में होशियार नहीं हूं?
* क्या पढ़ाई का बोझ होने के बावजूद मैं कभी कुछ नहीं भूलता?
* क्या मुझे चिंता रहती है कि अन्य छात्र पढ़ाई में मुझसे आगे निकल सकते हैं?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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