बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने शहरी क्षेत्रों में जूनियर वकीलों को 20,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 15,000 रुपये का कम से कम मासिक स्टाइपेंड की सिफारिश की है. बीसीआई ने कहा कि उसने जूनियर वकीलों को उनके पेशे के शुरुआती वर्षों में होने वाली वित्तीय कठिनाइनयों को देखते हुए एक सर्कुलर जारी किया है.
दरअसल, बीसीआई ने यह सिफारिश दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 25 जुलाई को जूनियर वकीलों के लिए मासिक स्टाइपेंड पर फैसला लेने के निर्देश के बाद मंगलवार (15 अक्टूबर) को सभी राज्य बार काउंसिल और बार एसोसिएशन को भेजे गए एक संचार में की गई. वकीलों को करियर के शुरुआती दौर में होने वाली वित्तीय कठिनाइयों को पहचानते हुए बीसीआई ने सर्कुलर जारी किया है.
जूनियर वकीलों का न्यूनतम स्टाइपेंड जॉइनिंग की तारीख से कम से कम तीन साल की अवधि के लिए दिया जाएगा. बीसीआई ने कहा कि वह दिशानिर्देश को सभी के लिए अनिवार्य नहीं हो सकता, क्योंकि वकीलों की वित्तीय स्थितियों में काफी अंतर हैं.
बीसीआई ने कहा, "सीनियर वकीलों, वकीलों और फर्मों को अपनी क्षमता के अनुसार स्टाइपेंड दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह मानता है कि वित्तीय सीमाओं को अनुशासनहीनता या जिम्मेदारी की कमी के बराबर नहीं माना जाना चाहिए." बीसीआई ने आगे कहा कि बड़े शहरों के वकीलों के पास अक्सर हाई प्रोफाइल मामलों और कॉर्पोरेट ग्राहकों के कारण अधिक कमाई की संभावना होती है, जबकि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में वकीलों के पास कम अवसर और कम भुगतान वाले मामले हो सकते हैं.
बीसीआई ने आगे कहा, 'कॉर्पोरेट लॉ, इंटेललॅक्टऊल प्रॉपर्टी या टैक्स लॉ कानून जैसे हाई लेवल वाले क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के पास अच्छे फाइनेंशियल रिसोर्स हो सकते हैं, लेकिन सिविल, आपराधिक या जनहित याचिका में प्रैक्टिस करने वालों को अनियमित या कम आय का सामना करना पड़ सकता है. सीनियर वकीलों, वकीलों और लॉ फर्मों के बीच भी सालों के एक्सपीरियंस, क्लाइंट बेस और केसलोड के आधार पर वित्तीय स्थितियों में काफी अंतर होता है. अकेले प्रैक्टिस करने वाले या कानून के कम आकर्षक क्षेत्रों में काम करने वाले वकील हमेशा अच्छी कमाई नहीं कर पाते. इन असमानताओं को देखते हुए, इस दिशा-निर्देश का क्रियान्वयन सभी के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.'
बीसीआई ने सुझाव दिया कि सीनियर वकीलों को जूनियर वकीलों को औपचारिक नियुक्ति पत्र जारी करना चाहिए, जिसमें स्टाइपेंड की शर्तों, नियुक्ति की अवधि और प्रदान की जाने वाली मेंटरशिप के दायरे की जानकारी हो. जूनियर वकील, जिन्हें अनुशंसित स्टाइपेंड नहीं मिलता है या नियुक्ति से संबंधित शिकायतों का सामना करना पड़ता है, वे अपने संबंधित राज्य बार काउंसिल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. हालांकि, वास्तविक वित्तीय परेशानियों से संबंधित शिकायतों से निपटाया जाएगा, जिसमें कुछ सीनियर प्रैक्टिशनर्स द्वारा सामना की जाने वाली सीमाओं को स्वीकार किया जाएगा.
बीसीआई की सिफारिश का सर्कुलर यहां देखें-
बीसीआई ने कहा कि वह इन दिशा-निर्देशों को लागू करने के बाद समय-समय पर समीक्षा करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें फीडबैक और मौजूदा आर्थिक स्थितियों के आधार पर इस्टापेंड की राशि को समायोजित किया जाएगा. बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट ने इसी साल जुलाई में निर्देश दिया था कि वकीलों को जूनियर वकीलों को शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आधार पर क्रमशः 20,000/15,000 रुपये का न्यूनतम मासिक स्टाइपेंड देना चाहिए.
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