कर्नाटक सरकार ने सभी स्कूलों, उद्योगों और आईटीबीटी कंपनियों को 1 नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव दिवस के उपलक्ष्य में कर्नाटक का झंडा फहराने का निर्देश दिया है. सरकार का मानना है कि इससे लोगों को कन्नड़ भाषा से प्रेम करने और उसे सीखने में मदद मिलेगी. इस दिन आईटी बीटी कंपनियों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से छूट दी गई है लेकिन इमारतों पर झंडे लगाना अनिवार्य किया गया है.
आदेश के अनुसार, सरकारी और निजी दोनों स्कूलों को राज्य का झंडा फहराना चाहिए और छात्रों के बीच भाषा के प्रति प्रेम और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कन्नड़ पर केंद्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए. वहीं, आईटी और बीटी कंपनियों को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने से छूट दी गई है, लेकिन उन्हें अपनी इमारतों पर कर्नाटक का झंडा फहराना आवश्यक है.
सरकार ने इन कंपनियों के लिए ध्वजारोहण की तस्वीरें लेकर उन्हें ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को सौंपना अनिवार्य कर दिया है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आईटी, कारखानों और सभी प्रतिष्ठानों सहित सभी संस्थानों से उनके संस्थानों के सामने कन्नड़ ध्वज फहराने का आग्रह किया है.
डीके शिवकुमार ने कहा कि आज मैंने फैसला किया है कि बेंगलुरु के मंत्री के रूप में मैं आईटी, कारखानों और सभी प्रतिष्ठानों सहित सभी संस्थानों से अपील करता हूं कि 1 नवंबर को उन्हें सभी संस्थानों के सामने कन्नड़ ध्वज फहराना चाहिए. कर्नाटक स्थापना दिवस, जिसे 'राज्योत्सव' के रूप में जाना जाता है, 1 नवंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है. यह दिन दक्षिण भारत में कन्नड़ भाषी क्षेत्रों के विलय के बाद 1 नवंबर, 1956 को कर्नाटक राज्य के निर्माण की याद दिलाता है.
गौरतलब है कि कई सालों से कर्नाटक राज्य का अपना एक झंडा है. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह जनता का प्रतिनिधित्व करता है सरकार का नहीं. पहले भी राज्य के कई बड़े जन आयोजनों में इस झंडे का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस झंडे को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सरकार द्वारा नहीं फहराया जा सकता.
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