Nobel Prize 2024- जानिए कौन हैं मेडिसिन में नोबेल प्राइज विनर दोनों साइंटिस्ट, इस खोज के लिए मिला सम्मान

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मेडिसिन और फिलॉसफी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 2024 के विजेताओं का ऐलान कर दिया गया है. अमेरिकी साइंटिस्ट विक्टर एम्ब्रोस (Victor Ambros) और गैरी रुवकुन (Gary Ruvkun) को microRNA की खोज और पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल gene regulation में इनकी भूमिका के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

हर साल की तरह, मेडिसिन का पुरस्कार नोबेल पुरस्कारों की सीरीज में पहला है. विज्ञान, साहित्य और मानवतावादी प्रयासों में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माने जाने वाले नोबेल पुरस्कारों की बाकी पांच कैटेगरीज के विजेताओं का ऐलान आने वाले दिनों में किया जाएगा. स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट मेडिकल यूनिवर्सिटी की नोबेल असेंबली द्वारा मेडिसिन के क्षेत्र में विजेताओं का चयन किया जाता है. विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8,91,38,885 रुपये) का पुरस्कार राशि दी जाती है.

साइंटिस्ट विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन की खोज

हमारे क्रोमोजोम में संग्रहीत जानकारी की तुलना हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं के लिए एक इंस्ट्रक्शन मैनुअल से की जा सकती है. हर एक कोशिका में एक जैसे क्रोमोजोम होते हैं, इसलिए प्रत्येक कोशिका में जीन का बिल्कुल एक जैसा सेट और निर्देशों का बिल्कुल एक जैसा सेट होता है. फिर भी, विभिन्न सेल्स टाइप जैसे कि मसल्स और नर्व सेल्स में बहुत अलग-अलग विशेषताएं होती हैं. ये अंतर कैसे पता चलतेहैं? इसका उत्तर जीन विनियमन (gene regulation) में मिलता है, जो प्रत्येक कोशिका को केवल जरूरी निर्देशों का चयन करने की परमिशन देता है. यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक कोशिका प्रकार में केवल जीन का सही सेट एक्टिवहो.

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विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन दोनों यह जानने के इच्छुक थे कि अलग-अलग सेल्स टाइप कैसे विकसित होते हैं. तब उन्होंने आइक्रोआरएनए की खोज की, जो छोटे आरएनए मॉलिक्यूल्स का एक नया वर्ग है. येजीन विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उनकी अभूतपूर्व खोज ने जीन विनियमन के एक बिल्कुल नए सिद्धांत को दुनिया के सामने रखा है, जो इंसानों के अलावा बहुकोशिकीय जीवों के लिए कारगर साबित होगी. अब यह पता चल गया है कि मानव जीनोम एक हज़ार से अधिक माइक्रो-आरएनए के लिए कोड करता है. उनकी आश्चर्यजनक खोज ने जीन विनियमन के एक बिल्कुल नए आयाम को उजागर किया. माइक्रो-आरएनए जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं.

क्रैडिट: www.nobelprize.org

कौन हैं साइंटिस्ट विक्टर एम्ब्रोस?

विक्टर एम्ब्रोस का जन्म 1953 में हनोवर, न्यू हैम्पशायर, यूएसए में हुआ था. उन्होंने 1979 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज, एमए से पीएचडी प्राप्त की, जहां उन्होंने 1979-1985 तक पोस्टडॉक्टरल रिसर्च भी किया. वह 1985 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज, एमए में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर रह चुके हैं. वह 1992-2007 तक डार्टमाउथ मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर थे और अब वे यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, वॉर्सेस्टर, MA में नेचुरल साइंस के सिल्वरमैन प्रोफेसर हैं.

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कौन हैं गैरी रुवकुन?

गैरी रुवकुन का जन्म 1952 में बर्कले, कैलिफोर्निया, यूएसए में हुआ था. उन्होंने 1982 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी प्राप्त की. वे 1982-1985 तक मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कैम्ब्रिज, एमए में पोस्टडॉक्टरल फेलो थे. वह 1985 में मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर बने, जहां वे अब जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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