जानिए NEET सुनवाई में CJI ने पेपर लीक, CBI जांच और री-एग्जाम को लेकर क्या-क्या कहा

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CJI on NEET Paper Leak: नीट पेपर लीक विवाद इन दिनों देश में बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आज सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक, री-एग्जाम और परीक्षा सेजुड़ी अन्य अनियमितताओंपर सुनवाई हुई है. इस पीठ का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़औरदो अन्य न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा कर रहे थे. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान नीट परीक्षा और पेपर लीक के कई तथ्यों पर बात की है और कहा है कियाचिकाकर्ता की ओर से पेश सभी वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए और केंद्र तारीखों की पूरी सूची भी देगा. सीजेआई के अनुसार, अगली सुनवाई 11 जुलाई को होनी है.

सुनवाई में सीजेआई ने क्या-क्या कहा?

याचिकाकर्ताओं के वकील ने बहस शुरू करते हुएकहा9 फरवरी को सभी कैंडिडेट्स ने नीट के लिए आवेदन किए थे. इसके बाद परीक्षा हुई और 4 जून को परिणाम सामने आए. वकील ने बताया कि 5 मई को परीक्षा आयोजित की गई थी और 4 मई को टेलिग्राम पर पेपर के प्रश्न और उत्तर वायरल हो रहे थे. इसपर सीजीआई ने सबसे पहले पूछा कि यह बताइए कि एनटीए ने एग्जाम की घोषणा कब की थी.

बैंक से लीक हुए पेपर पर CJI ने पूछा आधार

जब वकील ने बताया कि बैंक से पेपर आने में देरी हुई और इस दौरान लीक की घटना हुई है तो इसपर सीजेआई ने कहा कि 'क्या इस बात को माना जाए कि पेपर लीक हुआ है?' आपके मुताबिक परीक्षा की पूरी विश्वसनीयता खत्म हो गई है और दागी व बेदाग लोगों में अंतर करना संभव नहीं है. साथ ही पूछा कि इसका तथ्यात्मक आधार क्या है?

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पेपर लीक को लेकर क्या बोले CJI?

सीजेआई ने कहा कि यदि परीक्षा की पवित्रता खत्म हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. यदि दागी और बेदाग को अलग करना संभव नहीं है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. यदि लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है, तो यह जंगल में आग की तरह फैल सकता है और बड़े पैमाने पर लीक हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया में "रेड फ्लैग" की जांच के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया है. सीजेआई ने आगे कहा कि यह प्रतिकूल मुकदमा नहीं है, क्योंकि हम जो भी निर्णय लेंगे, वह छात्रों के जीवन को प्रभावित करेगा. 67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे, अनुपात बहुत कम था. दूसरा, केंद्रों में बदलाव, यदि कोई अहमदाबाद में पंजीकरण करता है और अचानक चला जाता है. हमें अनाज को भूसे से अलग करना होगा ताकि पुन: परीक्षण किया जा सके. हम NEET के पैटर्न को भी समझना चाहते हैं.

गलत करने वालों का पता लगाया जाए

सीजेआई ने आगे कहा कि सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि लीक हुआ है. हम केवल यह पूछ रहे हैं कि लीक से क्या फर्क हुआ है? हम 23 लाख छात्रों के जीवन से निपट रहे हैं. यह 23 लाख छात्रों की चिंता है जिन्होंने परीक्षा की तैयारी की है, कई ने पेपर देने के लिए काफी ट्रैवल भी किया है. इसमें खर्चा भी हुआ है. इसके बाद सीजेआई ने वकीलों ने पूछालीक के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं? छात्र कहां हैं? 23 जून को 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा हो चुकी है. क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों की तलाश कर रहे हैं. क्या हम छात्रों का पता लगा पा रहे हैं? इसमें बहुत से छात्र शामिल हैं.परीक्षा रद्द करना अंतिम उपाय तब ही होगा जब जांच में सामने आएगा कि लीक कैसे और कहां से हुआ है.

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सीजेआई ने सरकार से किया सवाल

CJI ने पूछा कि हमारी साइबर फोरेंसिक टीम के पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है. क्या हम सभी संदिग्ध का एक डेटा तैयार नहीं कर सकते. इस परीक्षा में जो हुआ और हम जो कदम उठा रहे हैं उससे आगे पेपर लीक नहीं होना चाहिए. क्या इस मामले में किसी एक्सपर्ट को शामिल कर सकते है? इस मामले में सेल्फ डिनायल सही नहीं होगा. CJI ने पूछा कि हमें ये बात भी देखनी है कि भविष्य में इस तरह की बात न हो. उसको लेकर क्या किया जा सकता है. हम इस प्रतिष्ठित परीक्षा की बात कर रहे हैं. मिडिल क्लास परिवार के अभिभावक बच्चे मेडिकल में जाने के लिए लालायित रहते हैं. CJI ने कहा कि हम सरकार से ये जानना चाहते हैं कि सरकार ने इस मामले में क्या किया है? 100 फीसदी अंक 67 छात्रों को मिले हैं. हमें इस बात को समझना होगा कि मार्क देने का तरीका क्या है.

11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

क्या हम इस डेटा को साइबर फोरेंसिक विभाग में डेटा एनालिटिक्स यूनिट में डालकर पता लगा सकते हैं, क्योंकि हमें यह पहचानना है कि क्या पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है, क्या गलती करने वालों की पहचान करना संभव है, ऐसी स्थिति में केवल उन्हीं छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है. आखिर में सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश सभी वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए और केंद्र तारीखों की पूरी सूची भी देगा और हम इस मामले को बुधवार को सुन सकते हैं. सीबीआई भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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