गुजरात के दाहोद जिले के एक आवासीय स्कूल में 17 वर्षीय आदिवासी छात्रा के साथ छेड़खानी और यौन उत्पीड़न की घटना सामने आई है. पीड़िता कक्षा 9 की छात्रा है. आरोपी उसी स्कूल में शिक्षक है. इस मामले की सूचना मिलने पर पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ केस दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया है.
दाहोद जिले के धनपुर थाना प्रभारी ने बताया कि ये घटना खाल्ता गांव में आदिवासियों के आवासीय विद्यालय में हुई है. आरोपी की पहचान कल्पेश बारिया के रूप में हुई है. उसने ने छात्रा को गुरुवार की शाम को आश्रमशाला परिसर में स्थित अपने क्वार्टर में खाना बनाने के बहाने बुलाया था.
पीड़िता उसके क्वार्टर में जाने के बाद खाना बनाने के काम में लग गई, तभी आरोपी ने उसे पीछे से पकड़ लिया. इसके बाद उसे अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश करने लगा. इस दौरान पीड़िता ने किसी तरह अपनी बहन को बुलाया और उसके चंगुल से निकलकर वहां से भाग निकली.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसी स्कूल में पढ़ने वाले उसके भाई-बहनों को जब उसके साथ हुई घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने पिता को इसकी जानकारी दी. पीड़िता के पिता ने शुक्रवार को आरोपी शिक्षक कल्पेश बारिया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और इसके तुरंत बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 (1) (i) (शारीरिक संपर्क और अवांछित यौन प्रस्ताव), यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया है.
बताते चलें कि पिछले महीने दाहोद जिले में ही एक सरकारी स्कूल में छात्रा की यौन उत्पीड़न के बाद हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई थी. इस मामले में पुलिस ने स्कूल के प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया था. आरोपी प्रिंसिपल ने 6 साल की मासूम की यौन उत्पीड़न का विरोध करने पर हत्या कर दी थी.
सिंगवाड तालुका के एक गांव में स्कूल परिसर के अंदर बच्ची का शव मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी. इसके बाद इस वारदात में प्रिंसिपल को शामिल पाया गया. एसपी राजदीप सिंह जाला ने बताया था किप्रिंसिपल गोविंद नट ने लड़की का यौन उत्पीड़न किया. विरोध करने पर उसका मुंह दबा दिया.
पुलिस के मुताबिक बच्ची को कार में स्कूल छोड़ने के दौरान प्रिंसिपल ने उसके यौन उत्पीड़न की कोशिश की थी. बच्ची ने जब विरोध किया, तो उसने उसे चिल्लाने से रोकने के लिए उसका मुंह और नाक बंद कर दिया, जिससे वह बेहोश हो गई. इसके बाद प्रिंसिपल ने उसे कार में ही बंद करके स्कूल चला गया.
उसी दिन शाम 5 बजे उसने शव को बाहर निकाला और स्कूल बिल्डिंग के पीछे फेंक दिया. बच्ची का स्कूल बैग और चप्पलें उसके क्लास में रख दी. जब बच्ची स्कूल के समय के बाद घर नहीं लौटी, तो उसके माता-पिता और रिश्तेदारों ने तलाश शुरू की और उसे स्कूल भवन के पीछे परिसर में बेहोश पड़ा पाया था.
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