कोलकाता कांड- CBI को कोर्ट की फटकार, जज ने कहा- जांच में इतनी लापरवाही नहीं होनी चाहिए!

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में गिरफ्तार एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष और तत्कालीन ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया. इस दौरान सीबीआई को कोर्ट में आलोचना का सामना करना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच में इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए. केंद्रीय जांच एजेंसी को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक के बाद एक कारणों से फटकार लगाई गई है.

सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि ताला पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी की हार्ड डिस्क और दोनों आरोपियों के जब्त मोबाइल फोन की फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर दोबारा पूछताछ की जरूरत है. इसी वजह से सीबीआई ने दोनों आरोपियों की दोबारा हिरासत के लिए आवेदन किया है. लेकिन सीबीआई कोर्ट में जांच को लेकर कोई बड़ा खुलासा नहीं कर पाई. पिछले 10 दिनों में सीबीआई ने अभिजीत मंडल या संदीप घोष से एक मिनट के लिए भी पूछताछ नहीं की है.

कोर्ट में इंस्पेक्टर अभिजीत मंडल के वकील ने कहा, ''मेरे मुवक्किल पिछले कुछ दिनों से न्यायिक हिरासत में हैं. लेकिन उनसे एक मिनट भी पूछताछ नहीं की गई. ऐसे में उनको दोबारा हिरासत में भेजने की क्या जरूरत है. यदि सीबीआई को फोरेंसिक लैब से डेटा मिले हैं, तो उनका काम है कि वो उनकी जांच करें. मेरे मुवक्किल पुलिस का इंस्पेक्टर हैं. ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी रह चुके हैं. यदि उनको जमानत मिल जाती है, तो वो गायब नहीं हो जाएंगे. इस मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है, लेकिन उन्होंने मेरे खिलाफ कोई गंभीर टिप्पणी या कोई आदेश नहीं दिया है. ऐसे में जमानत के लिए प्रार्थना कर रहा हूं.''

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष के वकील ने कहा, यदि सीबीआई ताला पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी हार्ड डिस्क और डीवीआर के निकाले गए डेटा के आधार पर उनके मुवक्किल से पूछताछ करना चाहती है, तो मैं सवाल उठाऊंगा कि उनसे पूछताछ क्यों की जानी चाहिए? वो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल थे, ताला पुलिस स्टेशन के नहीं. वहां उनका कोई लेना-देना नहीं है. इस कारण उनको सीबीआई हिरासत में क्यों भेजा जाना चाहिए? इससे पहले पिछली सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि संदीप घोष और अभिजीत मंडल पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए उनकी हिरासत बढ़ाने की जरूरत है.

सीबीआई के वकील ने कहा था कि उनके अधिकारियों को अभी तक डॉक्टर के बलात्कार या हत्या में संदीप घोष और अभिजीत मंडल की कोई प्रत्यक्ष संलिप्तता साबित करने वाला कोई सबूत नहीं मिला है. यह भी कहा था कि दोनों ने डॉक्टर का शव बरामद होने वाले दिन कई बार एक-दूसरे से बात की थी. दोनों के कॉल डिटेल से सीबीआई को पता चला कि उन्होंने उस दिन कुछ खास नंबरों पर कई कॉल किए थे. इसके बाद कोर्ट ने दोनों हिरासत 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी. सीबीआई ने कहा था कि अभिजीत मंडल को सबूतों से छेड़छाड़ करने, एफआईआर दर्ज करने में देरी करने और अन्य आरोपों के लिए गिरफ्तार किया गया है.

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केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरजी करल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था. सीबीआई के वकील ने कहा था, ''हमें लगता है कि इस अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश है. इस घटना की सूचना ताला थाने को सुबह 10 बजे मिली, लेकिन पुलिस अधिकारी 11 बजे मौके पर पहुंचे. एफआईआर रात 11:30 बजे के बाद दर्ज की गई. थाने के ओसी की उस दिन संदीप घोष से कई बार बातचीत हुई थी.'' संदीप घोष के खिलाफ मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी.

इसमें अस्पताल में शवों की तस्करी, बायो-मेडिकल कचरे में भ्रष्टाचार, निर्माण निविदाओं में भाई-भतीजावाद आदि जैसे आरोप लगाए गए थे. 19 अगस्त को उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया गया था. अभिजीत मंडल के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ धाराएं जमानती हैं. उन पर घटनास्थल पर देर से एफआईआर दर्ज करने जैसे आरोप हैं. इसके लिए उनके खिलाफ विभागीय जांच हो सकती है, लेकिन इस गलती के लिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. जब भी सीबीआई ने उन्हें बुलाया, पूरा सहयोग किया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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